चितौड़गढ़. शुक्रवार को स्थापना दिवस चित्तौड़ी आठम सादगी के साथ मनाया गया. कोरोना संक्रमण के चलते बहुत कम संख्या में लोग इस आयोजन में शामिल हुए. विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर पर ध्वजा बदल और हवन किया गया. साथ ही कोरोना संक्रमण से शीघ्र छुटकारा मिलने की कामना की गई. इस कार्यक्रम में चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति के पदाधिकारी और मंदिर महंत भी शामिल हुए.
जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ का स्थापना दिवस चित्तौड़ी आठम के रूप में हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान चित्तौड़ दुर्ग के अलावा शहर में भी कई आयोजन होते हैं. लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के खौफ के चलते सादगी से कार्यक्रम हुए और चित्तौड़ का स्थापना दिवस मनाया गया. शुक्रवार सुबह दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर की ध्वजा को बदला गया. बाद में चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति के तत्वाधान में मंदिर परिसर में हवन कर आहुतियां दी गई.
कालिका माता के महंत रामनारायण पुरी ने बताया कि वैशाख शुक्ल अष्टमी के दिन चित्तौड़गढ़ का स्थापना दिवस मनाया जाता है. कालिका माता का मंदिर पहले सूर्य मंदिर था. अलाउद्दीन खिलजी के हमले में मंदिर तोड़ दिया गया. जिसके बाद 1303 ईस्वी में जब महाराजा हमीर सिंह ने चित्तौड़गढ़ जीता तब उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया. उसी दिन से चित्तौड़गढ़ की स्थापना दिवस मनाया जाता है.
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वहीं चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति के मुकेश नाइट ने बताया कि इस बार भी कालिका माता के ध्वजा चढ़ा कर तथा हवन कर यह महोत्सव मनाया गया. शाम के समय लोगों ने अपने घरों में दीपक भी जलाए.