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चूरू में भीषण ठंड के बीच 52 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियां, खुले आसमान के नीचे देंगी रात्रिकालीन धरना - मानदेय वृद्धि

52 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियां अब चूरू की हाड़ कंपाने वाली सर्दी में रात्रिकालीन धरने पर भी बैठ गई हैं. उन्होंने जिला कलेक्ट्रेट के आगे डेरा डाल दिया. वो लगातार नियमित करने और मानदेय वृद्धि मांग की कर रही हैं. वहीं, जल्द मांगे नहीं मानने पर भूख हड़ताल और चक्काजाम की चेतावनी भी दी है.

Churu News, आशा सहयोगिनियां, रात्रिकालीन धरना
चूरू में धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियां
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Published : Dec 20, 2020, 7:31 AM IST

चूरू. जिले में पारा जमाव बिंदु के करीब पहुंच गया है. पिछले 2 दिनों से न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया जा रहा है. वहीं, जिस हाड़ कंपाने वाली सर्दी में लोग दिन में भी बाहर निकलने से बच रहे हैं. उसी कड़ाके की सर्दी में चूरू जिला मुख्यालय पर पिछले 52 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों ने अब जिला कलेक्ट्रेट के आगे रात्रिकालीन धरना देना भी शुरू कर दिया है. उन्होंने प्रदेश की गहलोत सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए शनिवार को इन आशाओं ने कलेक्ट्रेट के सामने गहलोत सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर अपना आक्रोश व्यक्त किया और जल्द मांगे नहीं मानने पर चक्का जाम किया.

पढ़ें: IMPACT: अब राज्य वित्त पोषित कौशल विकास योजनाओं में दिव्यांगों की 5 फीसदी सीटें रहेंगी आरक्षित

रेलवे ट्रैक पर बैठकर आशा सहयोगिनियों ने प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. आशा सहयोगिनी का कहना है कि अब हमारे सब्र का बांध टूटता जा रहा है. उनका कहना है कि साल 2004 से वो कार्यरत हैं. सरकार द्वारा उन्हें मानदेय श्रेणी में रखा गया है. इतने समय बाद भी उन्हें ना तो उन्हें स्थाई किया गया और ना ही उन्हें संविदा श्रेणी में रखा गया. ऐसे में धरने पर बैठी आशाओं की मांग है कि उन्हें एक विभाग में नियुक्त किया जाए. साथ ही आशा सहयोगिनियों को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए.

चूरू में धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियां

पढ़ें: अलवर: संभागीय आयुक्त ने किया सरकारी स्कूलों का दौरा, नदारद मिला स्टाफ, कार्रवाई के दिए निर्देश

धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने विभाग द्वारा दिए काम में कोई कमी नहीं रखी. फिर चाहे वो सर्वे का काम हो या फिर अन्य कोई कार्य हो. बावजूद इसके उन्हें अपनी मांगों के समर्थन में संघर्ष करना पड़ रहा है.

चूरू. जिले में पारा जमाव बिंदु के करीब पहुंच गया है. पिछले 2 दिनों से न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया जा रहा है. वहीं, जिस हाड़ कंपाने वाली सर्दी में लोग दिन में भी बाहर निकलने से बच रहे हैं. उसी कड़ाके की सर्दी में चूरू जिला मुख्यालय पर पिछले 52 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों ने अब जिला कलेक्ट्रेट के आगे रात्रिकालीन धरना देना भी शुरू कर दिया है. उन्होंने प्रदेश की गहलोत सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए शनिवार को इन आशाओं ने कलेक्ट्रेट के सामने गहलोत सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर अपना आक्रोश व्यक्त किया और जल्द मांगे नहीं मानने पर चक्का जाम किया.

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रेलवे ट्रैक पर बैठकर आशा सहयोगिनियों ने प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. आशा सहयोगिनी का कहना है कि अब हमारे सब्र का बांध टूटता जा रहा है. उनका कहना है कि साल 2004 से वो कार्यरत हैं. सरकार द्वारा उन्हें मानदेय श्रेणी में रखा गया है. इतने समय बाद भी उन्हें ना तो उन्हें स्थाई किया गया और ना ही उन्हें संविदा श्रेणी में रखा गया. ऐसे में धरने पर बैठी आशाओं की मांग है कि उन्हें एक विभाग में नियुक्त किया जाए. साथ ही आशा सहयोगिनियों को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए.

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धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि कोरोना काल में उन्होंने विभाग द्वारा दिए काम में कोई कमी नहीं रखी. फिर चाहे वो सर्वे का काम हो या फिर अन्य कोई कार्य हो. बावजूद इसके उन्हें अपनी मांगों के समर्थन में संघर्ष करना पड़ रहा है.

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