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जातिभेद तोड़ने की पहल: बेटी की शादी में किया 21 वाल्मीकि समाज के जोड़ों का सम्मान, लिया आशीर्वाद - 21 वाल्मीकि समाज के जोड़ों का सम्मान

चित्तौड़गढ़ में एक परिवार ने अपनी बेटी की शादी में वाल्मीकि समाज के 21 जोड़ों को आमंत्रित किया और उनका सम्मान किया. बेटी को भी जोड़ों से आशीर्वाद दिलवाया. परिवार का कहना है कि इस तरह उन्होंने समाज में जातिभेद को खत्म करने की पहल की (Initiative to eradicate casteism in Chittorgarh) है.

Initiative to eradicate casteism in Chittorgarh, 21 couples of valmiki society honoured
जातिभेद तोड़ने की पहल: बेटी की शादी में किया 21 वाल्मीकि समाज के जोड़ों का सम्मान, लिया आशीर्वाद
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Published : Dec 28, 2022, 4:14 PM IST

चित्तौड़गढ़. शहर में एक परिवार ने शादी से पूर्व वाल्मीकि समाज के 21 जोड़ों का मान सम्मान कर जातिवाद को तोड़ने की अनूठी पहल की (Initiative to eradicate casteism in Chittorgarh) है. बेटी के विवाह के तमाम रस्मों रिवाज भी इस रस्म के बाद ही शुरू किए गए. इस नवाचार को लेकर परिवार के लोगों की खूब प्रशंसा की जा रही है.

दरअसल यह अनूठी पहल मराठा परिवार के हेमन्त सन्त ने की है, जो पेशे से नर्सिंग कर्मचारी हैं. हेमंत संत नर्सिंग कर्मचारियों के नेता भी हैं, जो कि समय-समय पर कर्मचारियों की मांगों को न केवल सरकार तक पहुंचाते हैं बल्कि उनके हर दुख दर्द में शामिल होते हैं. उनके मन में समाजक के दबे-कुचले लोगों की सामाजिक कार्यक्रमों में स्थिति को लेकर एक टीस थी और वे इस पर कुछ करने का मौका भी तलाश रहे थे.

पढ़ें: अनूठी पहल: दादी की स्मृति में मृत्यु भोज की जगह किया रक्तदान, परिवार और मित्रों ने लिया भाग

इसका सबसे अच्छा मौका उन्होंने अपनी बेटी डॉ दिव्या संत की शादी का चुना. मंगलवार शाम कुंभा नगर स्थित अपने आवास पर बिटिया डॉ दिव्या संत की शादी थी. ऐसे में संत परिवार ने वाल्मीकि समाज के 21 जोड़ों को बाकायदा घर पर आमंत्रित किया और मान सम्मान कर बेटी को उनसे आशीर्वाद दिलवाया. वाल्मीकि परिवार के लोग भी पहली बार किसी सार्वजनिक समारोह में इस प्रकार का सम्मान पाकर गदगद नजर आए.

पढ़ें: सेन समाज का फैसलाः बाल विवाह, मृत्यु भोज और नशा प्रवृत्ति पर रोक का लिया संकल्प

संत ने बताया कि समाज जिन्हें पूर्व में अछूत मान कर शुभ कार्य में आमंत्रित नहीं करता था, हम उस मानसिकता को तोड़ना चाहते हैं. इसके जरिए हमने इस प्रथा को तोड़ने की कोशिश की है. साथ ही गरीब परिवार से आशीर्वाद प्राप्त कर हमारी बिटिया धन्य हुई व उनके आशीर्वाद से निश्चित ही मेरी बिटिया का घर-संसार, सुख समृद्धि होने के साथ वैवाहिक जीवन सुख मय होगा.

चित्तौड़गढ़. शहर में एक परिवार ने शादी से पूर्व वाल्मीकि समाज के 21 जोड़ों का मान सम्मान कर जातिवाद को तोड़ने की अनूठी पहल की (Initiative to eradicate casteism in Chittorgarh) है. बेटी के विवाह के तमाम रस्मों रिवाज भी इस रस्म के बाद ही शुरू किए गए. इस नवाचार को लेकर परिवार के लोगों की खूब प्रशंसा की जा रही है.

दरअसल यह अनूठी पहल मराठा परिवार के हेमन्त सन्त ने की है, जो पेशे से नर्सिंग कर्मचारी हैं. हेमंत संत नर्सिंग कर्मचारियों के नेता भी हैं, जो कि समय-समय पर कर्मचारियों की मांगों को न केवल सरकार तक पहुंचाते हैं बल्कि उनके हर दुख दर्द में शामिल होते हैं. उनके मन में समाजक के दबे-कुचले लोगों की सामाजिक कार्यक्रमों में स्थिति को लेकर एक टीस थी और वे इस पर कुछ करने का मौका भी तलाश रहे थे.

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इसका सबसे अच्छा मौका उन्होंने अपनी बेटी डॉ दिव्या संत की शादी का चुना. मंगलवार शाम कुंभा नगर स्थित अपने आवास पर बिटिया डॉ दिव्या संत की शादी थी. ऐसे में संत परिवार ने वाल्मीकि समाज के 21 जोड़ों को बाकायदा घर पर आमंत्रित किया और मान सम्मान कर बेटी को उनसे आशीर्वाद दिलवाया. वाल्मीकि परिवार के लोग भी पहली बार किसी सार्वजनिक समारोह में इस प्रकार का सम्मान पाकर गदगद नजर आए.

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संत ने बताया कि समाज जिन्हें पूर्व में अछूत मान कर शुभ कार्य में आमंत्रित नहीं करता था, हम उस मानसिकता को तोड़ना चाहते हैं. इसके जरिए हमने इस प्रथा को तोड़ने की कोशिश की है. साथ ही गरीब परिवार से आशीर्वाद प्राप्त कर हमारी बिटिया धन्य हुई व उनके आशीर्वाद से निश्चित ही मेरी बिटिया का घर-संसार, सुख समृद्धि होने के साथ वैवाहिक जीवन सुख मय होगा.

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