चित्तौड़गढ़. विशिष्ठ लोक अभियोजक शोभालाल जाट ने बताया कि प्रार्थी ने 25 जून 2015 को एक लिखित रिपोर्ट मंगलवाड़ थाने पर दर्ज कराई थी. इस रिपोर्ट में बताया कि प्रार्थी व उसकी पत्नी किसी कार्य से चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय आए हुए थे. प्रार्थी की नाबालिग बेटी घर पर ही थी. हम जब शाम को घर पहुंचे तो पुत्र ने बताया कि सुबह से ही पुत्री घर से गायब है. आस-पास तलाश की लेकिन पता नहीं चल पाया.
इसी दौरान जानकारी मिली कि गांव में ही रहने वाले युवक ने पुत्री को अपहरण कर ले गया. इस पर मंगलवार थाना पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया. पुलिस ने नाबालिग किशोरी को दस्तयाब कर (chittorgarh minor rape case verdict) अभियुक्त को गिरफ्तार कर सक्षम न्यायालय के समक्ष चालान पेश किया.
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प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 16 गवाह और 29 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए गए. मामले में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पॉक्सो कोर्ट) चित्तौड़गढ़ के न्यायाधीश ने अभियुक्त को दोषी पाया. अभियुक्त को आईपीसी की धारा 365 में 10 वर्ष का कठोर कारावास तथा 10 हजार रुपए अर्थदंड तथा 5 (एल)/6 पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास एवं 25 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया है. इस तरह अभियुक्त को आजीवन कारावास तथा कुल 35 हजार रुपए जुर्माना सुनाया.