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Special: चित्तौड़गढ़ में हर दिन लहरों पर खतरे का सफर करते सैकड़ों लोग, वर्षों पुरानी पुल निर्माण की मांग अब तक अधूरी

चित्तौड़गढ़ में गंभीर और बेड़च नदी के संगम स्थल पर तेज गर्मी के मौसम में भी पानी भरा रहता है, जो सैकड़ों लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. लोग हर दिन लहरों पर खतरे का सफर करते हैं. नदी को पार करने में भी कोई नाव इनके पास उपलब्ध नहीं है. केवल जुगाड़ के बनाए ट्यूब पर बांस की लकड़ी बांध कर सफर करने को मजबूर हैं. देखें ये खास रिपोर्ट

chittorgarh sangam area,  chittorgarh gambhir river
लहरों पर जानलेवा सफर
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Published : Mar 24, 2021, 2:30 PM IST

चित्तौड़गढ़. शहर के बीच से होकर गंभीर और बेड़च नदी बहती है. दोनों नदियों का संगम शहर के निकट ही होता है. संगम स्थल पर तेज गर्मी के मौसम में भी पानी भरा रहता है. नदी में पानी भरा रहना सुखद की बात है, लेकिन यह पानी सैकड़ों लोगों के लिए दुख दायक साबित हो रहा है. संगम के किनारे रहने वाले लोग हर दिन लहरों पर खतरे का सफर करते हैं. नदी को पार करने में भी कोई नाव इनके पास उपलब्ध नहीं है. केवल जुगाड़ के बनाए ट्यूब पर बांस की लकड़ी बांध कर सफर करने को मजबूर हैं. देखें ये खास रिपोर्ट

गंभीर और बेड़च नदी के संगम स्थल पर स्थित लोग हर दिन नदी को पार करने को मजबूर

संगम महादेव के नाम से प्रसिद्ध

बता दें कि दोनों नदियों का संगम स्थल संगम महादेव के नाम से प्रसिद्ध है. संगम स्थल से आगे ही नदी पर एनीकट बना हुआ है. ऐसे में वर्षों से भीषण गर्मी में भी दोनों नदियों में पानी भरा रहता है. इससे नदी तट के दोनों ही तरफ हरियाली रहती है, लेकिन पानी भरा होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है. नदियों के इस संगम स्थल को भोई खेड़ा के नाम से भी जाना जाता है. यह नगर परिषद क्षेत्र का ही एक हिस्सा है. यहां नगर परिषद के 2 वार्ड हैं, ऐसे में यहां काफी आबादी भी रहती है.

शॉर्टकट के चक्कर में जोखिम में जान

संगम किनारे रहने वाले लोग पेशा खेती करते हैं. यहां मुख्य रूप से सब्जी का उत्पादन किया जाता है. इन लोगों के खेत दोनों नदियों के दूसरी तरफ भी है. वहीं, इन लोगों को सड़क मार्ग से बेड़च नदी के दूसरे तरफ अपने खेतों पर जाना हो, तो चित्तौड़गढ़ शहर में होकर चंदेरिया होते हुए नदी के दूसरी तरफ पहुंचना होता है, जो करीब 10 किलोमीटर होता है. वहीं, गंभीर नदी के दूसरी तरफ भोई खेड़ा वासियों के खेतों के अलावा मानपुरा की खदानें भी हैं, जहां ग्रामीण मजदूरी के लिए जाते हैं. रोजाना 200 से 300 लोगों का गंभीर नदी पर एक तरफ से दूसरी तरफ आना जाना लगा रहता है. इन्हें भी अगर सड़क से मुख्य मार्ग होकर जाना हो, तो चित्तौड़गढ़ शहर में होते हुए मानपुरा जाना पड़ता है, जो करीब 7 किलोमीटर पड़ता है. ऐसे में नदी में पानी होने की स्थिति में ग्रामीणों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि वाशिंदे समय को बचाने और जल्दी पहुंचने के चक्कर में नदी को सीधे पार करते हैं. इसके लिए दोनों ही नदियों पर जुगाड़ की नाव बनाई हुई है, जिसके हर समय पलटने का खतरा रहता है.

