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अंतरराष्ट्रीय वाटर कलर फेस्टिवलः 15 देशों के 150 कलाकारों ने दिया वाटर कलर का लाइव डेमो - Bundi painting news

बूंदी में कोटा विश्वविद्यालय की ओर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वाटर कलर फेस्टिवल खम्मा घणी आयोजित हुआ. जिसमें 15 देशों के 150 कलाकारों ने वाटर कलर्स का लाइव डेमो दिया.

बूंदी कलाकार पेंटिंग,  Bundi news
बूंदी में वाटर कलर इंडिया फेस्टिवल खम्मा घणी का आयोजन
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Published : Jan 11, 2020, 9:09 PM IST

बूंदी. पूरे प्रदेश में छोटीकाशी को अपने इतिहास और अपनी चित्रकला के लिए जाना जाता है. इस चित्रकला को अपनी कला के माध्यम से देश -विदेश में पहुंचाने वाले कलाकार तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वाटर कलर फेस्टिवल खम्मा घणी में शामिल होने के लिए बूंदी पहुंचे. बता दें इस फेस्टिवल का आयोजन वाटर कलर इंडिया कोटा विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित किया गया.

बूंदी में वाटर कलर इंडिया फेस्टिवल खम्मा घणी का आयोजन

150 कलाकारों ने दिया लाइव डेमो
जिसमें 15 देशों के 150 कलाकार वाटर कलर्स का लाइव डेमो दिया. वहीं यह कलाकार 3 दिन तक कोटा और बूंदी में जाकर ऐतिहासिक धरोहरों को कैनवास में कैद कर रहे हैं. इस कड़ी में शानिवार को कलाकारों का बड़ा कुनबा बूंदी के नवल सागर झील पर पहुंचा. जहां पर सभी कलाकारों ने झील को कैनवास पर उकेर कर नया रूप दिया. इस दौरान कलाकारों ने बूंदी की विरासत की भी तारीफ की.

पढ़ेंः पंचायत चुनावः बूंदी के इस गांव में पति-पत्नी आमने सामने, एक दूसरे के लिए मांग रहे वोट

बूंदी की विरासतों को उकेरा कैनवास पर
फेस्टिवल की संयोजिका शालिनी भारती ने बताया कि फेस्टिवल के पहले दिन सभी कलाकार वाटर कलर पेंटिंग का लाइव डेमो देंगे. साथ ही बताया कि कोटा में भ्रमण के बाद बूंदी की विरासतों को कैनवास में उकेरा. इन कलाकारों ने बूंदी के तारागढ़, नवल सागर झील ,बूंदी टीवी टावर ,नवल सागर झील में बना शिव मंदिर, छतरी ,होटल सहित विभिन्न विरासत को अपनी कैनवास में वाटर के रूप में बनाने की शुरुआत की,जो शाम तक चला.

800 साल पुराने तारागढ़ किले की दिवार खास
मुख्य संयोजक राहुल चक्रवर्ती ने बताया कि बूंदी काफी अच्छा शहर है.यहां का वातावरण और कल्चर कलाकारों को खुब पसंद आया. साथ ही बताया कि 800 साल पुराने तारागढ़ किले की दिवारों पर बनी पेंटिंग का अलग ही महत्व है. जिससे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं.

बूंदी. पूरे प्रदेश में छोटीकाशी को अपने इतिहास और अपनी चित्रकला के लिए जाना जाता है. इस चित्रकला को अपनी कला के माध्यम से देश -विदेश में पहुंचाने वाले कलाकार तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वाटर कलर फेस्टिवल खम्मा घणी में शामिल होने के लिए बूंदी पहुंचे. बता दें इस फेस्टिवल का आयोजन वाटर कलर इंडिया कोटा विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित किया गया.

बूंदी में वाटर कलर इंडिया फेस्टिवल खम्मा घणी का आयोजन

150 कलाकारों ने दिया लाइव डेमो
जिसमें 15 देशों के 150 कलाकार वाटर कलर्स का लाइव डेमो दिया. वहीं यह कलाकार 3 दिन तक कोटा और बूंदी में जाकर ऐतिहासिक धरोहरों को कैनवास में कैद कर रहे हैं. इस कड़ी में शानिवार को कलाकारों का बड़ा कुनबा बूंदी के नवल सागर झील पर पहुंचा. जहां पर सभी कलाकारों ने झील को कैनवास पर उकेर कर नया रूप दिया. इस दौरान कलाकारों ने बूंदी की विरासत की भी तारीफ की.

