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जयपुर के फायर स्टेशन कितने हैं तैयार...देखें ग्राउंड रिपोर्ट - ETV bharat

सूरत में हुए अग्निकांड के बाद जयपुर के फायर स्टेशन और यहां मौजूद इक्विपमेंट पर कई सवाल उठे. इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत की टीम मानसरोवर फायर स्टेशन पहुंची.

इक्विपमेंट की जानकारी देते हुए फायर ऑफिसर
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Published : Jun 2, 2019, 8:05 PM IST

जयपुर. गर्मियों में अक्सर आग की घटनाएं सामने आती है. राजधानी में हर दिन इसका नजारा भी देखने को मिलता है. सूरत अग्निकांड जैसी घटना को लेकर जयपुर की फायर फाइटिंग टीम कितनी सक्षम है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत शहर के मानसरोवर फायर स्टेशन पहुंचा. असिस्टेंट फायर ऑफिसर देवांग से जानकारी लेने का प्रयास किया.

जयपुर की फायर फाइटिंग टीम कितनी सक्षम, पता लगाने पहुंचा ईटीवी भारत


जिसमें पता चला कि मानसरोवर केंद्र पर 6 फायर व्हीकल मौजूद है. जो 35 से 40 फुट ऊंचाई वाली बिल्डिंग की आग बुझाने के लिए पर्याप्त है. इनमें वाटर टैंक, पंप, डिलीवरी वॉल, लैडर, होज पाइप, नोजल, फायर एक्स, गम बूट, एक्सटिंग्विशर और रस्से शामिल है.

हालांकि फायरमैन के फायर सूट के सवाल पर फायर ऑफिसर ने वर्तमान में ऐसी किसी भी व्यवस्था के नहीं होने की बात कही. वहीं ऊंची इमारतों में आग लगने की स्थिति से निपटने के लिए जयपुर में महज एक ही एरियल हाइड्रोलिक लैडर प्लेटफॉर्म मौजूद है. जो की चिंता का विषय है. हालांकि यहां मौजूद कुछ फायर व्हीकल में लैडर नहीं थी. जिन्हें फायर ऑफिसर ने मेंटेनेंस पर भेजे जाने की बात कही है.

सूरत अग्निकांड के दौरान अग्निशमन दस्ते के पास जाल होता तो, शायद बिल्डिंग से कूदने वाले बच्चों को बचाया जा सकता था. जाल मानसरोवर फायर स्टेशन पर भी मौजूद नहीं है. जाल के सुझाव पर फायर ऑफिसर ने सुझाव को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही. बहरहाल, शहर में मौजूद फायर स्टेशन पर जो व्यवस्थाएं मौजूद हैं. वो शहर की आबादी को देखते हुए नाकाफी ही साबित होती हैं. प्रशासनिक अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

जयपुर. गर्मियों में अक्सर आग की घटनाएं सामने आती है. राजधानी में हर दिन इसका नजारा भी देखने को मिलता है. सूरत अग्निकांड जैसी घटना को लेकर जयपुर की फायर फाइटिंग टीम कितनी सक्षम है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत शहर के मानसरोवर फायर स्टेशन पहुंचा. असिस्टेंट फायर ऑफिसर देवांग से जानकारी लेने का प्रयास किया.

जयपुर की फायर फाइटिंग टीम कितनी सक्षम, पता लगाने पहुंचा ईटीवी भारत


जिसमें पता चला कि मानसरोवर केंद्र पर 6 फायर व्हीकल मौजूद है. जो 35 से 40 फुट ऊंचाई वाली बिल्डिंग की आग बुझाने के लिए पर्याप्त है. इनमें वाटर टैंक, पंप, डिलीवरी वॉल, लैडर, होज पाइप, नोजल, फायर एक्स, गम बूट, एक्सटिंग्विशर और रस्से शामिल है.

हालांकि फायरमैन के फायर सूट के सवाल पर फायर ऑफिसर ने वर्तमान में ऐसी किसी भी व्यवस्था के नहीं होने की बात कही. वहीं ऊंची इमारतों में आग लगने की स्थिति से निपटने के लिए जयपुर में महज एक ही एरियल हाइड्रोलिक लैडर प्लेटफॉर्म मौजूद है. जो की चिंता का विषय है. हालांकि यहां मौजूद कुछ फायर व्हीकल में लैडर नहीं थी. जिन्हें फायर ऑफिसर ने मेंटेनेंस पर भेजे जाने की बात कही है.

सूरत अग्निकांड के दौरान अग्निशमन दस्ते के पास जाल होता तो, शायद बिल्डिंग से कूदने वाले बच्चों को बचाया जा सकता था. जाल मानसरोवर फायर स्टेशन पर भी मौजूद नहीं है. जाल के सुझाव पर फायर ऑफिसर ने सुझाव को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही. बहरहाल, शहर में मौजूद फायर स्टेशन पर जो व्यवस्थाएं मौजूद हैं. वो शहर की आबादी को देखते हुए नाकाफी ही साबित होती हैं. प्रशासनिक अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

Intro:सूरत में हुए अग्निकांड के बाद जयपुर के फायर स्टेशन और यहां मौजूद इक्विपमेंट पर कई सवाल उठे। इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत की टीम मानसरोवर फायर स्टेशन पहुंची।


Body:गर्मियों में आग लगने की घटना आम हो जाती है। राजधानी में हर दिन इसका नजारा भी देखने को मिलता है। लेकिन सूरत अग्निकांड जैसी घटना को लेकर जयपुर की फायर फाइटिंग टीम कितनी सक्षम है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत शहर के मानसरोवर फायर स्टेशन पहुंचा। यहां पड़ताल करने पर कुछ सवाल और जुड़ गए। इन्हीं सवालों का जवाब वहां मौजूद असिस्टेंट फायर ऑफिसर देवांग से लेने की कोशिश की गई।

जयपुर शहर में आग लगने की स्थिति में क्या-क्या व्यवस्थाएं हैं, इस सवाल का जवाब मिला कि मानसरोवर केंद्र पर 6 फायर व्हीकल मौजूद है। जो 35 से 40 फुट ऊंचाई वाली बिल्डिंग की आग बुझाने के लिए पर्याप्त है। इसमें वाटर टैंक, पंप, डिलीवरी वॉल, लैडर, होज पाइप, नोजल, फायर एक्स, गम बूट, एक्सटिंग्विशर और रस्से शामिल है। हालांकि फायरमैन के फायर सूट के सवाल पर फायर ऑफिसर ने वर्तमान में ऐसी किसी भी व्यवस्था के नहीं होने की बात कही। वहीं ऊंची इमारतों में आग लगने की स्थिति से निपटने के लिए जयपुर में महज एक ही एरियल हाइड्रोलिक लैडर प्लेटफॉर्म मौजूद है।

हालांकि यहां मौजूद कुछ फायर व्हीकल में लैडर नहीं थी। जिन्हें फायर ऑफिसर ने मेंटेनेंस पर भेजे जाने की बात कही। इस दौरान एक सवाल जाल को लेकर भी उठा। क्योंकि यदि सूरत अग्निकांड के दौरान अग्निशमन दस्ते के पास जाल होता तो, शायद बिल्डिंग से कूदने वाले बच्चों को बचाया जा सकता था। जाल के इस सुझाव को फायर ऑफिसर ने उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही।


Conclusion:बहरहाल, शहर में मौजूद फायर स्टेशन पर जो व्यवस्थाएं मौजूद हैं। वो शहर की आबादी को देखते हुए नाकाफी ही साबित होती हैं। जरूरत है प्रशासनिक अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की।
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