चित्तौड़गढ़. विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को डोडा चूरा के संबंध में राज्य सरकार की नीति से किसानों को हो रही परेशानियों से अवगत कराया है. विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या ने किसानों की पीड़ा बताते हुए कहा कि चंद व्यक्ती तस्करी के लिए डोडा चूरा का दुरूपयोग करते हैं, जिसकी सजा सभी किसानों को क्यों दी जाए ? सरकार का आदेश अफीम उत्पादक किसानों को परेशान करने वाला है, जो कि किसी भी दृष्टि से व्यवहारिक नहीं है.
विधायक प्रवक्ता गिरीश दीक्षित ने बताया कि अफीम किसानों की ओर से पिछले वर्ष भी डोडा चूरा नष्टीकरण के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर आंदोलन किया गया था. डोडा चूरा नष्टीकरण की जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की थी, लेकिन अत्यधिक बारिश होने से किसानों ने डोडा चूरा की दुर्गंध और कीडे़ पड़ने से बीमारी और महामारी की आशंका के चलते डोडा चूरा को खेत में डाल कर नष्ट कर दिया गया, जिससे खाद बन जाए.
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विधायक आक्या ने मुख्यमंत्री को जिला आबकारी अधिकारी उदयपुर की और से जारी की गई सूचना पर ध्यानाकर्षण कराते हुए अफीम काश्तकारों की ओर से आग्रह किया है कि फसल वर्ष 2019-20 और 2020-21 के डोडा चूरा के लिए पृथक-पृथक विवरण प्रस्तुत किए जाने के लिए काश्तकारों को आदेशित किया गया है, लेकिन डोडा चूरा समय के साथ खराब हो जाता है. साथ ही चोर और लुटेरों के डर के कारण लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है. विशेष रूप से बारिश के दिनों में नमी से सड़ने पर कीडे़ और जहरीले जीव-जन्तु पनपने लगते है, जो मानव जीवन के लिए अति घातक है. ऐसे में पिछले तीन साल से फसल का डोडा चूरा उपरोक्त परिस्थितियों में काश्तकारों ने अपने स्तर पर खेतों में जला कर एवं बिखेर कर नष्ट कर दिया है. अफीम काश्तकार को पिछले 3 साल में नष्ट हुए डोडा चूरे का मुआवजा उचित दर पर मिलना चाहिए, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान ना उठाना पड़े. साथ ही सरकार किसानों को डोडा चूरा जलाने के बजाय खेतों में ही डालने की स्वीकृति दी जाए, जिससे वर्मी कम्पोस्ट खाद बन सके. इसका उपयोग किसान अगली फसल की अच्छी और गुणवत्तापुर्ण पैदावार के लिए कर सके.