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मोदी लहर में दूसरी बार हारे जितेंद्र सिंह, पिछली बार से भी ज्यादा रहा अंतर

अलवर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी भंवर जितेन्द्र सिंह को मोदी लहर में दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा. राहुल गांधी के करीबी पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह इससे पहले 2014 में भी चुनाव हार गए थे.

मोदी लहर में दूसरी बार हारे जितेंद्र सिंह
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Published : May 24, 2019, 10:15 AM IST

अलवर. लोकसभा सीट अलवर से भाजपा के बालकनाथ विजयी हुए. लेकिन इतने अंतर से जीत दर्ज करेंगे इसकी उम्मीद किसी भी राजनीतिक विशेषज्ञ ने नहीं की थी. राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस सीट पर जितेंद्र सिंह और बालकनाथ के बीच ज्यादा से ज्यादा 1 लाख का अंतर मान रहे थे. लेकिन बालक नाथ ने बड़ी जीत दर्ज की है. चुनाव परिणाम से पहले बालक नाथ ने कहा था कि चौंकाने वाले नतीजे आएंगे. परिणाम आए तो ऐसा ही हुआ.

2014 में महंत चांदनाथ ने 2 लाख 83 हजार वोटों से जितेंद्र सिंह को हराया था. अब उनके शिष्य बालकनाथ ने 3 लाख 29 हजार 971 वोटों से पराजित किया है. महंत चांदनाथ रोहतक के अस्थल बोहर मठ के मठाधीश थे.

जब बालकनाथ को पार्टी ने टिकट दिया था तो उस समय भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया था. लेकिन बालकनाथ को मोदी लहर का फायदा मिला. साथ ही बहरोड़ से उन्होंने 98 हजार 754 वोट की बढ़त लेकर खुद को साबित किया.

मोदी लहर में दूसरी बार हारे जितेंद्र सिंह

अलवर लोकसभा सीट से जितेन्द्र सिंह हारे लेकिन अलवर शहर से 43 हजार के अंतर की हार होगी, यह किसी ने नहीं सोचा था. कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का चुनाव से पूर्व दावा था कि जितेन्द्र सिंह ने अलवर शहर में खूब विकास कराया है, इसका फायदा उन्हें मिलेगा. लेकिन नतीजे इसके उलट आए. जितेन्द्र सिंह शहर विधानसभा से 43 हजार वोट से चुनाव हार गए. 2018 के लोकसभा उपचुनाव में अलवर शहर से कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी लेकिन अब बालक नाथ ने यहां से बढ़त हासिल की है.

अलवर. लोकसभा सीट अलवर से भाजपा के बालकनाथ विजयी हुए. लेकिन इतने अंतर से जीत दर्ज करेंगे इसकी उम्मीद किसी भी राजनीतिक विशेषज्ञ ने नहीं की थी. राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस सीट पर जितेंद्र सिंह और बालकनाथ के बीच ज्यादा से ज्यादा 1 लाख का अंतर मान रहे थे. लेकिन बालक नाथ ने बड़ी जीत दर्ज की है. चुनाव परिणाम से पहले बालक नाथ ने कहा था कि चौंकाने वाले नतीजे आएंगे. परिणाम आए तो ऐसा ही हुआ.

2014 में महंत चांदनाथ ने 2 लाख 83 हजार वोटों से जितेंद्र सिंह को हराया था. अब उनके शिष्य बालकनाथ ने 3 लाख 29 हजार 971 वोटों से पराजित किया है. महंत चांदनाथ रोहतक के अस्थल बोहर मठ के मठाधीश थे.

जब बालकनाथ को पार्टी ने टिकट दिया था तो उस समय भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया था. लेकिन बालकनाथ को मोदी लहर का फायदा मिला. साथ ही बहरोड़ से उन्होंने 98 हजार 754 वोट की बढ़त लेकर खुद को साबित किया.

मोदी लहर में दूसरी बार हारे जितेंद्र सिंह

अलवर लोकसभा सीट से जितेन्द्र सिंह हारे लेकिन अलवर शहर से 43 हजार के अंतर की हार होगी, यह किसी ने नहीं सोचा था. कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का चुनाव से पूर्व दावा था कि जितेन्द्र सिंह ने अलवर शहर में खूब विकास कराया है, इसका फायदा उन्हें मिलेगा. लेकिन नतीजे इसके उलट आए. जितेन्द्र सिंह शहर विधानसभा से 43 हजार वोट से चुनाव हार गए. 2018 के लोकसभा उपचुनाव में अलवर शहर से कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी लेकिन अब बालक नाथ ने यहां से बढ़त हासिल की है.

Intro:अलवर

अलवर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी भंवर जितेन्द्र सिंह को मोदी लहर में दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी के करीबी रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह इससे पहले 2014 में भी चुनाव हार गए थे। अलवर सीट से भाजपा के बालकनाथ की इतनी बड़ी जीत की किसी को उम्मीद नहीं थी।




Body:राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस सीट पर जितेंद्र सिंह व बालकनाथ के बीच ज्यादा से ज्यादा 1 लाख का अंतर मान रहे थे। लेकिन बालक नाथ ने बड़ी जीत दर्ज की है। चुनाव परिणाम से पहले बालक नाथ ने कहा था कि चौंकाने वाले नतीजे आएंगे। परिणाम आए तो ऐसा ही हुआ।

2014 में महंत चांदनाथ ने 2 लाख 83 हजार वोटों से जितेंद्र सिंह को हराया था। अब उनके शिष्य बालकनाथ ने 3 लाख 29 हजार 971 वोटों से पराजित किया है। महंत चांदनाथ रोहतक के अस्थल बोहर मठ के मठाधीश थे।

जब बालकनाथ को पार्टी ने टिकट दिया था। तो उस समय भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया था। लेकिन बालक नाथ को मोदी लहर का फायदा मिला, साथ ही बहरोड़ से उन्होंने 98 हजार 754 वोट की बढ़त लेकर खुद को साबित किया।


Conclusion:अलवर लोकसभा सीट से जितेन्द्र सिंह हारे, लेकिन अलवर शहर से 43 हजार के अंतर की हार होगी। यह किसी ने नहीं सोचा था। कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का चुनाव से पूर्व दावा था कि जितेन्द्र सिंह ने अलवर शहर में खूब विकास कराया है, इसका फायदा उन्हें मिलेगा। लेकिन नतीजे इसके उलट आए। जितेन्द्र सिंह शहर से 43 हजार वोट से चुनाव हार गए। 2018 के लोकसभा उपचुनाव में अलवर शहर से कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी। लेकिन अब बालक नाथ ने यहां से बढ़त हासिल की है।

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