बांसवाड़ा. घाटोल कस्बे के बुनकर मोहल्ले में स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर बालक छात्रावास में सोमवार रात बच्चे खाना बना रहे थे. इसी दौरान गैस सिलेंडर भभक उठा. आनन-फानन में बच्चे बिना किसी को बताए डर के मारे रसोई घर का दरवाजा बंद कर अपने रूम में आकर सो गए. हॉस्टल के पास स्थित बस्ती के लोगों ने हॉस्टल के रसोई घर से आग की लपटें उठती देख हॉस्टल की ओर भागे और आग पर काबू पाया.
घटना को लेकर बस्तीवासियों ने बताया कि छात्रावास के रसोई घर में तीन गैस सिलेंडर भरे पड़े थे. समय रहते आग पर काबू नहीं पाया होता तो पूरी बस्ती धमाके के साथ उड़ जाती. वहीं छात्रावास में रहने वाले बच्चे इस घटना से डर गए. सहमे हुए बच्चों ने बताया कि रात को होस्टल में वार्डन नहीं रुकता है. वार्डन पूरे दिन में मात्र एक घण्टे के लिए ही आता है. वार्डन के घर जाने के बाद हॉस्टल के रसोइया भी आधा अधूरा खाना बनाकर घर चले जाते है. ऐसे में बच्चों को रात का खाना खुद ही बनाकर खाना पड़ता है.
सरकार जनजाति हॉस्टलों पर एसटी बच्चों के उच्च शिक्षा के लिये पानी की तरह पैसा बहा रही है. ऐसे में बच्चों को उच्च शिक्षा मिलना तो दूर हॉस्टलों में खाना भी हाथ से बनाकर खाना पड़ रहा है. सरकार की इन जनजाति हॉस्टलों पर नियमित निगरानी नहीं होने से और इन हॉस्टल वार्डन्स के भ्रष्टाचार से इनके भविष्य 'उज्ज्वल' और बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा हैं.