सरदारशहर (चूरू). कोरोना की विभीषिका के बाद अब जिंदगी पटरी पर लौटती नजर आ रही है. क्या आम, क्या खास महामारी ने सभी के जीवन को उथल पुथल कर दिया है. कारोबारियों का तो धंधा ही चौपट हो गया है. कुछ ऐसा ही हाल है सरदारपुरा शहर स्थित पूर्णागिरि की कृषि मंडी का. हमेशा ग्राहकों से गुलजार रहने वाली कृषि मंडी सूनी पड़ी है. मंडी में इनदिनों सन्नाटा पसरा हुआ है.
चूरू जिले की सरदारशहर की कृषि उपज मंडी के बीकानेर संभाग की बड़ी मंडियों में गिनी जाती है. चूरू की यह सबसे बड़ी कृषि मंडी है. कोरोना महामारी से पहले प्रतिदिन यहां करोड़ों का व्यापार होता था. लॉकडाउन से पहले यहां की चमक ही कुछ और थी लेकिन आज इस मंडी पर निर्भर परिवारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. विशेष रुप से कृषि उपज मंडी से यहां के कारोबारी और कामगार जिनमें श्रमिक, मुनीम सहित परिवहन से जुड़े तमाम दिहाड़ी मजदूर शामिल हैं.
सरदारशहर की कृषि उपज मंडी में यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल समेत कई प्रातों के मजदूर यहां काम करते थे, लेकिन कोरोना के चलते कृषि उपज मंडी बंद हो गई. ऐसे में इन परिवारों को अपने गांव और शहर की ओर पलायन करना पड़ा. अब इस मंडी में 100 के करीब ही मजदूर काम कर रहे हैं जिसके चलते यहां के व्यापारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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किसानों ने बताया कि मंडी पर निर्भर सरदारशहर तहसील के 210 गांवों के किसानों के साथ ही जिले भर के कृषकों को भी आर्थिक नुकसान पहुंचा है. किसान इस कृषि उपज मंडी में विशेष रुप से मूंगफली, मोठ, चणा बाजरा, सरसों, गेहूं की फसल ही बेचते थे लेकिन कोरोना के चलते मंडी बंद होने से वे फसलों को नहीं बेच पाए. उन्हें फसलों को औने-पौने भाव में बेचना पड़ा, लेकिन किसानों को उम्मीद है कि अक्टूबर माह से नया सीजन शुरू हो जाएगा तो हालात सुधरेंगे.
वहीं व्यापार एवं उद्योग संघ के अध्यक्ष शिवरतन सर्राफ ने बताया कि ट्रांसपोर्ट के खर्चों में कोरोना के बाद से ही बढ़ोतरी हुई है. इसके चलते कारोबारियों को काफी नुकसान हुआ है. वहीं भारत सरकार की ओर से कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन एवं सुविधा अध्यादेश-2020 जारी किया गया था. इस अध्यादेश में कृषि उपज मंडियों में कारोबार कर रहे व्यापारियों और आढ़तियों को मंडी टैक्स देना अनिवार्य किया गया है.
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जबकि मंडियों के बाहर से काम करने वाले व्यापारी, मिल संचालक और वेयरहाउस को इससे मुक्त रखा गया है. इससे मंडियों में कारोबार समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है. जबकि मंडियों के बाहर असामाजिक तत्व सक्रिय हो गए हैं. कोरोना के चलते कृषि उपज मंडी से जुड़े लोगों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस क्षेत्र में भी तेजी आएगी.
हैंडीक्राफ्ट का भी होता है काम
सरदारशहर तहसील क्षेत्र में हैंडीक्राफ्ट का काम भी काफी बड़े स्तर पर होता है. बीकानेर संभाग का यह पहला इंडस्ट्रियल एरिया है जहां पर बड़ी संख्या में हैंडीक्राफ्ट का काम होता है. यहां से विदेशों में भी हैंडीक्राफ्ट का सामान भेजा जाता है लेकिन कोरोना के चलते इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का व्यापार भी प्रभावित हुआ है. हैंडीक्राफ्ट के व्यापारी बृजमोहन सर्राफ ने बताया कि लकड़ियों की आवक कम होने के साथ कीमत भी काफी बढ़ गई है.
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इसके चलते हैंडीक्राफ्ट के काम में काफी मंदी आई है. ट्रांसपोर्ट कम होने से भी व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. लेकिन हम उम्मीद है कि जल्दी ही स्थितियों में बदलाव होगा और फिर से हैंडीक्राफ्ट के कारोबार में तेजी आएगी. बृजमोहन ने बताया कि सरदार शहर में हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्रियों में लगभग देशभर के 5000 से ज्यादा मजदूर काम करते थे. कोरोना के बाद ज्यादातर मजदूर अपने गांव की ओर लौट चुके हैं जिसके चलते काम में समस्या आ रही है.
यही हाल सरदारशहर के बाजारों का भी है. सरदारशहर चूरू जिले की सबसे बड़ी तहसील है. सरदार शहर का बाजार हमेशा भरा भरा रहता था लेकिन अब चाहे कपड़ा व्यापार हो, किराना व्यापार या अन्य छोटे-मोटे व्यापार सभी का कारोबार ठंडा पड़ा है. व्यापारी दिन भर दुकानों में यूं ही बैठे नजर आते हैं. बाजार की हालात देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यापारी किस मंदी के दौर से गुजर रहे हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित यहां पर काम करने वाले मजदूर हुए हैं क्योंकि 3 महीने उन्हें घर पर बैठना पड़ा और बाद में बाजार में काम कम होने के कारण उन्हें उचित मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है.