सरदारशहर (चूरू). सरदारशहर में कुछ परिवार ऐसे थे, जो खुले आसमान में रहने को मजबूर थे. दरअसल, यह परिवार अलग-अलग शहरों में घूम-घूमकर पुराने कपड़ों के बदले बर्तन बेचते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद यह परिवार सरदारशहर में फंस गए.
लॉकडाउन को देखते हुए प्रदेश की गहलोत सरकार दूसरे प्रदेश से आए हुए लोगों को लेकर काफी चिंतित है और प्रशासनिक अधिकारियों को भी कड़े निर्देश दी है कि अन्य राज्य का कोई भी व्यक्ति किसी कारण वश यदि लॉकडाउन में यहां फंस गया है तो उसकी पूरी देखभाल की जाए. उसके खाने-पीने व रहने की अच्छी व्यवस्था की जाए. इसी के तहत स्थानीय नगरपालिका प्रशासन भी काफी सतर्क नजर आ रहा है. शहर में चार से पांच परिवार लॉकडाउन के चलते यहां फस गए थे. ये सभी परिवार खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर थे और कई प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहे थे. इनके छोटे-छोटे बच्चे जिनके पास न रहने को जगह थी और न ही खाने की व्यवस्था. जब अधिशासी अधिकारी देवेंद्र कौशिक को इसकी सूचना मिली तो देवेंद्र कौशिक तुरंत यहां पहुंचे तो देखा यह परिवार एक पेड़ की छांव में बैठा था.
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कौशिक ने इन सभी परिवारों की स्थानीय रैन बसेरे में रहने की व्यवस्था कर दी. साथ ही साथ समाजसेवियों की मदद से खाने-पीने की व्यवस्था करवा दी. यह सभी परिवार यहां पुरानी साड़ियों के बदले प्लास्टिक के बर्तन बेचने का कार्य करते थे और लॉकडाउन के चलते इनकी हालत दयनीय हो गई थी. उनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे. सबसे ज्यादा परेशानी इनके छोटे-छोटे बच्चों को हो रही थी, जो कि खुले आसमान के नीचे अनेकों प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.
जब इनको रैन बसेरे में लाया गया तो बच्चों के चेहरों पर खुशी थी और छत के नीचे उछल कूद करने लगे. इन परिवारों के सदस्यों ने नगरपालिका अधिशासी अधिकारी देवेंद्र कौशिक का आभार व्यक्त करते हुए आंसू निकल आए. संकट मय परिस्थितियों में इन परिवारों के लिए ये प्रशासनिक अधिकारी ईश्वर से कम नहीं हैं. अधिशासी अधिकारी देवेंद्र कौशिक ने बताया कि जब तक लॉकडाउन रहेगा, इन परिवारों की पूरी देख-रेख वे स्वयं करेंगे.