चूरू. जिला कलेक्ट्रेट के सामने 75 दिन से उर्दू बचाओ संघर्ष समिति की ओर से धरना दिया जा रहा है. यहां पर चुरू जिले से ही नहीं प्रदेश के दूसरे जिलों से भी उर्दू शिक्षक आंदोलन को समर्थन देने के लिए आ रहे है. गांधीवादी तरीके से चलाए जा रहे इस धरने पर रोज एक ऐसा शख्स पहुंच रहा है जिसने पिछले 75 दिन से चप्पलें ही नहीं पहनीं.
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सेजूसर के रहने वाले शमशेर खान पिछले 75 दिन से नंगे पैर घूम रहे हैं. उनको उम्मीद है कि एक दिन राज्य सरकार उनकी मांग मानेंगी और उनका आंदोलन समाप्त होगा.
गांधी के अनुयायी हैं शमशेर खान
बकौल शमशेर खान वे महात्मा गांधी के अनुयायी हैं. सरकार गांधी की 150वीं जयंती समारोह पूर्वक मना रही है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि उनके गांधीवादी तरीके के आंदोलन से सरकार का ध्यान आकर्षित होगा और उर्दू शिक्षकों की मांग पूरी होगी.
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इन चार तरीकों से कर रहे है आंदोलन
शमशेर खान 10 जुलाई से चार गांधीवादी तरीकों से आंदोलन कर रहे है. वे 75 दिन से नंगे पैर घूम रहे हैं. बालों के तेल भी नहीं लगा रहे. एक समय भोजन कर रहे है. केवल दो जोड़ी कपड़ों से काम चला रहे हैं. शमशेर खान स्कूल भी पैदल जाते है. शमशेर उर्दू शिक्षकों की मांगों के समर्थन में एक बार मुंडन भी करवा चुके है.
यह है मुख्य मांग
उर्दू संघर्ष समिति की मांग है कि राज्य सरकार के सर्कुलर 13 दिसंबर 2004 के अनुसार प्रारंभिक शिक्षा की स्कूलों में एक कक्षा में 10 या पूरे स्कूल में 40 से अधिक उर्दू के स्टूडेंट होने और माध्यमिक शिक्षा में एक कक्षा में 5 या पूरे स्कूल में 60 विद्यार्थी होने पर उर्दू विषय स्वीकृत किया जाए. इसी तरह उर्दू विषय के लिए जिला शिक्षा अधिकारी व निदेशक स्तर के अधिकारी भी नियुक्त किए जाएं.
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उर्दू शिक्षक आंदोलन का समर्थन कर रहे उर्दू शिक्षक शमशेर खान का कहना है कि सरकार की ओर से 2004 में जो उर्दू शिक्षा को लेकर सर्कुलर जारी किया गया है उसे लागू कर दिया जाए. ताकि उर्दू के हालात सुधर सके. वहीं उर्दू के शिक्षकों को रोजगार मिल सके. प्रदेश में उर्दू विषय के 300 पद भी नहीं हैं. जबकि पूरे राजस्थान में 60 हजार स्कूल है. इनमें से 11 हजार स्कूल ऐसे हैं जहां पर उर्दू पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं.