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मिशन एडमिशन : सिर्फ जिद के आधार पर तय ना करें करियर...डॉक्टर, कलेक्टर और इंजीनियर के आलावा और भी हैं बहुत सारे विकल्प - Rajasthan

10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद कैरियर में अवसर और अपने पसंदीदा विषय को चयन करने के लिए जहां विद्यार्थी पर खुद पर दबाव होता है तो वहीं उनके अभिभावक भी अपनी पसंद कहीं ना कहीं बच्चे पर थोपते हुए नजर आते हैं. जिसके चलते स्थिति संशय की बन जाती है. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज मिशन एडमिशन में इन संशय को दूर करने का प्रयास करते हुए कैरियर को चुनने के लिए कुछ फील्ड से आपको रूबरू करवा रहा है.

सिर्फ जिद के आधार पर तय ना करें करियर
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Published : Jul 12, 2019, 4:27 PM IST

बीकानेर. दसवीं की परीक्षा की खत्म होने के साथ ही बच्चों और उनके अभिभावकों की चिंता शुरू हो जाती है कि बोर्ड के एग्जाम के बाद अब बच्चा किस राह को पकड़े हालांकि बच्चे का दसवीं तक का रुझान और उसका अपनी पढ़ाई के प्रति लगाव बता देता है उसको किस राह को चुनना चाहिए लेकिन बावजूद इसके कई बार अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए माता-पिता भी उसके निर्णय में अपनी इच्छा को थोप देते हैं. शिक्षा के महत्वपूर्ण माने जाने वाले पहले पड़ाव के रूप में दसवीं की परीक्षा होती है. इस वक्त चुनी हुई राह बच्चे के भविष्य को क्या करती है और इसी को लेकर बीकानेर में ईटीवी भारत ने एक्सपर्ट और अभिभावकों के साथ ही बच्चों से बात की.

राजस्थान में कोटा और सीकर के बाद बीकानेर में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग इंडस्ट्री बन रही है. इसी को लेकर विद्यार्थियों में यहां रुझान दिख रहा है और पिछले एक दशक में बीकानेर में मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए काफी कोचिंग सेंटर शुरू हुए हैं. बीकानेर के एजुकेशन एक्सपर्ट मनोज बजाज कहते हैं कि आजकल मेडिकल और इंजीनियरिंग को लेकर अभिभावक ज्यादा सक्रिय हैं और बच्चे भी इसी और रुझान कर रहे हैं लेकिन किसी भी क्षेत्र में अपने भविष्य को बनाने से पहले हर बात पर गौर करना जरूरी है जिसमें विद्यार्थी का रुझान और उसका एजुकेशन रिकॉर्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

बजाज कहते हैं कि केवल जिद के आधार पर कैरियर तय नहीं हो सकता. बजाज कहते हैं कि केवल मेडिकल में ही प्रवेश हो यह जरूरी नहीं है और साइंस फील्ड के स्टूडेंट के लिए मेडिकल में डॉक्टर बनने के अलावा कई और सेक्टर में भी बेहतर ऑप्शन हैं. जिसमें वेटरनरी डॉक्टर बीएससी फार्मा, एग्रीकल्चर जैसे बड़े फील्ड भी खुले हैं.

डॉक्टर, कलेक्टर और इंजीनियर के आलावा और भी हैं बहुत सारे विकल्प

वही कॉमर्स के लिए सीए आईसीडब्ल्यूए जैसे फील्ड में भी अच्छा स्कोप है और इस फील्ड का स्टूडेंट यहां पर भी सक्सेस हो सकता है. बजाज कहते हैं कि 10वीं और 12वीं में प्राप्त नंबर फील्ड तय करने का जरिया कई बार नहीं होता है क्योंकि जिस दिन एग्जाम होता है हो सकता है वह दिन सही नहीं गया हो लेकिन रुचि महत्वपूर्ण है.

बीकानेर में मेडिकल और इजीनियरिंग को लेकर पिछले एक दशक से जोरदार बूम देखने को मिला है और कोटा और सीकर के बाद बीकानेर से बड़ी संख्या में सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ ही एम्स में भी बीकानेर के बच्चों का सिलेक्शन हुआ है. साथ ही जेईई और आईआईटी में भी बीकानेर की धाक देखने को मिली है. यही कारण है कि बीकानेर में स्टूडेंट भी डॉक्टर बनकर मेडिकल लाइन को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं. बालाजी बीकानेर में पॉलिटेक्निक कॉलेज गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में भी बड़ी संख्या में प्रवेश हो रहे हैं तो वहीं प्रशासनिक सेवाओं में जाने को लेकर भी बीकानेर में बेहतर अवसर देखने को मिल रहे हैं.

