चित्तौड़गढ़. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां रक्षक ही 'भक्षक' बन बैठे हैं. मामला खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़ा है, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षक भी शामिल हो गए. पुलिस विभाग के कुछ कार्मिक भी इसका लाभ लेने से नहीं कतराए.
प्रशासन द्वारा कराई गई जांच में करीब 1000 कार्मिक और अधिकारी सरकार की नि:शुल्क और सस्ती दरों पर दिए जाने वाले गेहूं लेते पाए गए. अब प्रशासन ऐसे कार्मिकों से वसूली कर रही है. अकेले चित्तौड़गढ़ जिले में ही करीब एक करोड़ रुपये की राशि वसूली जा चुकी है और वसूली का यह अभियान अभी भी चल रहा है.
जिला रसद विभाग के आंकड़े बताते हैं कि खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 2,56,407 परिवार सूचीबद्ध है और 9,20,729 लोग इसके दायरे में आ रहे हैं. इन लोगों को बेहद ही सस्ती दर पर गेहूं उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है. अंत्योदय, BPL और State BPL परिवारों को एक रुपये किलो, प्राइमरी हाउसहोल्ड अर्थात पीएच परिवारों को दो रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं प्रतिमाह उपलब्ध कराया जा रहा है. रोचक बात यह है कि बहती गंगा में सरकारी कारिंदे भी हाथ धोने से नहीं चूके. इनमें सर्वाधिक शिक्षक बताए गए हैं. वही, पुलिस विभाग के कर्मचारी भी इसका लाभ उठाने से बाज नहीं आए. वर्ष 2013 से बड़ी संख्या में सरकारी कारिंदे गरीब के गेहूं पर हाथ मार रहे थे.
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विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में योजना का लाभ उठाने वाले लोगों की कराई गई जांच में 965 कर्मचारी योजना का लाभ लेते पाए गए. जैसे ही यह जांच शुरू हुई, संबंधित कर्मचारियों में खलबली मच गई. रसद विभाग द्वारा अब ऐसे कर्मचारियों से 27 रुपेय प्रति किलोग्राम गेहूं की दर से राशि वसूली जा रही है. अब तक विभाग द्वारा करीब 850 कर्मचारियों से 97,00000 रुपये की वसूली की जा चुकी है और 100 से अधिक कार्मिकों से वसूली की प्रक्रिया चल रही है.
जिला रसद अधिकारी विनीत कुमार शर्मा के अनुसार एसडीएम से लेकर तहसीलदार द्वारा ऐसे कर्मचारियों से राशि वसूल की जा रही है. वहीं, विभाग द्वारा भी अपने स्तर पर ऐसे कर्मचारियों से रिकवरी की जा रही है. उक्त राशि जमा नहीं कराने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.