बांसवाड़ा. जिले में फ़र्टिलाइज़र अर्थात वर्तमान में यूरिया की मांग बारिश के बाद अचानक बढ़ने की संभावना है. अधिकांश मक्का की फसल में इसकी डिमांड रहती है. फसलों की निराई-गुड़ाई हो चुकी है और जैसे ही पानी गिरेगा डिमांड एकाएक बढ़ेगी जबकि विभाग के पास 15,357 मेट्रिक टन यूरिया पहुंच पाया है. जिले में 1,00,000 के मुकाबले 1 लाख 50 हेक्टर क्षेत्रफल में मक्का की बुवाई की गई है.
कहां कहां उपलब्ध है फर्टिलाइजर
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले भर में करीब साढ़े 300 लाइसेंस खाद और बीज सप्लाई के लिए जारी किए गए हैं. इनमें से लगभग 200 लाइसेंस लार्ज एग्रीकल्चर मल्टीपरपज सोसायटी अर्थात लैंप्स को दिए गए हैं. हर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर लैंप्स खाद बीज वितरण का काम भी करती है. इसके अलावा निजी लाइसेंसी भी यह काम करते हैं. कंपनी द्वारा सीधे ही इन दुकानदारों को खाद बीज की सप्लाई की जाती है. उर्वरक के दाम लैंप्स से अधिक नहीं वसूले जा सकते. सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही प्रकार के लाइसेंसी के पास खाद उपलब्ध करा दिया गया है.
30000 मेट्रिक टन की मांग
इसके आधार पर विभाग द्वारा 30,000 मेट्रिक टन यूरिया की मांग आगे भेजी गई है. कुल मिलाकर मांग के मुकाबले फिलहाल 50% फर्टिलाइजर्स उपलब्ध है. अब तक सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही प्रकार के लाइसेंस धारकों तक 15,357 मेट्रिक टन यूरिया उपलब्ध करा चुका है
ब्लैक मार्केटिंग की आशंका कम
फिलहाल काश्तकार निराई गुड़ाई में जुटा है और बारिश के इंतजार में है. इस कारण फिलहाल यूरिया की कोई डिमांड नहीं है.किसान एडवांस में अपनी मांग के अनुसार यूरिया ले जा रहा है. लेकिन जैसे ही बारिश होगी यूरिया की डिमांड बढ़ जाएगी. जबकि विभाग मांग के मुकाबले 50% यूरिया ही उपलब्ध करा पाया है. मांग के अनुरूप 50% यूरिया बारिश से पहले नहीं पहुंचा तो ब्लैक मार्केटिंग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. किसान निधि दुकानदारों से औने पौने दामों में यूरिया खरीदने को मजबूर होंगे.
किसान संतुष्ट, विभाग निश्चिंत
यूरिया की सप्लाई किसानों को पीओएस मशीन के जरिए की जा रही है. पीओएस पर अंगूठा लगाने के बाद किसान की मांग के अनुरूप फिलहाल लैंप्स के गोदामों से यूरिया दिया जा रहा है. बड़ी मात्रा में यूरिया किसान अपने घर पहुंचा चुका है. कई का शिकार अब भी निराई गुड़ाई में जुटे हैं और बारिश के इंतजार में हैं. शहर के निकट निराई गुड़ाई में जुटी ललिता ने कहा कि अभी यूरिया नहीं लाए हैं. बारिश के बाद यूरिया की मांग रहेगी. किसान कालू ने कहा कि वह 5 बोरे लेकर आया है. वैसे भी अधिक नहीं लगे हो तुरंत यूरिया मिल गया. यह नई व्यवस्था बेहतर है.
उपनिदेशक कृषि विस्तार बीएल पाटीदार के अनुसार मांग के अनुरूप हमने यूरिया उपलब्ध करा दिया है. जैसे-जैसे बांध बढ़ेगी हम कंपनियों से सप्लाई मंगवा लेंगे. अब तक 15 हजार मैट्रिक टन का स्टॉक पहुंच गया है और मार्केट में पर्याप्त उपलब्धता है. ऐसे में ब्लैक मार्केटिंग का सवाल ही नहीं उठता. बांसवाड़ा क्रय विक्रय सहकारी समिति के लेखाकार प्रदीप सिंह के अनुसार बांसवाड़ा क्रय विक्रय सहकारी समिति क्षेत्र में 8,000 मेट्रिक टन की मांग रहती है. उसके मुकाबले चार हजार मैट्रिक टन सप्लाई हो चुका है वहीं 1,200 मेट्रिक टन स्टॉक हमारे पास है.