जैसलमेर .सीमा सुरक्षा बल के 56वीं बटालियन के उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार ने इस लैब का उद्घाटन सैकड़ों ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया. सीमा सुरक्षा बल का सरहदी क्षेत्र में छात्रों के लिए पहला कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर है. सीमा सुरक्षा बल के सामाजिक सरोकार को ग्रामीणों ने जमकर सराहा है.
आपको बता दें कि सीमा सुरक्षा बल के कमांडेंट एस एस माड स्टेट ऑफ आर्ट के तहत ग्रामीणों की मांग पर गांव में कंप्यूटर ट्रेनिंग और रिक्रूटमेंट सेंटर स्थापित करने की योजना पर विचार कर रहे थे. इसी कड़ी में उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की गवाह बनी पुरानी पोस्ट जो रेगिस्तानी धोरों में दब चुकी थी. उस पर से रेगिस्तानी टीलों को हटाने का कार्य शुरू कराया था. जिसमें करीब 10 महीने का समय लग गया. जिसके बाद इस सेंटर का पुनर्निर्माण करवाया गया है. पोस्ट के आसपास रेत के टीलों को हटाकर इसे खेल मैदान के रूप में तब्दील किया गया है.
56 वीं बटालियन के बहादुर जवानों ने सीमा पर बसे इस गांव के बच्चों को आधुनिक युग से जोड़ने की ठानी है. वहीं वर्षों से रेत में दफन बीओपी का नजारा ही बदल दिया. करीब 10 फीट तक रेत में दफन हो चुकी बीओपी को रेत से बाहर निकाला. आज इस पुरानी सीमा चौकी में सीमावर्ती गांव के बच्चे कंप्यूटर सीख रहे हैं. कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र के साथ-साथ भर्ती सहायता केंद्र भी खोला है. जिसमें युवाओं को बीएसएफ में भर्ती के लिए प्रेरित किया जाता है. कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र में सीमावर्ती गांव के 61 बच्चों का पंजीयन किया गया है. जिन्हें बीएसएफ के जवानों की ओर से कंप्यूटर सिखाया जा रहा है. इन बच्चों के साथ साथ गांव के सीनियर सिटीजन भी कंप्यूटर सीखने आ रहे हैं.
इस नवाचार से करीब 15 सौ की आबादी वाले इस गांव के छात्र-छात्राएं लाभान्वित होंगे अब उन्हें कंप्यूटर शिक्षा के लिए शहर तक का सफर नहीं करना पड़ेगा. भव्य शुभारंभ समारोह में सीमा सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार ने जयपुर ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों और जवानों की उपस्थिति में इस सेंटर को आमजन को समर्पित किया. इस सेंटर की खूबसूरती में दो साइड आए रेगिस्तानी टीले चार चांद लगा रहे हैं.