अलवर. लोकसभा सीट अलवर से भाजपा के बालकनाथ विजयी हुए. लेकिन इतने अंतर से जीत दर्ज करेंगे इसकी उम्मीद किसी भी राजनीतिक विशेषज्ञ ने नहीं की थी. राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस सीट पर जितेंद्र सिंह और बालकनाथ के बीच ज्यादा से ज्यादा 1 लाख का अंतर मान रहे थे. लेकिन बालक नाथ ने बड़ी जीत दर्ज की है. चुनाव परिणाम से पहले बालक नाथ ने कहा था कि चौंकाने वाले नतीजे आएंगे. परिणाम आए तो ऐसा ही हुआ.
2014 में महंत चांदनाथ ने 2 लाख 83 हजार वोटों से जितेंद्र सिंह को हराया था. अब उनके शिष्य बालकनाथ ने 3 लाख 29 हजार 971 वोटों से पराजित किया है. महंत चांदनाथ रोहतक के अस्थल बोहर मठ के मठाधीश थे.
जब बालकनाथ को पार्टी ने टिकट दिया था तो उस समय भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया था. लेकिन बालकनाथ को मोदी लहर का फायदा मिला. साथ ही बहरोड़ से उन्होंने 98 हजार 754 वोट की बढ़त लेकर खुद को साबित किया.
अलवर लोकसभा सीट से जितेन्द्र सिंह हारे लेकिन अलवर शहर से 43 हजार के अंतर की हार होगी, यह किसी ने नहीं सोचा था. कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का चुनाव से पूर्व दावा था कि जितेन्द्र सिंह ने अलवर शहर में खूब विकास कराया है, इसका फायदा उन्हें मिलेगा. लेकिन नतीजे इसके उलट आए. जितेन्द्र सिंह शहर विधानसभा से 43 हजार वोट से चुनाव हार गए. 2018 के लोकसभा उपचुनाव में अलवर शहर से कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी लेकिन अब बालक नाथ ने यहां से बढ़त हासिल की है.