चित्तौड़गढ़. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने सोमवार को आयोग सदस्यों के साथ डीआरडीए हॉल में जनसुनवाई (Rehana Rayaz public hearing in Chittorgarh) की. इस दौरान बड़ी संख्या में पीड़ित महिलाएं अपनी समस्याएं लेकर उनके पास पहुंची. जनसुनवाई के दौरान 21 प्रकरण सामने आए, जिनका निस्तारण करते हुए मौके पर ही पुलिस अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए गए.
जनसुनवाई के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए रेहाना रियाज ने उत्पीड़न और दुष्कर्म के फर्जी केस के मामलों में चिंता जताते हुए कहा कि वर्ष 2021 से अब तक करीब 3600 मामले पहुंचे हैं. लगभग 1200 से अधिक का निस्तारण किया जा चुका है. इनमें से लगभग 400 अर्थात एक तिहाई शिकायतें फर्जी पाई गईं. यह मामले आपसी साजिश तथा राजस्व विभाग के विवाद में दर्ज करवाए गए थे. इस प्रकार के मामलों को आयोग गंभीरता से ले रहा है.
उन्होंने कहा कि महिलाओं को इस प्रकार के फर्जी प्रकरणों से बचना चाहिए. नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट में देश में (Rehana Rayaz on Crimes against women in Rajasthan) सर्वाधिक प्रकरण राजस्थान में होने के सवाल पर उन्होंने राज्य सरकार का बचाव करते हुए कहा कि राजस्थान को बेवजह बदनाम किया जा रहा है. प्रदेश का शासन और अधिकारी महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए संकल्पित है. जबकि अन्य प्रदेशों में इस प्रकार के मामलों में महिलाएं घर से पुलिस थाने तक नहीं पहुंच पाती. उनकी आवाज दबा दी जाती है. जबकि राजस्थान में पुलिस से लेकर प्रशासन रिपोर्ट दर्ज होने के बाद मामलों की जांच में लग जाते हैं.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा के अनुरूप पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए आयोग अब द्वार-द्वार पहुंचने की प्लानिंग कर रहा है. इसी तरह से उदयपुर संभाग में जनसुनवाई की शुरुआत की गई. पूरे संभाग में आयोग की ओर से हर जिला मुख्यालय पर पहुंचकर पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा जनसुनवाई भी की जा रही है. जिसमें दोनों ही पक्षों के बीच बातचीत के जरिए मामले का निस्तारण करने का प्रयास किया जाता है.
इस दौरान हमारा मुख्य प्रयास पीड़ित महिला को न्याय दिलाने का होता है. चित्तौड़गढ़ की जनसुनवाई में एक महिला पर जादू-टोना करने का आरोप लगाते हुए मामला सामने आया था. इसमें पुलिस को तत्काल प्रभाव से आरोपियों की गिरफ्तारी करने के निर्देश दिए गए, ताकि आगे से ऐसी कोई घटना सामने न आए. इस दौरान आयोग सदस्य सुमन यादव, सचिव सत्येंद्र पाल, उप सचिव कमल सिंह यादव और आर एंड एसएलए न्यायाधीश अयूब खान भी उनके साथ थे. बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महिला उत्पीड़न के मामलों को लेकर प्रतिपक्ष के निशाने पर आते रहे हैं. नेशनल क्राइम ब्यूरो की रैंकिंग में राजस्थान टॉप पर है. इसी मसले पर बार-बार भाजपा सहित अन्य विपक्षी दल मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधती है.