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ओम बिरला ने तोड़ा जीत का अपना ही पिछला रिकॉर्ड, इस बार 2 लाख से ज्यादा मतों से दी कांग्रेस को मात

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Published : May 24, 2019, 6:50 PM IST

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार ओम बिरला ने एक बार फिर जीत दर्ज की. इस बार ओम बिरला ने अपने ही जीत के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए कांग्रेस के राम नारायण मीणा को शिकस्त दी है.

ओम बिरला ने तोड़ा जीत का अपना ही पिछला रिकॉर्ड

कोटा. लोकसभा सीट कोटा-बूंदी से सांसद ओम बिरला ने अपने ही जीत के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. उन्होंने 2,79,677 मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी राम नारायण मीणा को शिकस्त दी है. जबकि पिछली बार 2014 में सांसद ओम बिरला ने कांग्रेस के प्रत्याशी इज्यराज सिंह को 2,00,782 वोटों से मात दी थी. 1952 के बाद से कोटा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत का एक रिकॉर्ड था. बिरला को पिछली बार से 78,895 ज्यादा वोट मिले है. ओम बिरला ने कोटा लोकसभा की सभी विधानसभा सीटों पर बढ़त ली है.

ओम बिरला को जहां 58.53 फ़ीसदी यानि 8,00,051 वोट मिले हैं वहीं कांग्रेस प्रत्याशी राम नारायण मीणा को 38.05 फ़ीसदी यानि 5,20,374 मत ही मिल पाए हैं. बिरला लगातार दूसरी बार कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं. इसके साथ सांसद बिरला लगातार पांच चुनाव जीत चुके हैं. जिनमें वर्ष 2003, 2008 और 2013 में कोटा दक्षिण सीट से विधानसभा चुनाव जीते हैं. इसके बाद 2014 और 2019 में सांसद के चुनाव जीते हैं.

ओम बिरला ने तोड़ा जीत का अपना ही पिछला रिकॉर्ड

बिरला की जीत में मोदी फैक्टर ने बड़ा काम किया है. पीएम नरेंद्र मोदी का जादू चला है जिसके चलते बिरला बड़े अंतर से चुनाव जीते हैं. उनका बूथ मैनेजमेंट पूरे राजस्थान ही नहीं देश में जाना जाता है. ऐसे में सभी विधानसभा सीटों पर क्षेत्र का फायदा भी मिला है. इसके साथ बिरला ने जातिगत समीकरणों पर भी नजर बनाए रखी. उन्होंने कास्ट मैनेजमेंट पर ध्यान दिया और इसके लिए उन्होंने रणनीति तैयार की.

कोटा. लोकसभा सीट कोटा-बूंदी से सांसद ओम बिरला ने अपने ही जीत के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. उन्होंने 2,79,677 मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी राम नारायण मीणा को शिकस्त दी है. जबकि पिछली बार 2014 में सांसद ओम बिरला ने कांग्रेस के प्रत्याशी इज्यराज सिंह को 2,00,782 वोटों से मात दी थी. 1952 के बाद से कोटा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत का एक रिकॉर्ड था. बिरला को पिछली बार से 78,895 ज्यादा वोट मिले है. ओम बिरला ने कोटा लोकसभा की सभी विधानसभा सीटों पर बढ़त ली है.

ओम बिरला को जहां 58.53 फ़ीसदी यानि 8,00,051 वोट मिले हैं वहीं कांग्रेस प्रत्याशी राम नारायण मीणा को 38.05 फ़ीसदी यानि 5,20,374 मत ही मिल पाए हैं. बिरला लगातार दूसरी बार कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं. इसके साथ सांसद बिरला लगातार पांच चुनाव जीत चुके हैं. जिनमें वर्ष 2003, 2008 और 2013 में कोटा दक्षिण सीट से विधानसभा चुनाव जीते हैं. इसके बाद 2014 और 2019 में सांसद के चुनाव जीते हैं.

ओम बिरला ने तोड़ा जीत का अपना ही पिछला रिकॉर्ड

बिरला की जीत में मोदी फैक्टर ने बड़ा काम किया है. पीएम नरेंद्र मोदी का जादू चला है जिसके चलते बिरला बड़े अंतर से चुनाव जीते हैं. उनका बूथ मैनेजमेंट पूरे राजस्थान ही नहीं देश में जाना जाता है. ऐसे में सभी विधानसभा सीटों पर क्षेत्र का फायदा भी मिला है. इसके साथ बिरला ने जातिगत समीकरणों पर भी नजर बनाए रखी. उन्होंने कास्ट मैनेजमेंट पर ध्यान दिया और इसके लिए उन्होंने रणनीति तैयार की.

Intro:कोटा.
कोटा बूंदी लोकसभा सीट से सांसद ओम बिरला ने अपने ही जीत के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. उन्होंने 279677 मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी राम नारायण मीणा को शिकस्त दी है. जबकि पिछली बार 2014 में सांसद ओम बिरला ने कांग्रेस के प्रत्याशी इज्यराज सिंह को 200782 वोटों से मात दी थी. जो 1952 के बाद से कोटा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत का एक रिकॉर्ड था. बिरला को पिछली बार से 78895 ज्यादा वोट मिले है. ओम बिरला ने कोटा लोकसभा की सभी विधानसभा सीटों पर बढ़त ली है.


Body:ओम बिरला को जहां 58.53 फ़ीसदी यानि 800051 वोट मिले हैं वहीं कांग्रेस प्रत्याशी राम नारायण मीणा को 38.05 फ़ीसदी यानि 520374 मत ही मिल पाए हैं. बिरला लगातार दूसरी बार कोटा बूंदी लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं. इसके साथ सांसद बिरला लगातार पांच चुनाव जीत चुके हैं, जिनके वर्ष 2003, 2008 और 2013 में कोटा दक्षिण सीट से विधानसभा चुनाव जीते है. इसके बाद 2014 और 2019 में सांसद के चुनाव जीते है.



Conclusion:बिरला की जीत में मोदी फेक्टर ने बड़ा काम किया है. पीएम नरेंद्र मोदी का जादू चला है, जिसके चलते बिरला बड़े अंतर से चुनाव जीते हैं. उनका बूथ मैनेजमेंट पूरे राजस्थान ही नहीं देश में जाना जाता है. ऐसे में सभी विधानसभा सीटों पर क्षेत्र का फायदा भी मिला है. इसके साथ बिरला ने जातिगत समीकरणों पर भी नजर बनाए रखी. उन्होंने कास्ट मैनेजमेंट पर ध्यान दिया और इसके लिए उन्होंने रणनीति तैयार की.
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