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सबरीमाला की तरह कोटा के हनुमान मंदिर में भी महिलाओं के प्रवेश पर रोक

एक ओर केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर देशभर में बहस छिड़ी हुई है. वहीं अब कोटा के हनुमान मंदिर में लिंग भेद की तस्वीर सामने आई है. कोटा के हनुमान मंदिर के गेट पर बाकायदा एक नोटिस बोर्ड लगाया गया है.

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Published : Apr 23, 2019, 2:35 PM IST

कोटा के हनुमान मंदिर में भी महिलाओं के प्रवेश पर रोक

कोटा. जिले के हनुमान मंदिर के गेट पर लगे इस नोटिस बोर्ड पर लिख कर साफ-साफ हिदायत दी गई है कि "मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है". हालांकि इसके पीछे की वजह के बारे में ना तो मंदिर के पुजारी और ना ही कोई भक्त खुलकर कुछ बता पा रहे हैं.

कोटा के हनुमान मंदिर में भी महिलाओं के प्रवेश पर रोक

बता दें कि यह हनुमान मंदिर कोटा के बोरखेड़ा इलाके में सहारा एंक्लेव कॉलोनी के एक पार्क में स्थित है, जो पूरी कॉलोनी की आस्था का केंद्र है. चाहे अपने दिन की शुरुआत हो या कोई भी शुभकाम इलाके के सभी लोग पहले बालाजी के मंदिर में धोक लगाते हैं. मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और अपने कार्य की शुरुआत करते हैं. लोगों को लगता है कि उनके आराध्य से मिलने के बाद अब कोई समस्या उन्हें छू भी नहीं सकती है. लेकिन अब जब मंदिर के गेट पर बोर्ड लिखकर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाते हुए लिख दिया गया है कि महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, तो महिलाओं में इसके लिए थोड़ी निराशा जरूर है.

कुछ तानाशाहों के इस फरमान ने भक्तों की आस्था पर चोट कर दी है, भक्तों को उन्हें भगवान से दूर करने के नापाक कोशिश की है. भक्त और भगवान के बीच की दूरियां बढ़ा दी है. हालांकि इस विषय पर जब मंदिर में जाने वाली वक्त महिलाओं से पूछा गया तो उनका कहना है कि मंदिर परिसर में जगह कम होने की वजह से शायद महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है. वहीं सामाजिक जिम्मेदारी मानते हुए महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने के बजाय बाहर से ही हनुमान जी के दर्शन पूजा करना शुरू कर दिया है. यहां सवाल उठता है कि जगह कम होने पर केवल महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी क्यों.

कोटा. जिले के हनुमान मंदिर के गेट पर लगे इस नोटिस बोर्ड पर लिख कर साफ-साफ हिदायत दी गई है कि "मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है". हालांकि इसके पीछे की वजह के बारे में ना तो मंदिर के पुजारी और ना ही कोई भक्त खुलकर कुछ बता पा रहे हैं.

कोटा के हनुमान मंदिर में भी महिलाओं के प्रवेश पर रोक

बता दें कि यह हनुमान मंदिर कोटा के बोरखेड़ा इलाके में सहारा एंक्लेव कॉलोनी के एक पार्क में स्थित है, जो पूरी कॉलोनी की आस्था का केंद्र है. चाहे अपने दिन की शुरुआत हो या कोई भी शुभकाम इलाके के सभी लोग पहले बालाजी के मंदिर में धोक लगाते हैं. मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और अपने कार्य की शुरुआत करते हैं. लोगों को लगता है कि उनके आराध्य से मिलने के बाद अब कोई समस्या उन्हें छू भी नहीं सकती है. लेकिन अब जब मंदिर के गेट पर बोर्ड लिखकर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाते हुए लिख दिया गया है कि महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, तो महिलाओं में इसके लिए थोड़ी निराशा जरूर है.

कुछ तानाशाहों के इस फरमान ने भक्तों की आस्था पर चोट कर दी है, भक्तों को उन्हें भगवान से दूर करने के नापाक कोशिश की है. भक्त और भगवान के बीच की दूरियां बढ़ा दी है. हालांकि इस विषय पर जब मंदिर में जाने वाली वक्त महिलाओं से पूछा गया तो उनका कहना है कि मंदिर परिसर में जगह कम होने की वजह से शायद महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है. वहीं सामाजिक जिम्मेदारी मानते हुए महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने के बजाय बाहर से ही हनुमान जी के दर्शन पूजा करना शुरू कर दिया है. यहां सवाल उठता है कि जगह कम होने पर केवल महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी क्यों.

Intro:कोटा.
एक ओर केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर देशभर में बस छिड़ी हुई है. वहीं अब कोटा के हनुमान मंदिर में लिंग भेद की तस्वीर सामने आई है. कोटा के हनुमान मंदिर के गेट पर बाकायदा एक नोटिस बोर्ड लिख कर लगाया गया है. जिस पर साफ-साफ हिदायत दी गई है कि "मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है". हालांकि इसके पीछे की वजह के बारे में ना तो मंदिर के पुजारी और ना ही कोई भक्त खुलकर कुछ बता पा रहे हैं, लेकिन मंदिर के गेट पर लगे बोर्ड पर छपे तुगलकी फरमान को ही अपनी सामाजिक जिम्मेदारी मानते हुए महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने के बजाय बाहर से ही हनुमान जी के दर्शन पूजा करना शुरू कर दिया है.


Body:यह हनुमान मंदिर कोटा के बोरखेड़ा इलाके में सहारा एंक्लेव कॉलोनी के एक पार्क में स्थित है, जो पूरी कॉलोनी की आस्था का केंद्र है. चाहे अपने दिन की शुरुआत हो या कोई भी शुभकाम इलाके के सभी लोग पहले बालाजी के मंदिर में धोक लगाते हैं. मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और अपने कार्य की शुरुआत करते हैं. लोगों को लगता है कि उनके आराध्य से मिलने के बाद अब कोई समस्या उन्हें छू भी नहीं सकती है, लेकिन अब जब मंदिर के गेट पर बोर्ड लिखकर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाते हुए लिख दिया गया है कि महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, तो महिलाओं में इसके लिए थोड़ी निराशा जरूर है. कुछ पुरुष प्रधान तानाशाहो का तुगलकी फरमान ने भक्तों की आस्था पर चोट कर दी है, भक्तों को उन्हें भगवान से दूर करने के नापाक कोशिश की है. भक्त और भगवान के बीच की दूरियां बढ़ा दी है, हालांकि इस विषय पर जब मंदिर में जाने वाली वक्त महिलाओं से पूछा गया तो उनका कहना है कि मंदिर परिसर में जगह कम होने की वजह से शायद महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है. जगह कम होने पर केवल महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी क्यों.


Conclusion:मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकने वाली यह तस्वीर समाज में लिंगभेद, भेदभाव व छुआछूत को बढ़ाने वाली है. साथ ही बात बात पर महिलाओं को देवी का दर्जा देने वाले पुरुष प्रधान समाज का दर्शन करवाने वाली है.

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पैकेज में बाइट का क्रम
बाइट-- राज जलवानिया, भक्त महिला
बाइट-- नीतू, भक्त महिला
बाइट-- महेंद्र शर्मा, सदस्य, मंदिर समिति
बाइट-- राजेंद्र खत्री, भक्त
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