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बांसवाड़ा : हॉस्टल में खाना बनाने के दौरान सिलेंडर में लगी आग

घाटोल के अम्बेडकर बालक छात्रावास में सोमवार को रसोइये आधा खाना बनाकर घर चले गए जिससे बच्चों को खाना नहीं मिला. भूख लगने पर बच्चे स्वयं खाना बनाने लगे, इसी दौरान गैस सिलेंडर भभक गया और अफरा-तफरी का माहौल कामयम हो गया.

हॉस्टल में बच्चे बना रहे थे खाना..भभका सिलेंडर
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Published : Apr 23, 2019, 11:00 AM IST

बांसवाड़ा. घाटोल कस्बे के बुनकर मोहल्ले में स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर बालक छात्रावास में सोमवार रात बच्चे खाना बना रहे थे. इसी दौरान गैस सिलेंडर भभक उठा. आनन-फानन में बच्चे बिना किसी को बताए डर के मारे रसोई घर का दरवाजा बंद कर अपने रूम में आकर सो गए. हॉस्टल के पास स्थित बस्ती के लोगों ने हॉस्टल के रसोई घर से आग की लपटें उठती देख हॉस्टल की ओर भागे और आग पर काबू पाया.

हॉस्टल में बच्चे बना रहे थे खाना..भभका सिलेंडर

घटना को लेकर बस्तीवासियों ने बताया कि छात्रावास के रसोई घर में तीन गैस सिलेंडर भरे पड़े थे. समय रहते आग पर काबू नहीं पाया होता तो पूरी बस्ती धमाके के साथ उड़ जाती. वहीं छात्रावास में रहने वाले बच्चे इस घटना से डर गए. सहमे हुए बच्चों ने बताया कि रात को होस्टल में वार्डन नहीं रुकता है. वार्डन पूरे दिन में मात्र एक घण्टे के लिए ही आता है. वार्डन के घर जाने के बाद हॉस्टल के रसोइया भी आधा अधूरा खाना बनाकर घर चले जाते है. ऐसे में बच्चों को रात का खाना खुद ही बनाकर खाना पड़ता है.

सरकार जनजाति हॉस्टलों पर एसटी बच्चों के उच्च शिक्षा के लिये पानी की तरह पैसा बहा रही है. ऐसे में बच्चों को उच्च शिक्षा मिलना तो दूर हॉस्टलों में खाना भी हाथ से बनाकर खाना पड़ रहा है. सरकार की इन जनजाति हॉस्टलों पर नियमित निगरानी नहीं होने से और इन हॉस्टल वार्डन्स के भ्रष्टाचार से इनके भविष्य 'उज्ज्वल' और बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा हैं.

बांसवाड़ा. घाटोल कस्बे के बुनकर मोहल्ले में स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर बालक छात्रावास में सोमवार रात बच्चे खाना बना रहे थे. इसी दौरान गैस सिलेंडर भभक उठा. आनन-फानन में बच्चे बिना किसी को बताए डर के मारे रसोई घर का दरवाजा बंद कर अपने रूम में आकर सो गए. हॉस्टल के पास स्थित बस्ती के लोगों ने हॉस्टल के रसोई घर से आग की लपटें उठती देख हॉस्टल की ओर भागे और आग पर काबू पाया.

हॉस्टल में बच्चे बना रहे थे खाना..भभका सिलेंडर

घटना को लेकर बस्तीवासियों ने बताया कि छात्रावास के रसोई घर में तीन गैस सिलेंडर भरे पड़े थे. समय रहते आग पर काबू नहीं पाया होता तो पूरी बस्ती धमाके के साथ उड़ जाती. वहीं छात्रावास में रहने वाले बच्चे इस घटना से डर गए. सहमे हुए बच्चों ने बताया कि रात को होस्टल में वार्डन नहीं रुकता है. वार्डन पूरे दिन में मात्र एक घण्टे के लिए ही आता है. वार्डन के घर जाने के बाद हॉस्टल के रसोइया भी आधा अधूरा खाना बनाकर घर चले जाते है. ऐसे में बच्चों को रात का खाना खुद ही बनाकर खाना पड़ता है.

सरकार जनजाति हॉस्टलों पर एसटी बच्चों के उच्च शिक्षा के लिये पानी की तरह पैसा बहा रही है. ऐसे में बच्चों को उच्च शिक्षा मिलना तो दूर हॉस्टलों में खाना भी हाथ से बनाकर खाना पड़ रहा है. सरकार की इन जनजाति हॉस्टलों पर नियमित निगरानी नहीं होने से और इन हॉस्टल वार्डन्स के भ्रष्टाचार से इनके भविष्य 'उज्ज्वल' और बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा हैं.

Intro:हॉस्टल में बच्चे बना रहे थे खाना,सिलेंडर भभका, ग्रामीणों ने पाया आग पर काबू,
घाटोल- घाटोल के अम्बेडकर बालक छात्रावास में सोमवार को रसोइये आधा खाना बनाकर घर चले गए जिससे आधे बच्चों को खाना नही मिला। बच्चो को भूख लगने पर बच्चे स्वयं खाना बनाने लगे इसी दौरान गैस सिलेंडर भभक गया। गनीमत रही को आसपास आबदी क्षेत्र होने से बस्तीवासियों ने अपने स्तर पर आग पर काबू पाया और बड़ा हादसा होने से टल गया।
Body:घाटोल-घाटोल कस्बे के बुनकर मोहल्ले में स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर बालक छात्रावास में सोमवार रात 9 बजे बच्चे खाना बना रहे थे इसी दौरान गैस सिलेंडर भभक उठा। आनन फानन में बच्चे बिना किसी को बताये डर के मारे रसोई घर का दरवाजा बंद कर अपने रूम में आकर सो गए।हॉस्टल के पास स्थित बस्तीवासियों ने हॉस्टल के रसोई घर से आग की लपटे उठती देख हॉस्टल की ओर भागे ओर आग पर काबू पाया।
बस्तीवासियों ने बताया कि छात्रावास के रसोई घर में तीन गैस सिलेंडर भरे हुए पड़े थे समय रहते मे आग पर काबू नही पाया होता तो पूरी बस्ती धमाके के साथ उड़ जाती।वही छात्रावास ने रहने वाले बच्चे इस घटना से डर गए। सहमे हुए बच्चो ने बताया कि रात को होस्टल में वार्डन नही रुकता है वार्डन पूरे दिन में मात्र एक घण्टे के लिए ही आता है। वार्डन के घर जाने के बाद होस्टल के रसोईये भी आधा अधूरा खाना बनाकर घर चले जाते है ऐसे में बच्चो को रात का खाना हाथ से बनाकर खाना पड़ता है।Conclusion:सरकार जनजाति हॉस्टलो पर st बच्चो के उच्च शिक्षा के लिये पानी की तरह पैसा बहा रही है ऐसे में बच्चो को उच्च शिक्षा मिलना तो दूर हॉस्टलों में खाना भी हाथ से बनाकर खाना पड रहा है। सरकार की इन जनजाति हॉस्टलों पर नियमित निगरानी नहि होने से इन हॉस्टल वार्डनों के भ्रष्टाचार से वार्डनों के भविष्य उज्ज्वल ओर बच्चो का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है।
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