chittorgarh sangam area,  chittorgarh gambhir river
नदी पार करते स्थानीय निवासी

पढ़ें: डूंगरपुर में 16 हजार आवास अधूरे, सरकार से जो राशि मिली उसे दूसरे कामों में खर्च कर दी

पुल निर्माण से 1 km में होगा 10 km का सफर

बेड़च नदी के दूसरी तरफ चंदेरिया औधोगिक क्षेत्र है. यहां कई बड़े प्लांट के अलावा कई ट्रांसपोर्ट व छोटे-बड़े उद्योग हैं. साथ ही, चंदेरिया से आगे भीलवाड़ा मार्ग आ जाता है. ऐसे में भीलवाड़ा से कोटा जाने वाले लोगों को पूरे चित्तौड़गढ़ शहर का चक्कर लगा कर मानपुरा होकर कोटा रोड पर पहुंचना होता है. ऐसे में अगर इन दोनों ही नदियों पर पुल का निर्माण हो जाता है, तो दोनों ही नदियों पर कनेक्टिविटी हो जाएगी. ऐसे में चंदेरिया से मानपुरा का जो सफर 10 किलोमीटर का है, वह मात्र 1 किलोमीटर में ही पूरा हो जाएगा. ऐसे में भीलवाड़ा आजोलिया का खेड़ा, चंदेरिया आदि क्षेत्रों से मानपुरा, बस्सी, कोटा रोड पर जाने वालों को चित्तौड़गढ़ शहर में होकर गुजरना पड़ता है, जो कि एक बड़ा लंबा सफर है. प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वाहन इस रोड से मानपुरा होकर बस्सी हाईवे पर जाते हैं. अगर यहां पुल का निर्माण हो जाता है, तो प्रतिदिन हजारों लीटर पेट्रोल एवं डीजल की बचत होगी, तो वहीं लोगों की आवाजाही में भी आसानी रहेगी.

आस्था का केंद्र संगम महादेव

संगम महादेव का स्थान काफी प्राचीन होकर लोगों की आस्था का केंद्र है. दो नदियों के संगम पर शिव मंदिर कारण यहां का धार्मिक महत्व काफी बढ़ जाता है. संगम महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ शहर के अलावा 60 गांव की श्रद्धा का केंद्र भी है, लेकिन यह सभी गांव दोनों ही नदियों के दूसरी तरफ हैं. ऐसे में इन गांवों के लोगों को भी मंदिर आने में लंबा चक्कर लगाना पड़ता है.

chittorgarh sangam area,  chittorgarh gambhir river
नदी के दोनों तरफ किसानों के खेत

वर्षों पुरानी मांग अब तक अधूरी

गंभीर और बेड़च नदी के संगम स्थल पर पुल निर्माण की मांग आज की नहीं है. वर्षों से ग्रामीण इस मांग को उठाते आए हैं. उद्योगों में काम करने के लिए जाना हो या खेती के लिए, हर समय खतरा मोल लेना पड़ता है. ऐसे में ग्रामीण समय-समय पर यहां पूल निर्माण की मांग करते रहे हैं. गत भाजपा के शासन में नदी पर पूल निर्माण का प्रस्ताव भी तैयार किया गया था. कपासन चौराहे से भोई खेड़ा होते हुए सीधे मानपुरा तक बाईपास निकालने की योजना थी. लेकिन, सरकार बदलने के साथ ही यह योजना अधर में अटक गई. चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने बताया कि यहां पुल निर्माण एवं बाईपास को लेकर हिन्दुस्थान जिंक से भी अनुदान होना था, लेकिन सरकार बदलने के कारण यह प्रस्ताव खटाई में पड़ गया है. चित्तौड़गढ़ नगर परिषद के सभापति संदीप शर्मा का कहना है कि भोईखेड़ा में संगम स्थल पर पूल निर्माण में काफी खर्चा होना है. संगम स्थल पर दोनों नदियों की चौड़ाई बहुत अधिक है. फिलहाल यहां पूल निर्माण को लेकर कोई योजना नहीं है.

