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लोकसभा Special : बीकानेर को 5 सालों में मिला बहुत कुछ...पर सिर्फ कागजों पर

ईटीवी भारत राजस्थान की हर लोकसभा सीट की पड़ताल कर रहा है कि इन पांच सालों में किसको क्या मिला और क्या नहीं..तो जानते है बीकानेर लोकसभा सीट के बारे में.

सांसद और मोदी कैबिनेट में मंत्री अर्जुनराम
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Published : Mar 12, 2019, 4:06 PM IST

बीकानेर. लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राजस्थान में दो चरणों में आम चुनाव होंगे. 29 अप्रैल और 6 मई को राजस्थान की 25 सीटों पर वोट डलेंगे. ऐसे में ईटीवी भारत राजस्थान की हर लोकसभा सीट की पड़ताल कर रहा है कि इन पांच सालों में किसको क्या मिला और क्या नहीं..तो जानते है बीकानेर लोकसभा सीट के बारे में.

बीकानेरवासियों की राय

ये है लंबे समय से जनता के मुद्दे
  • तो वहीं केंद्र सरकार की ओर से बीकानेर की लूणकरणसर के पास रिजर्व वायर की जो घोषणा हुई वह भी कागजी ही साबित हुई और घोषणा के अलावा उस पर कुछ भी नहीं हुआ. हालांकि कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन नतीजा शून्य ही रहा.
  • बीकानेर में रेल परिवहन के क्षेत्र में लंबी दूरी की दो-चार ट्रेनों की बात को छोड़ दें तो आधारभूत ढांचे को विकास के लिए कुछ ज्यादा काम होता नजर नहीं आया.
  • बीकानेर के लालगढ़ रेलवे वर्कशॉप में जरूर केंद्र सरकार की ओर से बजट आया लेकिन वह भी वर्कशॉप को कायापलट करने के लिए नाकाफी था.
  • बात करें चिकित्सा क्षेत्र में तो बीकानेर में सुपर स्पेशलिटी सेंटर जो कि डेढ़ सौ करोड़ की लागत से बना है. उसको चालू करने में राजनीति आड़े आ गई और प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उद्घाटन किस के हाथों इस बात को लेकर उसका उद्घाटन भी टल गया. हालांकि चिकित्सा के क्षेत्र में यह एक बड़ा काम बीकानेर में हुआ है लेकिन अगर शुरू होता तो ज्यादा बेहतर रहता.
  • बीकानेर में व्यापारियों को आयकर विभाग से संबंधित मामलों में निपटारे के लिए जोधपुर जाना पड़ता है, क्योंकि आयकर आयुक्त अपील का पद जोधपुर में ही है. मोदी सरकार में मंत्री बनते ही अर्जुन राम मेघवाल को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था. ऐसे में यहां के व्यापारियों को उम्मीद थी कि मेघवाल इसको लेकर काम करेंगे और बीकानेर में आयकर आयुक्त का पद स्वीकृत होकर यहां अधिकारी बैठेगा, लेकिन इसका रिजल्ट शून्य रहा और व्यापारियों की मांग अधूरी अधूरी ही रह गई.
  • साथ ही बीकानेर में ड्राई पोर्ट की मांग लंबे समय से चल रही है और इन 5 सालों में सिवाय इस पर बात करने के कुछ नहीं हुआ. कुछ ऐसा ही हाल मेगा फूड पार्क को लेकर भी हुआ. जिसमें केवल बात बात तक ही रही.

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पहली बार केंद्र की सरकार में बीकानेर को एक मजबूत प्रतिनिधित्व मिलने के बाद भी बीकानेर के लोग की लगाई गई आस पूरी नहीं हुई, जो की होनी चाहिए थी. हालांकि अर्जुन मेघवाल के प्रयासों से सीएसआर फंड के माध्यम से कई जगह कई काम हुए तो. वहीं चिकित्सा क्षेत्र में सुपर स्पेशलिटी सेंटर की स्थापना अपने आप में एक बड़ा काम कही जा सकती है.

बीकानेर. लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राजस्थान में दो चरणों में आम चुनाव होंगे. 29 अप्रैल और 6 मई को राजस्थान की 25 सीटों पर वोट डलेंगे. ऐसे में ईटीवी भारत राजस्थान की हर लोकसभा सीट की पड़ताल कर रहा है कि इन पांच सालों में किसको क्या मिला और क्या नहीं..तो जानते है बीकानेर लोकसभा सीट के बारे में.

बीकानेरवासियों की राय

ये है लंबे समय से जनता के मुद्दे
  • तो वहीं केंद्र सरकार की ओर से बीकानेर की लूणकरणसर के पास रिजर्व वायर की जो घोषणा हुई वह भी कागजी ही साबित हुई और घोषणा के अलावा उस पर कुछ भी नहीं हुआ. हालांकि कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन नतीजा शून्य ही रहा.
  • बीकानेर में रेल परिवहन के क्षेत्र में लंबी दूरी की दो-चार ट्रेनों की बात को छोड़ दें तो आधारभूत ढांचे को विकास के लिए कुछ ज्यादा काम होता नजर नहीं आया.
  • बीकानेर के लालगढ़ रेलवे वर्कशॉप में जरूर केंद्र सरकार की ओर से बजट आया लेकिन वह भी वर्कशॉप को कायापलट करने के लिए नाकाफी था.
  • बात करें चिकित्सा क्षेत्र में तो बीकानेर में सुपर स्पेशलिटी सेंटर जो कि डेढ़ सौ करोड़ की लागत से बना है. उसको चालू करने में राजनीति आड़े आ गई और प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उद्घाटन किस के हाथों इस बात को लेकर उसका उद्घाटन भी टल गया. हालांकि चिकित्सा के क्षेत्र में यह एक बड़ा काम बीकानेर में हुआ है लेकिन अगर शुरू होता तो ज्यादा बेहतर रहता.
  • बीकानेर में व्यापारियों को आयकर विभाग से संबंधित मामलों में निपटारे के लिए जोधपुर जाना पड़ता है, क्योंकि आयकर आयुक्त अपील का पद जोधपुर में ही है. मोदी सरकार में मंत्री बनते ही अर्जुन राम मेघवाल को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था. ऐसे में यहां के व्यापारियों को उम्मीद थी कि मेघवाल इसको लेकर काम करेंगे और बीकानेर में आयकर आयुक्त का पद स्वीकृत होकर यहां अधिकारी बैठेगा, लेकिन इसका रिजल्ट शून्य रहा और व्यापारियों की मांग अधूरी अधूरी ही रह गई.
  • साथ ही बीकानेर में ड्राई पोर्ट की मांग लंबे समय से चल रही है और इन 5 सालों में सिवाय इस पर बात करने के कुछ नहीं हुआ. कुछ ऐसा ही हाल मेगा फूड पार्क को लेकर भी हुआ. जिसमें केवल बात बात तक ही रही.

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पहली बार केंद्र की सरकार में बीकानेर को एक मजबूत प्रतिनिधित्व मिलने के बाद भी बीकानेर के लोग की लगाई गई आस पूरी नहीं हुई, जो की होनी चाहिए थी. हालांकि अर्जुन मेघवाल के प्रयासों से सीएसआर फंड के माध्यम से कई जगह कई काम हुए तो. वहीं चिकित्सा क्षेत्र में सुपर स्पेशलिटी सेंटर की स्थापना अपने आप में एक बड़ा काम कही जा सकती है.

Intro:बीकानेर। लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है हालांकि प्रत्याशियों का चयन अभी तक कवायद में है लेकिन लगातार दो बार से बीकानेर में भाजपा का झंडा फहराते अर्जुनराम मेघवाल पर पार्टी एक बार फिर दांव खेलेगी इस बात को लेकर ज्यादा शक की गुंजाइश नहीं रहती है तो वहीं कांग्रेस में किस चेहरे पर अर्जुनराम को टक्कर देने के लिए भरोसा किया जाएगा इसको लेकर लिस्ट लंबी है। बात करें बीकानेर में चुनाव की तो चुनाव के वक्त प्रत्याशी और पार्टी लंबे चौड़े वादे जीतने के लिए करती है लेकिन इनमें से कितने वादे पूरे हो जाते हैं इसका परीक्षण चुनाव के वक्त ही जनता करती है। ऐसे में बीकानेर में पांच सालों में बीकानेर के सांसद और मोदी की कैबिनेट में मंत्री अर्जुनराम ने क्या दिलाया और क्या वादा बाकी रह गया।


Body:वरिष्ठ पत्रकार श्याम मारू कहते है बीकानेर में सीधे तौर पर केंद्र सरकार से आधारभूत ढांचे को विकास करने के लिए बहुत कुछ होने की संभावना आज भी है हालांकि बीकानेर में रेलवे फाटक ही एक ऐसी समस्या है जो आमजन से सीधे तौर पर जुड़ी है और जनता जिसका हल चाहती है लेकिन इन 5 सालों में उस समस्या के समाधान के लिए भी कुछ नहीं हो पाया अलबत्ता वसुंधरा राजे की मुख्यमंत्री काल में एलिवेटेड रोड की घोषणा हुई लेकिन वह भी महज कागजी रही। इस समस्या के समाधान के लिए पिछले दिनों बीकानेर में आए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में अर्जुन राम मेघवाल ने उड़न खटोले यानी कि रोकने के कांसेप्ट को लोगों को बताया और इस बजट को शुरू करने की सपने भी दिखाएं लेकिन यह सपना कागज पर भी नहीं आया और हवा में ही रह गया। तो वहीं केंद्र सरकार की ओर से बीकानेर की लूणकरणसर के पास रिजर्व वायर की जो घोषणा हुई वह भी कागजी ही साबित हुई और घोषणा के अलावा उस पर कुछ भी नहीं हुआ हालांकि कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। तो वहीं बीकानेर में रेल परिवहन के क्षेत्र में लंबी दूरी की दो-चार ट्रेनों की बात को छोड़ दें तो आधारभूत ढांचे को विकास के लिए कुछ ज्यादा काम होता नजर नहीं आया तो वही बीकानेर के लालगढ़ रेलवे वर्कशॉप में जरूर केंद्र सरकार की ओर से बजट आया लेकिन वह भी वर्कशॉप को कायापलट करने के लिए नाकाफी था। बात करें चिकित्सा क्षेत्र में तो बीकानेर में सुपर स्पेशलिटी सेंटर जो कि डेढ़ सौ करोड़ की लागत से बना है उसको चालू करने में राजनीति आड़े आ गई और प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उद्घाटन किस के हाथों इस बात को लेकर उसका उद्घाटन भी टल गया हालांकि चिकित्सा के क्षेत्र में यह एक बड़ा काम बीकानेर में हुआ है लेकिन अगर शुरू होता तो ज्यादा बेहतर रहता। बीकानेर में व्यापारियों को आयकर विभाग से संबंधित मामलों में निपटारे के लिए जोधपुर जाना पड़ता है क्योंकि आयकर आयुक्त अपील का पद जोधपुर में ही है मोदी सरकार में मंत्री बनते ही अर्जुन राम मेघवाल को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था ऐसे में यहां के व्यापारियों को उम्मीद थी कि मेघवाल इसको लेकर काम करेंगे और बीकानेर में आयकर आयुक्त का पद स्वीकृत होकर यहां अधिकारी बैठेगा लेकिन इसका रिजल्ट शुन्य रहा और व्यापारियों की मांग अधूरी अधूरी ही रह गई। के साथ बीकानेर में ड्राई पोर्ट की मांग लंबे समय से चल रही है और इन 5 सालों में सिवाय इस पर बात करने के कुछ नहीं हुआ कुछ ऐसा ही हाल मेगा फूड पार्क को लेकर भी हुआ जिसमें केवल बात बात तक ही रही।


Conclusion:कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पहली बार केंद्र की सरकार में बीकानेर को एक मजबूत प्रतिनिधित्व मिलने के बाद भी बीकानेर के लोग की लगाई गई आस पूरी नहीं हुई जो की होनी चाहिए थी हालांकि अर्जुन मेघवाल के प्रयासों से सीएसआर फंड के माध्यम से कई जगह कई काम हुए तो वही चिकित्सा क्षेत्र में सुपर स्पेशलिटी सेंटर की स्थापना अपने आप में एक बड़ा काम कही जा सकती है।
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