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धनतेरस पर यहां की जाती है मिट्टी की पूजा, जानिए वजह... - पीली मिट्टी की खदान

आज धनतेरस के साथ ही पंच दिवसीय दीपोत्सव पर्व की शुरुआत हो चुकी है. इस दिन कपासन में पीली मिट्टी की पूजा करने की परंपरा है. यहां की महिलाएं और पुरुष सुबह से ही खदानों में मिट्टी खोदने के लिए पहुंच जाते हैं. क्या आप जानते हैं, क्या है इसके पीछे का कारण? देखें यह रिपोर्ट -

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Published : Oct 25, 2019, 2:13 PM IST

कपासन (चित्तौड़गढ़). उपखंड के लोग धनतेरस के दिन पीली मिट्टी घर पर लाते हैं. यह मिट्टी पूजा के लिए उपयोग की जाती है. इस मिट्टी को शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है. धन तेरस के अवसर पर सुबह 4 बजे से ही परिवार के सदस्य पीली मिट्टी लेने निकल पड़ते है. यह मिट्टी यहां के कृषि उपज मंडी से आगे स्थित एक छोटी खदान से लाई जाती है. इस अवसर पर खदान पर सुबह 4 बजे से भारी भीड़ जमा हो जाती है. जो सुबह 7 बजे तक रहती है.

कपासन में है मिट्टी की पूजा करने की परंपरा

पांच दिनों के दीपोत्सव से जुड़ी परंपराओं में आंगन को मिट्टी से लिपने की परंपरा है. भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में मिट्टी को सोने का रूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मिट्टी में मां लक्ष्मी का वास होता है इसलिए महिलाएं धनतेरस के दिन सुबह सबसे पीली मिट्टी घर में लेकर आती है. फिर इससे घर की चौखट और आंगन को लीपा जाता है. यही परंपरा कपासन में आज भी चली आ रही है.

पढे़ं- स्पेशल स्टोरी: इस दिवाली नहीं रहेगी गरीबों की झोली खाली, क्योंकि टीम निवाला लाया है 'हैप्पी किट'

विगत कुछ सालों में इस परम्परा में काफी बदलाव भी देखने को मिला है. अब महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी मिट्टी लेने के लिए खदान में जाते हैं. वहीं पहले महिलाएं झुण्ड बनाकर मंगल गीत गाते हुए खदान पर पहुंचती थी. अब वाहनों का उपयोग किया जाता है. लेकिन अभी नगर के प्रत्येक घर से एक सदस्य पीली मिट्टी की खदान पहुंचकर पूजा-अर्चना कर मिट्टी को धन के रूप में अपने घरों में लाते है. गरीब हो या अमीर सभी इस धनतेरस पर इस परम्परा का निर्वहन करते हैं.

कपासन (चित्तौड़गढ़). उपखंड के लोग धनतेरस के दिन पीली मिट्टी घर पर लाते हैं. यह मिट्टी पूजा के लिए उपयोग की जाती है. इस मिट्टी को शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है. धन तेरस के अवसर पर सुबह 4 बजे से ही परिवार के सदस्य पीली मिट्टी लेने निकल पड़ते है. यह मिट्टी यहां के कृषि उपज मंडी से आगे स्थित एक छोटी खदान से लाई जाती है. इस अवसर पर खदान पर सुबह 4 बजे से भारी भीड़ जमा हो जाती है. जो सुबह 7 बजे तक रहती है.

कपासन में है मिट्टी की पूजा करने की परंपरा

पांच दिनों के दीपोत्सव से जुड़ी परंपराओं में आंगन को मिट्टी से लिपने की परंपरा है. भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में मिट्टी को सोने का रूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मिट्टी में मां लक्ष्मी का वास होता है इसलिए महिलाएं धनतेरस के दिन सुबह सबसे पीली मिट्टी घर में लेकर आती है. फिर इससे घर की चौखट और आंगन को लीपा जाता है. यही परंपरा कपासन में आज भी चली आ रही है.

पढे़ं- स्पेशल स्टोरी: इस दिवाली नहीं रहेगी गरीबों की झोली खाली, क्योंकि टीम निवाला लाया है 'हैप्पी किट'

विगत कुछ सालों में इस परम्परा में काफी बदलाव भी देखने को मिला है. अब महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी मिट्टी लेने के लिए खदान में जाते हैं. वहीं पहले महिलाएं झुण्ड बनाकर मंगल गीत गाते हुए खदान पर पहुंचती थी. अब वाहनों का उपयोग किया जाता है. लेकिन अभी नगर के प्रत्येक घर से एक सदस्य पीली मिट्टी की खदान पहुंचकर पूजा-अर्चना कर मिट्टी को धन के रूप में अपने घरों में लाते है. गरीब हो या अमीर सभी इस धनतेरस पर इस परम्परा का निर्वहन करते हैं.

Intro:कपासन- (चित्तौडगढ) धनतेरस पर्व पर पुजा करने के लिये पुरे नगर के महिला पुरूष धन लेने के लिये पीली मिटटी की खदा पहुचे । Body:कपासन- (चित्तौडगढ) धनतेरस पर्व पर पुजा करने के लिये पुरे नगर के महिला पुरूष धन लेने के लिये पीली मिटटी की खदा पहुचे ।
परम्परानुसार नगर की महिलाए अलसुबह पुजा सामग्री लेकर कृषी उपज मण्डी के पिछे स्थित पिली मिटटी की खदान पर पहुचते है। वहां पुजा अर्चना कर पीली मिटटी को खोद कर अपने साथ लेकर घर आते है। जहां दीपावली पर होने वाली माता लक्ष्मी की पुजा में उसे रख कर पुजा अचर्ना करते है। विगत कुछ दषको में इस परम्परा में काफी बदलाव भी देखने को मिला। अब महिलाओ के साथ साथ पुरूष भी धन लेने के लिये खदान में जाते है। वही पूर्व में महिलाए झुण्ड बना कर मंगल गीत गाते हुए खदान पर पहुचती थी। अब वाहनो का उपयोग किया जाता है। लेकिन अब भी नगर के प्रत्येक घर से एक सदस्य पीली मिटटी की खदान पहुच कर पुजा अर्चना कर मिटटी को धन को धन के रूप में अपने घरो में लाते है। गरीब हो या अमीर सभी इस धनतेरस पर इस परम्परा का निर्वाह करते है।
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Conclusion: बाइट - गृहणी - स्नेहलता उपाध्याय
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