बूंदी. पूरे प्रदेश में छोटीकाशी को अपने इतिहास और अपनी चित्रकला के लिए जाना जाता है. इस चित्रकला को अपनी कला के माध्यम से देश -विदेश में पहुंचाने वाले कलाकार तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वाटर कलर फेस्टिवल खम्मा घणी में शामिल होने के लिए बूंदी पहुंचे. बता दें इस फेस्टिवल का आयोजन वाटर कलर इंडिया कोटा विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित किया गया.
150 कलाकारों ने दिया लाइव डेमो
जिसमें 15 देशों के 150 कलाकार वाटर कलर्स का लाइव डेमो दिया. वहीं यह कलाकार 3 दिन तक कोटा और बूंदी में जाकर ऐतिहासिक धरोहरों को कैनवास में कैद कर रहे हैं. इस कड़ी में शानिवार को कलाकारों का बड़ा कुनबा बूंदी के नवल सागर झील पर पहुंचा. जहां पर सभी कलाकारों ने झील को कैनवास पर उकेर कर नया रूप दिया. इस दौरान कलाकारों ने बूंदी की विरासत की भी तारीफ की.
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बूंदी की विरासतों को उकेरा कैनवास पर
फेस्टिवल की संयोजिका शालिनी भारती ने बताया कि फेस्टिवल के पहले दिन सभी कलाकार वाटर कलर पेंटिंग का लाइव डेमो देंगे. साथ ही बताया कि कोटा में भ्रमण के बाद बूंदी की विरासतों को कैनवास में उकेरा. इन कलाकारों ने बूंदी के तारागढ़, नवल सागर झील ,बूंदी टीवी टावर ,नवल सागर झील में बना शिव मंदिर, छतरी ,होटल सहित विभिन्न विरासत को अपनी कैनवास में वाटर के रूप में बनाने की शुरुआत की,जो शाम तक चला.
800 साल पुराने तारागढ़ किले की दिवार खास
मुख्य संयोजक राहुल चक्रवर्ती ने बताया कि बूंदी काफी अच्छा शहर है.यहां का वातावरण और कल्चर कलाकारों को खुब पसंद आया. साथ ही बताया कि 800 साल पुराने तारागढ़ किले की दिवारों पर बनी पेंटिंग का अलग ही महत्व है. जिससे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं.