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चितौड़गढ़: बेमौसम बारिश से अफीम की खेती को भारी नुकसान, गुणवत्ता पर भी पडे़गा असर - अफीम की खेती

बेमौसम बारिश से अफीम की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. एक तरह देश में कोरोना के चलते भयावक स्थिति है. दूसरी ओर बेमौसम बारिश से नष्ट होती फसलों से किसान चिंतित हैं.

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Published : Mar 27, 2020, 7:26 PM IST

चितौड़गढ़ (कपासन). बेमौसम बारिश से किसानों को अफीम की खेती में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. गुरुवार रात से तेज हवाओं के साथ ओले गिरने से अफीम की खेती में भारी नुकसान हुआ.

बेमौसम बारिश से अफीम की खेती को भारी नुकसान

अफीम की फसल में चीरा लगा गाय है. डोडो के फट जाने से पोस्त दाने बाहर निकल गए हैं. जिससे पूरी फसल चौपट हो गई है. किसानो को नारकोटिक्स विभाग में दिए जाने वाले अफीम दुध की गुणवत्ता पर भी खासा असर पडेगा.

अफीम की फसल को शैशवा अवस्था से लेकर पकने तक विभिन्न प्रकार के प्रकोपो शीत लहर, मौसमी बिमारियो पशु पक्षियो से बचाव के लिये तरह तरह के जतन कर फसल को बचाने के लिए पूरी कोशिश की जाती है. लेकिन अतिवृष्टी और ओलावृष्टी की इस मार से बचने का अभी कोई उपाय नहीं निकाल पाया है.

दो दिनो से रूक-रूक कर हो रही बरसात के चलतें लगभग सूख चुके डोडो पर ओले गिरने से वह फट गए और उसके अंदर पोस्त दोनो के फिरसे अंकुरित होने लगे है. जिससे अफीम फसल में पोस्त दाने की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पडा है. जिससे आगे चलकर किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.

पढ़ें: चित्तौड़गढ़ में दो लाख लोगों की स्क्रीनिंग, एक भी पॉजिटिव नहीं

वहीं राज्य और केंद्र की सरकारे अपने बजट भाषणो में फसल बीमा के नाम पर करोड़ो के बजट लेकर आती है. लेकिन अफीम फसल को अभी तक फसल बीमा योजना में सम्मलित नहीं करने से किसान वर्ग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है.

चितौड़गढ़ (कपासन). बेमौसम बारिश से किसानों को अफीम की खेती में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. गुरुवार रात से तेज हवाओं के साथ ओले गिरने से अफीम की खेती में भारी नुकसान हुआ.

बेमौसम बारिश से अफीम की खेती को भारी नुकसान

अफीम की फसल में चीरा लगा गाय है. डोडो के फट जाने से पोस्त दाने बाहर निकल गए हैं. जिससे पूरी फसल चौपट हो गई है. किसानो को नारकोटिक्स विभाग में दिए जाने वाले अफीम दुध की गुणवत्ता पर भी खासा असर पडेगा.

अफीम की फसल को शैशवा अवस्था से लेकर पकने तक विभिन्न प्रकार के प्रकोपो शीत लहर, मौसमी बिमारियो पशु पक्षियो से बचाव के लिये तरह तरह के जतन कर फसल को बचाने के लिए पूरी कोशिश की जाती है. लेकिन अतिवृष्टी और ओलावृष्टी की इस मार से बचने का अभी कोई उपाय नहीं निकाल पाया है.

दो दिनो से रूक-रूक कर हो रही बरसात के चलतें लगभग सूख चुके डोडो पर ओले गिरने से वह फट गए और उसके अंदर पोस्त दोनो के फिरसे अंकुरित होने लगे है. जिससे अफीम फसल में पोस्त दाने की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पडा है. जिससे आगे चलकर किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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वहीं राज्य और केंद्र की सरकारे अपने बजट भाषणो में फसल बीमा के नाम पर करोड़ो के बजट लेकर आती है. लेकिन अफीम फसल को अभी तक फसल बीमा योजना में सम्मलित नहीं करने से किसान वर्ग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है.

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