चित्तौड़गढ़. जिले के श्री सांवलियाजी मंदिर में हर साल हरियाली अमावस्या पर मेला भरता है. अमावस्या के 1 दिन पहले चतुर्दशी पर भंडार भी खोला जाता है. जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और करीब 3 दिन व रात तक दुकानें तक बंद नहीं होती हैं. इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु होते हैं कि पैर रखने की जगह तक नहीं रहती, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन के कारण हरियाली अमावस्या का मेला नहीं भरा है. मंदिर के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठा नहीं हुई है.
प्रशासन को आशंका है कि एक स्थान पर भारी भीड़ उमड़ी तो कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा रहेगा. ऐसे में प्रशासन खतरा मोल नहीं लेना चाहती. इसी के चलते प्रशासन ने सांवलिया मंदिर को बंद रखने और हरियाली अमावस्या पर मंदिर के आसपास व गांव में लोगों की भीड़ जमा नहीं हो, इसके लिए गांव के सभी रास्ते बंद करने का निर्णय किया था.
प्रशासन के निर्देश पर मंदिर मंडल की ओर से रविवार रात को ही गांव में प्रवेश करने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेड लगा दिए गए. साथ ही यहां पुलिस जाब्ता भी तैनात कर दिया गया, जो लोगों को गांव में घुसने से रोक रहा है. गांव के बाहर भी श्रद्धालुओं और यात्रियों को बैरिकेड्स के बाहर ही रोका जा रहा है.
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वैसे तो प्रशासन की सूचना पर लोग घरों से बाहर नहीं निकले, लेकिन बड़ी संख्या में लोग श्री सांवलियाजी मंदिर में आने का प्रयास करते देखे जा रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग पैदल यात्रा पर निकले हुए हैं, जो मंदिर में प्रवेश करना चाहते हैं. लोगों को पता है कि मंदिर बंद है. इसके बावजूद काफी दूरी से लोग पैदल आए हैं. उन्हें आस है कि मंदिर में प्रवेश नहीं हो तो कम से कम मंदिर की चौखट पर ही धोक लग जाए. श्रद्धालुओं को रोके जाने से मंदिर के आसपास का क्षेत्र में सन्नाटा पसरा हुआ है.
अधूरी रह गई दुकानदारों की आस...
जानकारी के अनुसार हरियाली अमावस्या पर श्री सांवलियाजी मंदिर के आसपास के बाजारों में भारी रौनक रहती है, तो एक-एक दुकान पर ही लाखों की ग्राहकी होती है. यहां मनिहारी सामग्री, तस्वीर, माला प्रसाद भगवान के पूजन सामग्री, खिलौने आदि का बड़ा मार्केट है. यहां सामान्य दिनों में ही अच्छी और दुकानों पर रौनक रहती है.
हरियाली अमावस्या को देखते हुए चित्तौड़गढ़ के मनिहारी बाजार में लोगों ने अपनी दुकानें इस आस में खोल दी कि ग्राहक आएंगे, लेकिन इनकी आस अधूरी रह गई है. लोगों के नहीं आने के कारण दुकानों पर सन्नाटा है. सभी दुकानदार एक ही स्थान पर बैठकर आपस में बातें करते हुए अपना समय गुजार रहे हैं. जो ग्राहकी की आस थी वो पूरी नहीं होनी.
4 महीने से व्यवसाय ठप...
दरअसल, बीते 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के साथ ही श्री सांवलियाजी मंदिर के पट बंद हो गए और श्रद्धालुओं का आना भी थम गया. साथ ही यहां के बाजार भी बंद हो गए. धार्मिकस्थल होने के कारण यहां की ग्राहकी पूरी तरह से श्रद्धालुओं पर निर्भर है. यहां के बाजार तब चलते हैं, जब यहां श्रद्धालु आते हैं, लेकिन अब करीब चार माह का समय होने आया है. यहां के बाजार पूरी तरह से बंद है.
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मंदिर के बाहर दुकान लगाने वाले अधिकतर दुकानदार बाहर के हैं और दुकानें किराए पर लेकर भारी किराया चुकाते हैं. चार माह से लगातार व्यवसाय बंद रहने के कारण अब इनके ऊपर खर्चा निकालना ही भारी पड़ रहा है.