चित्तौड़गढ़. विश्व प्रसिद्ध चित्तौड़ दुर्ग के पहले द्वार पर लगी गाड़िया लोहार के चितौड़ दुर्ग (चित्रकूट) में प्रवेश पट्टीका को तोड़े जाने का आरोप लगाते हुए गाड़िया लोहार समाज ने राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन की चेतावनी दी है. इस सम्बंध में जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी शिकायत की है.
यह है चित्तौड़गढ़ के गाड़िया लोहारों की कहानी...
इतिहास के अनुसार मेवाड़ में महाराणा प्रताप ने जब मुगलों से लोहा लिया और मेवाड़ मुगलों के कब्जे में आ गया. महाराणा की सेना में शामिल गाड़िया लोहारों ने प्रण लिया कि जब तक मेवाड़ मुगलों से आजाद नहीं हो जाता और महाराणा गद्दी पर नहीं बैठते, तब तक हम कहीं भी अपना घर नहीं बनाएंगे और अपनी मातृभूमि पर नहीं लौटेंगे. तब से आज तक अपने प्रण का पालन करते हुए गाड़िया लोहार चितौड़ दुर्ग पर नहीं चढ़े हैं.
मेवाड़ आजाद भी हो गया, लेकिन ये गाड़िया लोहार आज भी अपने उसी प्रण पर अडिग होकर न तो अपनी मातृभूमि पर लौटे और न ही अपने घर बनाए. चित्तौड़ दुर्ग के पहले प्रवेश द्वार पाडनपोल पर देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गाड़िया लोहार समाज की बड़ी प्रतिज्ञा तुड़वाई थी. तब कुछ गाड़िया लोहारों ने चितौड़ में अपने घर बसाए थे, लेकिन अधिकांश अपने प्रण पर आज भी कायम हैं.
आजादी के बाद वर्ष 1955 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गाड़िया लोहार को मनाते हुए दुर्ग में प्रवेश करवाया था. तब नेहरू स्वयं चितौड़गढ़ आए थे और यह पट्टीका लगवाई थी. इस पट्टीका को क्षतिग्रस्त करने का गाड़िया लोहार समाज ने आरोप लगाया तथा पुलिस में भी शिकायत दी है. साथ ही गाड़िया लोहार समाज ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जिला कलक्टर व अन्य संबंधित अधिकारियों को गाड़िया शिकायत पत्र देकर अज्ञात लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. वहीं, पट्टीका का फिर से नवीनीकरण कराने की भी मांग की गई है. साथ ही उसकी सुरक्षा के लिए सीसी टीवी कैमरे व सुरक्षा गार्ड लगाने की मांग की.
महत्वपूर्ण है दरवाजों की पट्टीका...
समाज के लोगों का कहना है कि अगर यह पट्टीका पहले दरवाजे से तोड़ दी जाती है तो चित्तौड़गढ़ से गाड़िया लोहार का इतिहास ही खत्म हो जाएगा. इसे लेकर समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष फौजी बाबा कालूराम गाड़िया लोहार ने कहा कि अगर पट्टीका को सही नहीं किया जाता है तो राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस पट्टीका से गाड़िया लोहार समाज की पहचान है जो अभी तक भी दर-दर की ठोकरें खा रहा है. वह इससे समझौता नहीं कर सकते.