चित्तौड़गढ़. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) चित्तौड़गढ़ की टीम ने बुधवार को आबकारी विभाग के डिपो मैनेजर को 18200 रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. डिपो मैनेजर का मन बाहर से आने वाली शराब की अनलोडिंग अर्थात हमाली को मिलने वाली बख्शीश राशि पर डोल गया. यह राशि डिपो मैनेजर हासिल करना चाहता था और ठेकेदार पर दबाव डाल रहा था. अंततः डिपो मैनेजर रविंद्र पारीक की नाजायज मांग से ठेकेदार परेशान हो गया और एसीबी के समक्ष डिपो मैनेजर की करतूत को रखा.
एसीबी पिछले एक सप्ताह से डिपो मैनेजर को अपने जाल में फंसने की तैयारी कर रही थी. जिसे आज अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कैलाश सिंह संधू के नेतृत्व में अंजाम दिया गया. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के अनुसार फरियादी मूंगा का खेड़ा स्थित डिपो में कंपनियों से आने वाली शराब की अनलोडिंग का काम करता था. वह यह काम हमालों के जरिए करवा रहा था.
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इसके बदले मजदूरों को 200 से 300 रुपए प्रति ट्रक मिल रहा था. डिपो मैनेजर रविंद्र पारीक यह राशि मजदूरों की बजाय खुद पाना चाहता था. इसके लिए ठेकेदार पर दबाव बन रहा था. शिकायत का 3 और 7 अगस्त को सत्यापन कराया गया. 7 अगस्त को मोबाइल के जरिए शिकायत का वेरिफिकेशन हुआ और 9 अगस्त को परिवादी ललित सोनी और नारायण सोनी द्वारा डिपो मैनेजर को रिश्वत की राशि दिया जाना तय हुआ.
उसी के तहत एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में सहायक पुलिस उपनिरीक्षक नेमीचंद, हेड कांस्टेबल श्यामलाल, ओम प्रकाश, कांस्टेबल खालिद हुसैन, जितेंद्र सिंह और मानसिंह द्वारा जाल बिछाया गया. जैसे ही परिवादी ने डिपो में मैनेजर को 18200 की राशि सुपुर्द की. तत्काल ही ब्यूरो टीम ने उसे दबोच लिया और केमिकल लगे नोट बरामद कर लिए. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि उसके सरकारी निवास की तलाशी ली जा रही है. आरोपी मूल रूप से लेखा शाखा से है और राजस्थान स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड, चित्तौड़गढ़ के पद पर प्रतिनिधि पर काम कर रहा है.