अभिभावक सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि बच्चे की रुचि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और केवल डॉक्टर और इंजीनियर बनना या कलेक्टर और अफसर बनना ही कैरियर नहीं है. एक अच्छा चित्रकार, राजनेता, वकील बनकर भी बेहतर करियर बनाया जा सकता है और बच्चे की इच्छा के अनुरूप ही अभिभावकों को इस दिशा में सोचना चाहिए और बच्चे को अपने हिसाब से कैरियर को तय करने की छूट देनी चाहिए. सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि माता-पिता की जिम्मेदारी है और उस जिम्मेदारी को उन्हें निभाना गलत नहीं है लेकिन अपना निर्णय थोपना भी बच्चे के भविष्य के लिए सही नहीं है.

बीकानेर. दसवीं की परीक्षा की खत्म होने के साथ ही बच्चों और उनके अभिभावकों की चिंता शुरू हो जाती है कि बोर्ड के एग्जाम के बाद अब बच्चा किस राह को पकड़े हालांकि बच्चे का दसवीं तक का रुझान और उसका अपनी पढ़ाई के प्रति लगाव बता देता है उसको किस राह को चुनना चाहिए लेकिन बावजूद इसके कई बार अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए माता-पिता भी उसके निर्णय में अपनी इच्छा को थोप देते हैं. शिक्षा के महत्वपूर्ण माने जाने वाले पहले पड़ाव के रूप में दसवीं की परीक्षा होती है. इस वक्त चुनी हुई राह बच्चे के भविष्य को क्या करती है और इसी को लेकर बीकानेर में ईटीवी भारत ने एक्सपर्ट और अभिभावकों के साथ ही बच्चों से बात की.

राजस्थान में कोटा और सीकर के बाद बीकानेर में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग इंडस्ट्री बन रही है. इसी को लेकर विद्यार्थियों में यहां रुझान दिख रहा है और पिछले एक दशक में बीकानेर में मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए काफी कोचिंग सेंटर शुरू हुए हैं. बीकानेर के एजुकेशन एक्सपर्ट मनोज बजाज कहते हैं कि आजकल मेडिकल और इंजीनियरिंग को लेकर अभिभावक ज्यादा सक्रिय हैं और बच्चे भी इसी और रुझान कर रहे हैं लेकिन किसी भी क्षेत्र में अपने भविष्य को बनाने से पहले हर बात पर गौर करना जरूरी है जिसमें विद्यार्थी का रुझान और उसका एजुकेशन रिकॉर्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

बजाज कहते हैं कि केवल जिद के आधार पर कैरियर तय नहीं हो सकता. बजाज कहते हैं कि केवल मेडिकल में ही प्रवेश हो यह जरूरी नहीं है और साइंस फील्ड के स्टूडेंट के लिए मेडिकल में डॉक्टर बनने के अलावा कई और सेक्टर में भी बेहतर ऑप्शन हैं. जिसमें वेटरनरी डॉक्टर बीएससी फार्मा, एग्रीकल्चर जैसे बड़े फील्ड भी खुले हैं.

डॉक्टर, कलेक्टर और इंजीनियर के आलावा और भी हैं बहुत सारे विकल्प

वही कॉमर्स के लिए सीए आईसीडब्ल्यूए जैसे फील्ड में भी अच्छा स्कोप है और इस फील्ड का स्टूडेंट यहां पर भी सक्सेस हो सकता है. बजाज कहते हैं कि 10वीं और 12वीं में प्राप्त नंबर फील्ड तय करने का जरिया कई बार नहीं होता है क्योंकि जिस दिन एग्जाम होता है हो सकता है वह दिन सही नहीं गया हो लेकिन रुचि महत्वपूर्ण है.

बीकानेर में मेडिकल और इजीनियरिंग को लेकर पिछले एक दशक से जोरदार बूम देखने को मिला है और कोटा और सीकर के बाद बीकानेर से बड़ी संख्या में सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ ही एम्स में भी बीकानेर के बच्चों का सिलेक्शन हुआ है. साथ ही जेईई और आईआईटी में भी बीकानेर की धाक देखने को मिली है. यही कारण है कि बीकानेर में स्टूडेंट भी डॉक्टर बनकर मेडिकल लाइन को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं. बालाजी बीकानेर में पॉलिटेक्निक कॉलेज गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में भी बड़ी संख्या में प्रवेश हो रहे हैं तो वहीं प्रशासनिक सेवाओं में जाने को लेकर भी बीकानेर में बेहतर अवसर देखने को मिल रहे हैं.

अभिभावक सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि बच्चे की रुचि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और केवल डॉक्टर और इंजीनियर बनना या कलेक्टर और अफसर बनना ही कैरियर नहीं है. एक अच्छा चित्रकार, राजनेता, वकील बनकर भी बेहतर करियर बनाया जा सकता है और बच्चे की इच्छा के अनुरूप ही अभिभावकों को इस दिशा में सोचना चाहिए और बच्चे को अपने हिसाब से कैरियर को तय करने की छूट देनी चाहिए. सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि माता-पिता की जिम्मेदारी है और उस जिम्मेदारी को उन्हें निभाना गलत नहीं है लेकिन अपना निर्णय थोपना भी बच्चे के भविष्य के लिए सही नहीं है.

