चितौड़गढ़. शहर में एक नवजात को अवैध तरीके से गोद लेने का मामला (Illegally adoption of newborn case) सामने आया है. नवजात की तबीयत बिगड़ी और उसे उपचार के लिए परिजन चिकित्सालय लेकर आए तो भेद खुल गया. काफी दिनों तक बालक को चिकित्सालय में भर्ती कराने के बाद सोमवार को छुट्टी दे दी गई. फिलहाल नवजात को बाल कल्याण समिति को सौंपा दिया गया है. अवैध रूप से मासूम को गोद देने के मामले में सदर थाने में प्रकरण भी दर्ज कराया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
जानकारी में सामने आया कि गत 24 अप्रैल को एक महिला नवजात शिशु को जांच के लिए महिला एवं बाल चिकित्सालय लेकर आई थी. पूछताछ के दौरान चिकित्सक को मामला संदिग्ध लगने पर बाल कल्याण समिति को सूचना दी गई. मौके पर बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष रमेश दशोरा पहुंचे और पूछताछ की तो पता चला किसी ने महिला को अपना बच्चा गोद देने के नाम पर सौंप दिया था. करीब 22 दिन उपचार के बाद आज नवजात को डॉक्टर ने सीडब्ल्यूसी को फिर से सौंप दिया.
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इस संबंध में स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट प्रभारी जयसिंह मीणा ने बताया कि गत 24 अप्रैल को एक महिला नवजात को लेकर आई और इसकी जांच करने की बात है, लेकिन महिला बार-बार बच्चे का नाम बदल रही थी. शक होने पर उन्होंने बाल कल्याण समिति को इस बात की सूचना दी. मौके पर बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष आई और उन्होंने पता किया तो मामला इल्लीगल एडॉप्शन से जुड़ा हुआ था. इसीलिए सदर थाना चित्तौड़गढ़ में इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई.
इधर, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष रमेश दशोरा ने बताया कि जब महिला से पूछताछ की गई तो पता चला कि निंबाहेड़ा में एक महिला ने नवजात को जन्म दिया था. उस समय नवजात प्रीमेच्योर डिलेवरी होने के कारण सिर्फ 1217 ग्राम का था. इसलिए बहुत कमजोर था. जन्म देने वाले माता-पिता ने कोर्ट में एक गोदीनामा बना कर बच्चे को गोद दे दिया था. इल्लीगल मामला होने के कारण सीडब्ल्यूसी ने सदर थाने में प्रकरण दर्ज करवाया. जब बच्चे के माता-पिता के बारे में पता किया गया तो जानकारी मिली कि नवजात की माता शादी से पूर्व ही गर्भवती हो गई थी.
सातवें महीने में उसकी शादी किसी अन्य व्यक्ति से हुई. प्रीमेच्योर डिलेवरी के बाद दोनों ने यह फैसला किया कि बच्चे को किसी और को सौंप देना है. इस पर उन्होंने गोदनामा बनाकर एक महिला को अपना बच्चा दे दिया. सीडब्ल्यूसी के पूर्व अध्यक्ष दशोरा का कहना है कि अगर ऐसी स्थिति थी तो महिला अपने बच्चे को पालना गृह में भी छोड़ सकती थी. इस बारे में सदर थाना पुलिस में दोबारा रिपोर्ट दी गई और जांच शूरू की गई. इस बच्चे के बदले में कोई भी रुपयों का लेन देन हुआ या नहीं. फिलहाल सोमवार को हॉस्पिटल में 22 दिन भर्ती करने के बाद बच्चे को डॉक्टर ने सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया.