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राजस्थान के इस गांव में पहली बार कड़ी सुरक्षा के बीच निकाली दलित बेटी की बिंदौरी

बूंदी के रामी की झोपड़ियां में दलित समाज की एक बेटी की घोड़ी पर गाजे-बाजे के साथ बिंदौरी निकाली गई. इस दौरान मौके पर हिंडौली प्रशासन, दबलाना और बसोली पुलिस जाब्ता तैनात रहा. पुलिस के पहरे में डीजे की धून पर बिन्दौरी निकली.

बूंदी में दलित दुल्हन की घोड़ी पर निकली बिंदोरी
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Published : May 14, 2019, 12:31 PM IST

बूंदी. जिले के रामी की झोपड़ियां में दलित समाज की एक बेटी सुनीता रैगर की घोड़ी पर ठाठ-बाट से बिंदौरी निकाली गई. वहीं, समाज और गांव में किसी तरह के विरोध की आशंका के चलते परिवार ने हिंडौली एसडीएम को मामले की रिपोर्ट देकर पुलिस सुरक्षा की मांग की थी. इस पर हिंडौली प्रशासन, दबलाना और बसोली पुलिस जाब्ता तैनात रहा और पुलिस के पहरे में डीजे की धून पर बिंदौरी निकली.

बूंदी में दलित दुल्हन की घोड़ी पर निकली बिंदौरी

जानकारी के अनुसार गांव के रैगर समाज में पहली बार किसी बेटी को घोड़ी पर बिठाकर बिंदौरी निकाली गई. बताया जाता है कि इस गांव में पीढ़ियों से ऐसा नहीं हुआ था कि किसी बेटी को घोड़ी पर बिठाकर बिंदौरी निकाली गई हो. गांव में सदियों की यह बेड़ी अब टूट गई है. बिंदौरी में गांव के लोगों ने भी हिस्सा लिया और गांव में इसकी खूब चर्चा है. प्रशासनिक और पुलिस जाब्ता जल्दी ही गांव में पहुंच गया था. उसके बाद काफी लोगों की भीड़ के बीच और डीजे की धून के साथ दुल्हन की बिंदौरी निकाली गई. यह अपने आप में अनूठा रहा.

दरअसल, बेटी की चाहत थी कि उसकी बिंदौरी घोड़ी पर निकाली जाए. बेटी सुनीता पढ़ी-लिखी है और सदियों से ऐसा नहीं हुआ था, इसलिए परिवार आशंकित था. लेकिन आखिरकार बेटी की इच्छा पूरी हो गई. समाज और आज से पूर्व गांव में किसी भी लड़की की शादी से पूर्व घोड़ी पर बिठाकर बिंदौरी नहीं निकाली गई थी और न ही बाहर से यहां पर बेटी के घर आने वाले दूल्हे ने घोड़ी पर बैठकर तोरण मारा और ना ही पूरे गांव में घुमाया गया.

बूंदी. जिले के रामी की झोपड़ियां में दलित समाज की एक बेटी सुनीता रैगर की घोड़ी पर ठाठ-बाट से बिंदौरी निकाली गई. वहीं, समाज और गांव में किसी तरह के विरोध की आशंका के चलते परिवार ने हिंडौली एसडीएम को मामले की रिपोर्ट देकर पुलिस सुरक्षा की मांग की थी. इस पर हिंडौली प्रशासन, दबलाना और बसोली पुलिस जाब्ता तैनात रहा और पुलिस के पहरे में डीजे की धून पर बिंदौरी निकली.

बूंदी में दलित दुल्हन की घोड़ी पर निकली बिंदौरी

जानकारी के अनुसार गांव के रैगर समाज में पहली बार किसी बेटी को घोड़ी पर बिठाकर बिंदौरी निकाली गई. बताया जाता है कि इस गांव में पीढ़ियों से ऐसा नहीं हुआ था कि किसी बेटी को घोड़ी पर बिठाकर बिंदौरी निकाली गई हो. गांव में सदियों की यह बेड़ी अब टूट गई है. बिंदौरी में गांव के लोगों ने भी हिस्सा लिया और गांव में इसकी खूब चर्चा है. प्रशासनिक और पुलिस जाब्ता जल्दी ही गांव में पहुंच गया था. उसके बाद काफी लोगों की भीड़ के बीच और डीजे की धून के साथ दुल्हन की बिंदौरी निकाली गई. यह अपने आप में अनूठा रहा.

दरअसल, बेटी की चाहत थी कि उसकी बिंदौरी घोड़ी पर निकाली जाए. बेटी सुनीता पढ़ी-लिखी है और सदियों से ऐसा नहीं हुआ था, इसलिए परिवार आशंकित था. लेकिन आखिरकार बेटी की इच्छा पूरी हो गई. समाज और आज से पूर्व गांव में किसी भी लड़की की शादी से पूर्व घोड़ी पर बिठाकर बिंदौरी नहीं निकाली गई थी और न ही बाहर से यहां पर बेटी के घर आने वाले दूल्हे ने घोड़ी पर बैठकर तोरण मारा और ना ही पूरे गांव में घुमाया गया.

Intro:बूंदी जिले के रामी की झोपड़ियां में दलित समाज की एक बेटी सुनीता रैगर की घोड़ी पर ठाठ-बाट से बिंदौरी निकाली गई। हालांकि समाज व गांव में किसी तरह के विरोध की आशंका के चलते परिवार ने हिंडौली एसडीएम को मामले की रिपोर्ट देकर पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। इस पर हिंडौली प्रशासन, दबलाना व बसोली पुलिस जाब्ता तैनात रहा ओर पुलिस के पहरे में डीजे की धून पर बिन्दौरी निकली ।





Body:जानकारी के अनुसार गांव के रैगर समाज में पहली बार किसी बेटी को घोड़ी पर बिठाकर बिंदौरी निकाली गई है। सुबह 7.00 से 9 .30 बजे तक बिंदौरी निकाली गई। इस गावँ में पीढ़ियों से ऐसा नहीं हुआ कि किसी बेटी को घोड़ी पर बिठाकर बिंदौरी निकाली गई हो। गांव में सदियों की यह बेड़ी अब टूट गई है। डीजे पर नाचते-गाते बिंदौरी निकाली गई। बिंदौरी में गांव के लोगों ने भी हिस्सा लिया। गांव में इसकी खूब चर्चा है । प्रशासनिक व पुलिस जाब्ता सुबह जल्दी ही गांव में पहुंच गया था। उसके बाद काफी लोगों की भीड़ के बीच और डीजे की धुन के साथ दुल्हन की बिंदौरी निकाली गई। यह अपने आप में अनूठा रहा। बेटी की चाहत थी कि उसकी बिंदौरी घोड़ी पर निकाली जाए। 




Conclusion:बेटी सुनीता पढ़ी-लिखी है। उसकी इच्छा थी कि उसकी बिंदौरी घोड़ी पर निकले। सदियों से ऐसा नहीं हुआ था, इसलिए परिवार आशंकित था, पर आखिरकार बेटी की इच्छा पूरी हो गई। इस गांव में और समाज में आज से पूर्व गांव में किसी भी लड़की की शादी से पूर्व घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी नहीं निकाली गई थी और न ही बाहर से यहां पर बेटी के घर आने वाले दूल्हे ने घोड़ी पर बैठकर तोरण नहीं मारा। न ही पूरे गांव में घुमाया गया। 

इस खबर में केवल वीडियो है जो एफटीपी में भेज दिया गया है -

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