चित्तौड़गढ़. शहर के बीच से होकर गंभीर और बेड़च नदी बहती है. दोनों नदियों का संगम शहर के निकट ही होता है. संगम स्थल पर तेज गर्मी के मौसम में भी पानी भरा रहता है. नदी में पानी भरा रहना सुखद की बात है, लेकिन यह पानी सैकड़ों लोगों के लिए दुख दायक साबित हो रहा है. संगम के किनारे रहने वाले लोग हर दिन लहरों पर खतरे का सफर करते हैं. नदी को पार करने में भी कोई नाव इनके पास उपलब्ध नहीं है. केवल जुगाड़ के बनाए ट्यूब पर बांस की लकड़ी बांध कर सफर करने को मजबूर हैं. देखें ये खास रिपोर्ट

गंभीर और बेड़च नदी के संगम स्थल पर स्थित लोग हर दिन नदी को पार करने को मजबूर

संगम महादेव के नाम से प्रसिद्ध

बता दें कि दोनों नदियों का संगम स्थल संगम महादेव के नाम से प्रसिद्ध है. संगम स्थल से आगे ही नदी पर एनीकट बना हुआ है. ऐसे में वर्षों से भीषण गर्मी में भी दोनों नदियों में पानी भरा रहता है. इससे नदी तट के दोनों ही तरफ हरियाली रहती है, लेकिन पानी भरा होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है. नदियों के इस संगम स्थल को भोई खेड़ा के नाम से भी जाना जाता है. यह नगर परिषद क्षेत्र का ही एक हिस्सा है. यहां नगर परिषद के 2 वार्ड हैं, ऐसे में यहां काफी आबादी भी रहती है.

शॉर्टकट के चक्कर में जोखिम में जान

संगम किनारे रहने वाले लोग पेशा खेती करते हैं. यहां मुख्य रूप से सब्जी का उत्पादन किया जाता है. इन लोगों के खेत दोनों नदियों के दूसरी तरफ भी है. वहीं, इन लोगों को सड़क मार्ग से बेड़च नदी के दूसरे तरफ अपने खेतों पर जाना हो, तो चित्तौड़गढ़ शहर में होकर चंदेरिया होते हुए नदी के दूसरी तरफ पहुंचना होता है, जो करीब 10 किलोमीटर होता है. वहीं, गंभीर नदी के दूसरी तरफ भोई खेड़ा वासियों के खेतों के अलावा मानपुरा की खदानें भी हैं, जहां ग्रामीण मजदूरी के लिए जाते हैं. रोजाना 200 से 300 लोगों का गंभीर नदी पर एक तरफ से दूसरी तरफ आना जाना लगा रहता है. इन्हें भी अगर सड़क से मुख्य मार्ग होकर जाना हो, तो चित्तौड़गढ़ शहर में होते हुए मानपुरा जाना पड़ता है, जो करीब 7 किलोमीटर पड़ता है. ऐसे में नदी में पानी होने की स्थिति में ग्रामीणों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि वाशिंदे समय को बचाने और जल्दी पहुंचने के चक्कर में नदी को सीधे पार करते हैं. इसके लिए दोनों ही नदियों पर जुगाड़ की नाव बनाई हुई है, जिसके हर समय पलटने का खतरा रहता है.

chittorgarh sangam area,  chittorgarh gambhir river
नदी पार करते स्थानीय निवासी

पढ़ें: डूंगरपुर में 16 हजार आवास अधूरे, सरकार से जो राशि मिली उसे दूसरे कामों में खर्च कर दी

