जयपुर. प्रदेश में पहले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता और अभी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते आरयू में पिछले 6 महीनों से सिंडिकेट की बैठक नहीं हुई, जिससे एडमिशन में देरी हुई है. सितंबर-अक्टूबर में एम्पेट और एमफिल के प्री एंट्रेंस एग्जाम और जनवरी तक एडमिशन हो जाते हैं लेकिन इस बार सिंडिकेट बैठक नहीं होने से एक बार फिर एडमिशन में देरी हुई है.
हालांकि, RU प्रशासन ने यूजीसी और सीएसआईआर के नियमों को ध्यान में रखते हुए एम्पेट और एमफिल में कई बदलाव किए है. जैसे...
-इस बार नेगेटिव मार्किंग को समाप्त कर दिया गया है.
- दोनों पेपर में कुल 50 फ़ीसदी मार्क्स लाना अनिवार्य होगा.
-विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए अब रिसर्च मेथाडोलॉजी पेपर की बजाय पहला पेपर साइंटिफिक एटीट्यूड का होगा.
-पहली बार नेट जेआरएफ विद्यार्थियों को 15 फ़ीसदी बोनस अंक और नेट विद्यार्थियों को 5 से 10 फीसदी बोनस अंक दिए जाएंगे, हालांकि बोनस अंक के बावजूद विद्यार्थियों को प्री एग्जाम देना अनिवार्य होगा.
-राजस्थान और केंद्र सरकार और यूजीसी नॉर्म्स के अनुसार आरक्षित वर्ग में भी बदलाव किए गए है.
-जिन विद्यार्थियों के लिए आखरी मौका था या जिन्होंने एम्पेट के माध्यम से एमफिल किया है. उनको पीएचडी में एडमिशन दे दिया गया है, लेकिन 2019 से उसको समाप्त कर दिया गया है.
हालांकि प्रशासन ये दावा जरूर कर रहा है कि आचार संहिता समाप्त होते ही सिंडिकेट बैठक में एम्पेट का अनुमोदन करवा कर जून या जुलाई में एम्पेट की परीक्षा करवा ली जाएगी. लेकिन अभी भी सीटों को लेकर संशय बना हुआ है. हालांकि आरयू प्रशासन ने सभी 15 विभागों में पत्र भेजकर विद्यार्थियों की संख्या मांगी है. आरयू ने नियमों में बदलाव तो कर लिए लेकिन जब तक सिंडिकेट मंजूरी नहीं देता है तब तक नियमों में संशय बना रहेगा.