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झुंझुनू की राजनीति में ना ओला परिवार खत्म हुआ है और ना ही कांग्रेस : नरेंद्र खीचड़ - Shishram Ola

लोकसभा सीट झुंझुनू पर 3,00,000 से अधिक मतों से जीत दर्ज करने वाले सांसद नरेंद्र कुमार खीचड़ ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि झुंझुनू की राजनीति में ना ओला परिवार खत्म हुआ है और ना ही कांग्रेस खत्म हुई है.

ओला परिवार को लेकर बीजेपी सांसद का बड़ा बयान
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Published : May 25, 2019, 12:35 PM IST

झुंझुनू. बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद नरेंद्र खींचड़ ने कहा कि ऐसा कैसे कहा जा सकता है कि अब झुंझुनू की राजनीति में ओला परिवार प्रासंगिक नहीं रहा है जबकि शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र अभी विधायक हैं तो उनकी पुत्रवधू राजबाला भी जिला प्रमुख रहीं हैं. ऐसा किसी के बारे में भी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जो काम करता है वह तो राजनीति में बना रहेगा. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए भी उन्होंने कहा कि यदि झुंझुनू की बात करें तो 8 में से 5 विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है. फतेहपुर भी झुंझुनूं लोकसभा सीट में आता है और ऐसे में उनके पास 6 विधानसभा सीटें हैं.

ओला परिवार को लेकर बीजेपी सांसद का बड़ा बयान

ओला परिवार का कट गया था टिकट
गौरतलब है कि वर्ष 1996 से लेकर 2014 तक कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला का एकछत्र राज झुंझुनू में रहा था. वे झुंझुनू के गांव के सरपंच से लेकर केंद्र सरकार तक दखल रखते थे. उनकी केंद्र और राज्य की राजनीति में तूती बोलती थी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मंत्री रहते हुए शीशराम ओला की मृत्यु हो गई.

इसके बाद झुंझुनू लोकसभा सीट पर उनकी पुत्रवधू राजबाला ओला को टिकट दिया गया लेकिन वो करीब 2,33,000 मतों से चुनाव हार गई. इस बार के लोकसभा चुनाव में ओला परिवार से विधायक बृजेंद्र ओला, पूर्व जिला प्रमुख राजबाला, महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव आकांक्षा ओला टिकट की दौड़ में थे, लेकिन उनकी जगह श्रवण कुमार को टिकट थमाया गया हालांकि वे भी तीन लाख से ज्यादा मतों से चुनाव हार गए हैं.

झुंझुनू. बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद नरेंद्र खींचड़ ने कहा कि ऐसा कैसे कहा जा सकता है कि अब झुंझुनू की राजनीति में ओला परिवार प्रासंगिक नहीं रहा है जबकि शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र अभी विधायक हैं तो उनकी पुत्रवधू राजबाला भी जिला प्रमुख रहीं हैं. ऐसा किसी के बारे में भी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जो काम करता है वह तो राजनीति में बना रहेगा. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए भी उन्होंने कहा कि यदि झुंझुनू की बात करें तो 8 में से 5 विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है. फतेहपुर भी झुंझुनूं लोकसभा सीट में आता है और ऐसे में उनके पास 6 विधानसभा सीटें हैं.

ओला परिवार को लेकर बीजेपी सांसद का बड़ा बयान

ओला परिवार का कट गया था टिकट
गौरतलब है कि वर्ष 1996 से लेकर 2014 तक कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला का एकछत्र राज झुंझुनू में रहा था. वे झुंझुनू के गांव के सरपंच से लेकर केंद्र सरकार तक दखल रखते थे. उनकी केंद्र और राज्य की राजनीति में तूती बोलती थी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मंत्री रहते हुए शीशराम ओला की मृत्यु हो गई.

इसके बाद झुंझुनू लोकसभा सीट पर उनकी पुत्रवधू राजबाला ओला को टिकट दिया गया लेकिन वो करीब 2,33,000 मतों से चुनाव हार गई. इस बार के लोकसभा चुनाव में ओला परिवार से विधायक बृजेंद्र ओला, पूर्व जिला प्रमुख राजबाला, महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव आकांक्षा ओला टिकट की दौड़ में थे, लेकिन उनकी जगह श्रवण कुमार को टिकट थमाया गया हालांकि वे भी तीन लाख से ज्यादा मतों से चुनाव हार गए हैं.

Intro:झुंझुनू । झुंझुनू लोकसभा सीट पर 300000 से अधिक मतों से जीत दर्ज करने वाले सांसद नरेंद्र कुमार खीचड़ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ना तो झुंझुनू की राजनीति में ओला परिवार खत्म हुआ है और ना ही कांग्रेस खत्म हुई है।. उन्होंने कहा कि ऐसा कैसे कहा जा सकता है कि अब झुंझुनू की राजनीति में ओला परिवार प्रासंगिक नहीं रहा है ।शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र अभी विधायक हैं तो उनकी पुत्रवधू राजबाला भी जिला प्रमुख रही है ।ऐसा किसी के बारे में भी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जो काम करता है वह तो राजनीति में बना रहेगा। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए भी उन्होंने कहा कि यदि झुंझुनू की बात करें तो 8 में से 5 विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है। फतेहपुर हमारी लोकसभा सीट में आता है और ऐसे में उनके पास 6 विधानसभा सीटें हैं।


Body:ओला परिवार का कट गया था टिकट
गौरतलब है कि वर्ष 1996 से लेकर कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला का एकछत्र राज झुंझुनू में रहा था ।वे झुंझुनू के गांव के सरपंच से लेकर केंद्र सरकार तक दखल रखते थे। उनकी केंद्र व राज्य की राजनीति में तूती बोलती थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मंत्री रहते हुए शीशराम ओला की मृत्यु हो गई। इसके बाद झुंझुनू लोकसभा सीट पर उनकी पुत्रवधू राजबाला ओला को टिकट दिया गया लेकिन में करीब 233000 मतों से चुनाव हार गई थी । इस बार के लोकसभा चुनाव में ओला परिवार के विधायक बृजेंद्र ओला, पूर्व जिला प्रमुख राजबाला, महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव आकांक्षा ओला टिकट की दौड़ में थे। लेकिन उनकी जगह श्रवण कुमार को टिकट थमाया गया हालांकि वे भी तीन लाख से ज्यादा मतों से चुनाव हार गए हैं।


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