पुल निर्माण से 1 km में होगा 10 km का सफर

बेड़च नदी के दूसरी तरफ चंदेरिया औधोगिक क्षेत्र है. यहां कई बड़े प्लांट के अलावा कई ट्रांसपोर्ट व छोटे-बड़े उद्योग हैं. साथ ही, चंदेरिया से आगे भीलवाड़ा मार्ग आ जाता है. ऐसे में भीलवाड़ा से कोटा जाने वाले लोगों को पूरे चित्तौड़गढ़ शहर का चक्कर लगा कर मानपुरा होकर कोटा रोड पर पहुंचना होता है. ऐसे में अगर इन दोनों ही नदियों पर पुल का निर्माण हो जाता है, तो दोनों ही नदियों पर कनेक्टिविटी हो जाएगी. ऐसे में चंदेरिया से मानपुरा का जो सफर 10 किलोमीटर का है, वह मात्र 1 किलोमीटर में ही पूरा हो जाएगा. ऐसे में भीलवाड़ा आजोलिया का खेड़ा, चंदेरिया आदि क्षेत्रों से मानपुरा, बस्सी, कोटा रोड पर जाने वालों को चित्तौड़गढ़ शहर में होकर गुजरना पड़ता है, जो कि एक बड़ा लंबा सफर है. प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वाहन इस रोड से मानपुरा होकर बस्सी हाईवे पर जाते हैं. अगर यहां पुल का निर्माण हो जाता है, तो प्रतिदिन हजारों लीटर पेट्रोल एवं डीजल की बचत होगी, तो वहीं लोगों की आवाजाही में भी आसानी रहेगी.

आस्था का केंद्र संगम महादेव

संगम महादेव का स्थान काफी प्राचीन होकर लोगों की आस्था का केंद्र है. दो नदियों के संगम पर शिव मंदिर कारण यहां का धार्मिक महत्व काफी बढ़ जाता है. संगम महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ शहर के अलावा 60 गांव की श्रद्धा का केंद्र भी है, लेकिन यह सभी गांव दोनों ही नदियों के दूसरी तरफ हैं. ऐसे में इन गांवों के लोगों को भी मंदिर आने में लंबा चक्कर लगाना पड़ता है.

chittorgarh sangam area,  chittorgarh gambhir river
नदी के दोनों तरफ किसानों के खेत

वर्षों पुरानी मांग अब तक अधूरी

गंभीर और बेड़च नदी के संगम स्थल पर पुल निर्माण की मांग आज की नहीं है. वर्षों से ग्रामीण इस मांग को उठाते आए हैं. उद्योगों में काम करने के लिए जाना हो या खेती के लिए, हर समय खतरा मोल लेना पड़ता है. ऐसे में ग्रामीण समय-समय पर यहां पूल निर्माण की मांग करते रहे हैं. गत भाजपा के शासन में नदी पर पूल निर्माण का प्रस्ताव भी तैयार किया गया था. कपासन चौराहे से भोई खेड़ा होते हुए सीधे मानपुरा तक बाईपास निकालने की योजना थी. लेकिन, सरकार बदलने के साथ ही यह योजना अधर में अटक गई. चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने बताया कि यहां पुल निर्माण एवं बाईपास को लेकर हिन्दुस्थान जिंक से भी अनुदान होना था, लेकिन सरकार बदलने के कारण यह प्रस्ताव खटाई में पड़ गया है. चित्तौड़गढ़ नगर परिषद के सभापति संदीप शर्मा का कहना है कि भोईखेड़ा में संगम स्थल पर पूल निर्माण में काफी खर्चा होना है. संगम स्थल पर दोनों नदियों की चौड़ाई बहुत अधिक है. फिलहाल यहां पूल निर्माण को लेकर कोई योजना नहीं है.

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