चित्तौड़गढ़. वित्तीय वर्ष 2020-21 जाते-जाते चित्तौड़गढ़ को एक नई सौगात दे गया. जिला चिकित्सालय में ब्लड कंपोनेंट सम्प्रेषण यूनिट शुरू हो गई. इस यूनिट का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एक यूनिट रक्त से चार जिंदगियां बचाई जा सकेंगी.
चिकित्सकों ने बताया कि इससे थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, डेंगू, कोरोना रोगियों, दुर्घटनाग्रस्त लोगों के साथ साथ प्रसूताओं एवं गंभीर रोगियों को फायदा होगा. हालांकि राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2018 में चित्तौड़गढ़ सहित छह जिलों के लिए यह यूनिट मंजूर की गई थी. लेकिन मामला न्यायालय में जाने से अटक गया. न्यायालय के फेर से निकलने के बाद blood separation unit की स्थापना की संभावना जगी.
पढ़ें: अलवर में बढ़ी पानी की किल्लत, जलदाय विभाग के सामने लोगों ने किया प्रदर्शन
तत्कालीन कलेक्टर चेतन देवड़ा के बाद जिला कलेक्टर केके शर्मा ने भी इसमें विशेष रुचि दिखाई. अपने स्तर पर प्रयास कर आदित्य सीमेंट शंभूपुरा से सीएसआर मद के जरिए 18 लाख 50000 लागत की ब्लड कंपोनेंट संप्रेषण मशीन जिला चिकित्सालय को उपलब्ध कराई. वही राज्य सरकार की ओर से भी 5000000 रुपए की आवश्यक मशीनें उपलब्ध कराई गई. जिला चिकित्सालय में यूनिट की स्थापना के साथ ही जिला प्रशासन के आदेश अनुसार इसकी शुरुआत कर दी गई.ब्लड बैंक प्रभारी डॉक्टर अनिल कुमार सैनी के अनुसार इस यूनिट के संचालन से अब लोगों को उदयपुर सहित अन्यत्र जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
एक यूनिट रक्त लाल रक्त कणिका, platelet, plasma आदि मरीज की बीमारी के अनुसार उपलब्ध कराए जा सकेंगे. उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया के रोगी को लाल रक्त कणिका, डेंगू मरीजों के लिए प्लेटलेट तथा कोरोना के मरीजों के लिए प्लाज्मा आसानी से उपलब्ध कराया जा सकेगा. वहीं प्रसूता तथा जले हुए और दुर्घटनाओं में घायल लोगों के लिए भी यह यूनिट जीवन रक्षक साबित होगी.