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पहले जननी और अब जिंदगी ने छोड़ा मासूम का साथ, उदयपुर में ली अंतिम सांस

चित्तौड़गढ़ के महिला एवं बाल चिकित्सालय के पालना गृह में मंगलवार को कोई अपने नवजात शिशु को छोड़ गया था. प्रीमेच्योर प्रसव होने की वजह से उसकी हालत काफी गंभीर थी. जिसके कारण उसे उदयपुर रेफर किया गया था, जहां रात को उसकी मौत हो गई.

newborn death in Chittorgarh, Chittorgarh Womens and Childrens Hospital
पहले जननी और अब जिंदगी ने छोड़ा मासूम का साथ
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Published : Jan 14, 2021, 9:31 PM IST

चित्तौड़गढ़. जिले के महिला एवं बाल चिकित्सालय परिसर में संचालित पालना गृह में मंगलवार को परित्याग किए हुए बच्चे ने उदयपुर मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली. प्रीमैच्योर प्रसव होने के कारण नवजात शिशु की हालत काफी गंभीर थी, जिसके कारण उसे बुधवार को उदयपुर रेफर किया गया था, जहां रात को ही उसकी मौत हो गई.

जानकारी के अनुसार मंगलवार शाम को 7:15 बजे पालना गृह की घंटी बजी, जिसे सुन कर मौके पर ड्यूटी पर उपस्थित नर्स ने बच्चे को पालने से उठाया. बच्चे को सबसे पहले शिशु केयर यूनिट में लाने के बाद उसका उपचार किया गया. बच्चा न्यू बॉर्न ही था, उसका जन्म मंगलवार को ही हुआ था. प्रीमेच्योर डिलीवरी होने के कारण नवजात के फेफड़े पूर्ण रूप से कार्य नहीं कर रहे हैं. फेफड़े कमजोर होने के कारण नवजात को सांस लेने में तकलीफ हो रही है.

पढ़ें- जयपुर में दो बाइकों में भीषण टक्कर, 2 की मौत, 4 घायल

बच्चे की बिगड़ती हालत को देखते हुए डॉक्टर ने उसे बुधवार शाम करीब 5 बजे उदयपुर रेफर कर दिया, जहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. इस दौरान बाल कल्याण समिति के गार्ड बच्चे के साथ उदयपुर गए. करीब रात के 8 बजे नवजात ने अंतिम सांस ली. बच्चे का वजन केवल डेढ़ किलोग्राम ही था. बच्चा काफी कमजोर भी था. पहले जननी ने और बाद में जिंदगी ने नवजात का साथ छोड़ दिया. डॉक्टरों के मृत घोषित करने के बाद बालक के मृत शरीर को फिर से चित्तौड़गढ़ लाया गया, जहां गुरुवार को बाल कल्याण समिति के सदस्य फारुख खान पठान की उपस्थिति में उसका अंतिम संस्कार किया गया.

चित्तौड़गढ़. जिले के महिला एवं बाल चिकित्सालय परिसर में संचालित पालना गृह में मंगलवार को परित्याग किए हुए बच्चे ने उदयपुर मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली. प्रीमैच्योर प्रसव होने के कारण नवजात शिशु की हालत काफी गंभीर थी, जिसके कारण उसे बुधवार को उदयपुर रेफर किया गया था, जहां रात को ही उसकी मौत हो गई.

जानकारी के अनुसार मंगलवार शाम को 7:15 बजे पालना गृह की घंटी बजी, जिसे सुन कर मौके पर ड्यूटी पर उपस्थित नर्स ने बच्चे को पालने से उठाया. बच्चे को सबसे पहले शिशु केयर यूनिट में लाने के बाद उसका उपचार किया गया. बच्चा न्यू बॉर्न ही था, उसका जन्म मंगलवार को ही हुआ था. प्रीमेच्योर डिलीवरी होने के कारण नवजात के फेफड़े पूर्ण रूप से कार्य नहीं कर रहे हैं. फेफड़े कमजोर होने के कारण नवजात को सांस लेने में तकलीफ हो रही है.

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बच्चे की बिगड़ती हालत को देखते हुए डॉक्टर ने उसे बुधवार शाम करीब 5 बजे उदयपुर रेफर कर दिया, जहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. इस दौरान बाल कल्याण समिति के गार्ड बच्चे के साथ उदयपुर गए. करीब रात के 8 बजे नवजात ने अंतिम सांस ली. बच्चे का वजन केवल डेढ़ किलोग्राम ही था. बच्चा काफी कमजोर भी था. पहले जननी ने और बाद में जिंदगी ने नवजात का साथ छोड़ दिया. डॉक्टरों के मृत घोषित करने के बाद बालक के मृत शरीर को फिर से चित्तौड़गढ़ लाया गया, जहां गुरुवार को बाल कल्याण समिति के सदस्य फारुख खान पठान की उपस्थिति में उसका अंतिम संस्कार किया गया.

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