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ACB Action in Chittorgarh : पद का दुरुपयोग करने के मामले में पूर्व सरपंच और सचिव गिरफ्तार, 11 साल से थे फरार - Rajasthan Hindi news

चित्तौड़गढ़ में एसीबी ने 11 साल पुराने मामले में कार्रवाई करते हुए मंगलवाड़ ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच और सचिव को गिरफ्तार (Former Sarpanch And Secretary arrested) किया है.

पूर्व सरपंच और सचिव गिरफ्तार
पूर्व सरपंच और सचिव गिरफ्तार
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Published : May 2, 2023, 7:21 AM IST

चित्तौड़गढ़. पद का दुरुपयोग करने के मामले में वांछित मंगलवाड़ ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच और ग्राम सेवक (सचिव) को एसीबी ने सोमवार को दबोच लिया है. जांच में दोनों के खिलाफ राजकोष को करीब 20 लाख रुपए की हानि पहुंचाने की पुष्टि हुई है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को 11 साल से दोनों आरोपियों की तलाश थी.

एसीबी चित्तौड़गढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कैलाश सिंह सांधू के अनुसार वांछित आरोपियों की धरपकड़ के लिए एसीबी की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. मंगलवाड़ ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच भंवरलाल अहीर और ग्राम सेवक लालू राम प्रजापत के खिलाफ वर्ष 2012 में पद के दुरुपयोग करने का प्रकरण दर्ज किया गया था. पुख्ता सूचना पर एसीबी टीम ने सोमवार को पूर्व सरपंच भंवरलाल को मंगलवाड़ और ग्राम सेवक लालू राम प्रजापत को कुड़ावड़ से दबोच लिया है.

पढ़ें. ACB Action in Jodhpur : ससुर ने बहू और प्रेमी के खिलाफ दर्ज करवाया मामला, जांच अधिकारी रिश्वत लेते ट्रैप

वास्तविक बिल और उठाए बिल में 7 हजार का अंतर : सांधू ने बताया कि दोनों ही आरोपियों को उदयपुर स्थित विशेष न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के समक्ष उनके आवास पर पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गए हैं. आरोप है कि 2012 में तत्कालीन सरपंच और ग्राम पंचायत सेवक और तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता शमीम अहमद पंचायत समिति भिंडर जिला उदयपुर ने राज्य सरकार के नियमों को धता बताते हुए अलग-अलग दुकानों की प्रशासनिक, तकनीकी और वित्तीय स्वीकृति जारी कर 17 दुकानों का निर्माण करवा लिया. इन दुकानों के निर्माण के समय खर्च राशि, वास्तविक बिल और उठाए गए बिलों के भुगतान में भी 7914 रुपए का अंतर पाया गया.

सांधू ने बताया कि तत्कालीन सरपंच और सचिव पर आरोप है कि उन्होंने अपने स्तर पर ही ग्राम पंचायत के बेशकीमती भूखंडों पर दुकानों का निर्माण करवा दिया था. जिन भूखंडों पर दुकानों का निर्माण कार्य करवाया गया, उस स्थान पर दुकानदारों का कब्जा होना बताया गया था, जबकि पंचायत के रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार का कब्जा सामने नहीं आया.

इसके बाद 20 मार्च 2012 को ग्राम पंचायत की साधारण सभा की बैठक में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें 17 दुकानों के निर्माण के उपरांत आवंटन के लिए प्रत्येक दुकानदार से 1 लाख रुपए और 300 रुपए प्रतिमाह किराया लेना तय किया गया. आरोप है कि सरपंच और सचिव ने इसकी पालना नहीं की और किसी दुकानदार से 1 लाख तो किसी से 50 हजार ले लिए गए. इस प्रकार आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया राजकोष को करीब 20 लाख रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाने का प्रकरण दर्ज किया गया था.

चित्तौड़गढ़. पद का दुरुपयोग करने के मामले में वांछित मंगलवाड़ ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच और ग्राम सेवक (सचिव) को एसीबी ने सोमवार को दबोच लिया है. जांच में दोनों के खिलाफ राजकोष को करीब 20 लाख रुपए की हानि पहुंचाने की पुष्टि हुई है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को 11 साल से दोनों आरोपियों की तलाश थी.

एसीबी चित्तौड़गढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कैलाश सिंह सांधू के अनुसार वांछित आरोपियों की धरपकड़ के लिए एसीबी की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. मंगलवाड़ ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच भंवरलाल अहीर और ग्राम सेवक लालू राम प्रजापत के खिलाफ वर्ष 2012 में पद के दुरुपयोग करने का प्रकरण दर्ज किया गया था. पुख्ता सूचना पर एसीबी टीम ने सोमवार को पूर्व सरपंच भंवरलाल को मंगलवाड़ और ग्राम सेवक लालू राम प्रजापत को कुड़ावड़ से दबोच लिया है.

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वास्तविक बिल और उठाए बिल में 7 हजार का अंतर : सांधू ने बताया कि दोनों ही आरोपियों को उदयपुर स्थित विशेष न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के समक्ष उनके आवास पर पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गए हैं. आरोप है कि 2012 में तत्कालीन सरपंच और ग्राम पंचायत सेवक और तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता शमीम अहमद पंचायत समिति भिंडर जिला उदयपुर ने राज्य सरकार के नियमों को धता बताते हुए अलग-अलग दुकानों की प्रशासनिक, तकनीकी और वित्तीय स्वीकृति जारी कर 17 दुकानों का निर्माण करवा लिया. इन दुकानों के निर्माण के समय खर्च राशि, वास्तविक बिल और उठाए गए बिलों के भुगतान में भी 7914 रुपए का अंतर पाया गया.

सांधू ने बताया कि तत्कालीन सरपंच और सचिव पर आरोप है कि उन्होंने अपने स्तर पर ही ग्राम पंचायत के बेशकीमती भूखंडों पर दुकानों का निर्माण करवा दिया था. जिन भूखंडों पर दुकानों का निर्माण कार्य करवाया गया, उस स्थान पर दुकानदारों का कब्जा होना बताया गया था, जबकि पंचायत के रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार का कब्जा सामने नहीं आया.

इसके बाद 20 मार्च 2012 को ग्राम पंचायत की साधारण सभा की बैठक में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें 17 दुकानों के निर्माण के उपरांत आवंटन के लिए प्रत्येक दुकानदार से 1 लाख रुपए और 300 रुपए प्रतिमाह किराया लेना तय किया गया. आरोप है कि सरपंच और सचिव ने इसकी पालना नहीं की और किसी दुकानदार से 1 लाख तो किसी से 50 हजार ले लिए गए. इस प्रकार आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया राजकोष को करीब 20 लाख रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाने का प्रकरण दर्ज किया गया था.

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