चित्तौड़गढ़. कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट को अहम माना जाता है, लेकिन कई केसों में सीटी स्कैन भी कराया जा रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आरटी-पीसीआर के साथ ही सीटी स्कैन जांचें भी ज्यादा हो रही हैं. जिले में सीटी स्कैन की जांच पहले की तुलना में काफी बढ़ गई है.
चिकित्सक इमरजेंसी की स्थिति में आरटी-पीसीआर के स्थान पर एक्सरे या फिर सीटी स्कैन करवाने की सलाह देते हैं. क्योंकि संक्रमण की रिपोर्ट हाथो हाथ मिल जाती है. जिला चिकित्सालय में पिछले 2 महीने में सीटी स्कैन करवाने वालों की संख्या एकाएक बढ़ी है.
इसके अलावा किसी भी रोगी को सबसे पहले एक्स-रे की सलाह दी जाती है. क्योंकि 15 से 20% तक संक्रमण का पता एक्सरे रिपोर्ट से ही लग जाता है, लेकिन इससे कम संक्रमण पर एक्सरे रिपोर्ट में स्थिति साफ नहीं हो पाती और सीटी स्कैन करवाई जाती है. जिसमें संक्रमण की सही स्थिति का पता लग जाता है. उसके आधार पर रोगी का तुरंत प्रभाव से इलाज शुरू किया जा सकता है.
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वहीं, कोरोना से पहले तक मुश्किल से 8 से 10 चेस्ट जांच के लिए आती थी. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में सीटी स्कैन बढ़कर 80 से 90 तक पहुंच गई है. जिला चिकित्सालय में सेवा दे रहे रिटायर्ड रेडियोग्राफर ज्वाला स्वरूप सिमलोट ने बताया कि सीटी स्कैन पर जांच का बोझ कई गुना बढ़ गया है.
इसका कारण यह है कि इसकी रिपोर्ट तुरंत मिल जाती है. हालांकि, 24 घंटे में रिपोर्ट देने का प्रावधान है, लेकिन इमरजेंसी में हम वीडियो बनाकर संबंधित व्यक्ति को उपलब्ध करा देते हैं. रेडियोग्राफर कैलाश तेली ने बताया कि 15 से 20% तक संक्रमण होने की दशा में एक्सरे रिपोर्ट से ही काम चलाया जा सकता है.