जयपुर. राजस्थान में वन्यजीवों के क्या हालात हैं, कौन से वन्यजीवों की प्राकृतिक माहौल में कितनी तादाद बची है. इन सभी सवालों को लिए शनिवार सुबह 8 बजे से प्रदेश भर के जंगलों में वन्यजीवों की गणना का काम शुरू हो जाएगा. कल सुबह 8 बजे से होने वाली वन्यजीव गणना से उम्मीद है कि बेहतर नतीजे सामने आएंगे. लगातार 24 घंटे की काउंटिंग के बाद में आंकड़ों पर मंथन होगा. और डिवीजन स्तर पर आंकड़े एकत्र करने के बाद में उन्हें वन मुख्यालय भेजा जाएगा.
कल सुबह से जंगल में मचान पर बैठकर लगातार 24 घंटे वन्यजीवों की गणना की जाएगी. जिसमें जंगल में बने सभी वाटर हॉल्स पर निगरानी की जाएगी. वन कर्मियों के साथ में वन्यजीव प्रेमी भी इस काम में वॉलिंटियर्स बनकर मदद करेंगे. और धूप में तपते हुए सभी वन्यजीवों के एक-एक मूवमेंट पर नजर रखेंगे.
प्रदेश में वन्यजीव गणना में कुल 19 प्रजाति के वन्यजीवों की गणना होगी. जिसमें भालू, पैंथर, सियागोश, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर, जंगली सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, काला हिरण, चिंकारा, नेवला, बिज्जू और सेही को गिना जाएगा.
हालांकि प्रदेश में वन्यजीवों की सैकड़ों प्रजातियां है लेकिन गणना में सिर्फ 19 प्रजातियां ही शामिल है. बहुत से दुर्लभ वन्यजीव गणना में शामिल नहीं है. जिनमें चींटीखोर ऐसा जीव है जो लुप्त होने की कगार पर है. लेकिन उसकी काउंटिंग नहीं की जा रही है. वहीं राष्ट्रीय पक्षी मोर समेत किसी भी पक्षी की गणना नहीं की जाती. मगरमच्छ, घड़ियाल, मॉनिटर लिजर्ड जैसे अहम वन्यजीव भी गणना से बाहर है. इनके अलावा सर्प प्रजाति में से भी कोई सांप गणना में शामिल नहीं है.
जयपुर में वन्यजीव गणना के लिए 44 वाटर हॉल चिन्हित किए गए हैं. झालाना में 22 वाटर पॉइंट, गलता में 5, जयसिंहपुरा खोर में 2, सूरजपोल में 2, गोनेर में 2, झोटवाड़ा में 2, मुहाना में 1, और नाहरगढ़ में 8 वाटर पॉइंट्स बनाए गए हैं.
वन विभाग के डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि इन वाटर पॉइंट पर कल सुबह 8 बजे से वन्यजीव गणना शुरू होगी. सभी वाटर पॉइंट पर एक वनकर्मी के साथ वॉलिंटियर्स की ड्यूटी लगाई गई है. वन्यजीव गणना के दौरान झालाना लेपर्ड सफारी में 18 और 19 मई को ऑफलाइन बुकिंग बंद रहेगी. जिन पर्यटकों ने पहले ही ऑनलाइन बुकिंग करवा रखी है सिर्फ उनको ही लेपर्ड सफारी करवाई जाएगी.