Intro:10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद कैरियर में अवसर और अपने पसंदीदा विषय को चयन करने के लिए जहां विद्यार्थी पर खुद पर दबाव होता है तो वहीं उसके अभिभावक भी अपनी पसंद कहीं ना कहीं बच्चे पर थोपते हुए नजर आते हैं जिसके चलते स्थिति संशय की बन जाती है। ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज मिशन एडमिशन में इन संशय को दूर करने का प्रयास करते हुए कैरियर को चुनने के लिए कुछ फील्ड से आपको रूबरू करवा रहा है।


Body:बीकानेर। दसवीं की परीक्षा की खत्म होने के साथ ही बच्चों और उनके अभिभावकों की चिंता शुरू हो जाती है कि बोर्ड के एग्जाम के बाद अब बच्चा किस राह को पकड़े हालाकी बच्चे का दसवीं तक का रुझान और उसका अपनी पढ़ाई के प्रति लगाव बता देता है उसको किस राह को चुनना चाहिए लेकिन बावजूद इसके कई बार अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए माता-पिता भी उसके निर्णय में अपनी इच्छा को थोप देते हैं। शिक्षा के महत्वपूर्ण माने जाने वाले पहले पड़ाव के रूप में दसवीं की परीक्षा होती है। इस वक्त चुनी हुई रहा बच्चे के भविष्य को क्या करती है और इसी को लेकर बीकानेर में ईटीवी भारत ने एक्सपर्ट और अभिभावकों के साथ ही बच्चों से बात की।

राजस्थान में कोटा और सीकर के बाद बीकानेर में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग इंडस्ट्री बन रही है। इसी को लेकर विधार्थियों में यहां रुझान दिख रहा है और पिछले एक दशक में बीकानेर में मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए काफी कोचिंग सेंटर शुरू हुए हैं। बीकानेर के एजुकेशन एक्सपर्ट मनोज बजाज कहते हैं कि आजकल मेडिकल और इंजीनियरिंग को लेकर अभिभावक ज्यादा सक्रिय हैं और बच्चे भी इसी और रुझान कर रहे हैं लेकिन किसी भी क्षेत्र में अपने भविष्य को बनाने से पहले हर बात पर गौर करना जरूरी है जिसमें विद्यार्थी का रुझान और उसका एजुकेशन रिकॉर्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बजाज कहते हैं कि केवल जिद के आधार पर कैरियर तय नहीं हो सकता। बजाज कहते हैं कि केवल मेडिकल में ही प्रवेश हो यह जरूरी नहीं है और साइंस फील्ड के स्टूडेंट के लिए मेडिकल में डॉक्टर बनने के अलावा कई और सेक्टर में भी बेहतर ऑप्शन हैं। जिसमें वेटरनरी डॉक्टर बीएससी फार्मा, एग्रीकल्चर जैसे बड़े फील्ड भी खुले हैं। वही कॉमर्स के लिए सीए आईसीडब्ल्यूए जैसे फील्ड में भी अच्छा स्कोप है और इस फील्ड का स्टूडेंट यहां पर भी सक्सेस हो सकता है। बजाज कहते हैं कि 10वीं और 12वीं में प्राप्त नंबर फील्ड तय करने का जरिया कई बार नहीं होता है क्योंकि जिस दिन एग्जाम होता है हो सकता है वह दिन सही नहीं गया हो लेकिन रुचि महत्वपूर्ण है।

बीकानेर में मेडिकल और इजीनियरिंग को लेकर पिछले एक दशक से जोरदार बूम देखने को मिला है और कोटा और सीकर के बाद बीकानेर से बड़ी संख्या में सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ ही एम्स में भी बीकानेर के बच्चों का सिलेक्शन हुआ है साथ ही जेईई और आईआईटी में भी बीकानेर की धाक देखने को मिली है। यही कारण है कि बीकानेर में स्टूडेंट भी डॉक्टर बनकर मेडिकल लाइन को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। बालाजी बीकानेर में पॉलिटेक्निक कॉलेज गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में भी बड़ी संख्या में प्रवेश हो रहे हैं तो वहीं प्रशासनिक सेवाओं में जाने को लेकर भी बीकानेर में बेहतर अवसर देखने को मिल रहे हैं।


Conclusion:अभिभावक सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि बच्चे की रुचि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और केवल डॉक्टर और इंजीनियर बनना या कलेक्टर और अफसर बनना ही कैरियर नहीं है एक अच्छा चित्रकार राजनेता वकील बनकर भी बेहतर के लिए बनाया जा सकता है और बच्चे की इच्छा के अनुरूप ही अभिभावकों को इस दिशा में सोचना चाहिए और बच्चे को अपने हिसाब से कैरियर को तय करने की छूट देनी चाहिए। सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि माता-पिता की जिम्मेदारी है और उस जिम्मेदारी को उन्हें निभाना गलत नहीं है लेकिन अपना निर्णय थोपना भी बच्चे के भविष्य के लिए सही नहीं है

बाइट मनोज बजाज एक्सपर्ट

बाइट नवजोत सिंह स्टूडेंट

बाइट देवास गुप्ता स्टूडेंट

बाइट सुरेंद्र सिंह अभिभावक
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