पढ़ेंः पंचायत चुनावः बूंदी के इस गांव में पति-पत्नी आमने सामने, एक दूसरे के लिए मांग रहे वोट

बूंदी की विरासतों को उकेरा कैनवास पर
फेस्टिवल की संयोजिका शालिनी भारती ने बताया कि फेस्टिवल के पहले दिन सभी कलाकार वाटर कलर पेंटिंग का लाइव डेमो देंगे. साथ ही बताया कि कोटा में भ्रमण के बाद बूंदी की विरासतों को कैनवास में उकेरा. इन कलाकारों ने बूंदी के तारागढ़, नवल सागर झील ,बूंदी टीवी टावर ,नवल सागर झील में बना शिव मंदिर, छतरी ,होटल सहित विभिन्न विरासत को अपनी कैनवास में वाटर के रूप में बनाने की शुरुआत की,जो शाम तक चला.

800 साल पुराने तारागढ़ किले की दिवार खास
मुख्य संयोजक राहुल चक्रवर्ती ने बताया कि बूंदी काफी अच्छा शहर है.यहां का वातावरण और कल्चर कलाकारों को खुब पसंद आया. साथ ही बताया कि 800 साल पुराने तारागढ़ किले की दिवारों पर बनी पेंटिंग का अलग ही महत्व है. जिससे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं.

Intro:बूंदी में वाटर कलर इंडिया कोटा विश्वविद्यालय की ओर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वाटर कलर फेस्टिवल खम्मा घणी आयोजित हुआ । इसमें 15 देशों के 150 मास्टर कलाकार वाटर कलर्स का लाइव डेमो दे रहे हैं । 3 दिन तक कोटा और बूंदी में जाकर ऐतिहासिक धरोहरों की पेंटिंग को कैनवास में यह कलाकार कैद कर रहे हैं । आज कलाकारों का बड़ा कुनबा बूंदी के नवल सागर झील पर पहुंचा जहां पर सभी कलाकारों ने अपनी अपनी पेंटिंग को नया रूप दिया । इस दौरान कलाकारों ने बूंदी की विरासत की भी तारीफ की ।


Body:बूंदी - पूरे प्रदेश में छोटीकाशी को अपने इतिहास और अपनी चित्रकला के लिए जाना जाता है और इसी चित्रकला को पूरे देश विदेश में बनाने वाले कलाकारों का आए दिन छोटी काशी में जमावड़ा लगा रहता है । आज करीब 15 देशों के 150 कलाकारों ने बूंदी की पेंटिंग को बनाकर उसे कैनवास में उतारा और बूंदी की इस पेंटिंग को नए आयाम देने की पहल की की । पहली बार आए इस विदेशी दल ने बूंदी की इस विरासत को काफी सराहना की और इस विरासत को अपने कैनवास में कैद करने की कोशिश की । यहां आपको बता दें कि वाटर कलर इंडिया कोटा विश्वविद्यालय की ओर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वाटर कलर फेस्टिवल खम्मा घणी कोटा विश्वविद्यालय में आयोजित हो रहा है और इसमें 15 देशों के मास्टर्स कलाकार वाटर कलर्स का लाइव डेमो दे रहे हैं । करीब 3 दिनों तक कोटा और बूंदी में जाकर ऐतिहासिक धरोहरों की पेंटिंग को कैनवास में कलाकार कैद कर रहे हैं । यह आयोजन राजस्थान में पहली बार हो रहा है इसकी संयोजिका राजकीय महाविद्यालय की चित्रकला विभाग के अध्यक्ष डॉ शालिनी भारती को बनाया गया है । देश में इसके मुख्य संयोजक रांची के चित्रकार प्रवीणा करमाकर व पुणे के राहुल चक्रवर्ती है । शालिनी भारती ने बताया कि पहले दिन सभी देश विदेश के मास्टर चित्रकार अपनी वाटर कलर पेंटिंग का लाइव डेमो देंगे और वहां की तकनीकी की बारियों को बताएंगे इस कार्यक्रम की मुख्य क्यूरेटर इटली की ऐना मेसत्रिसा है ।

कोटा में भ्रमण के बाद बूंदी में पेंटिंग बनाने के लिए यह दल पहुंचा जहां सभी कलाकारों ने अपनी अपनी जगह पर पेंटिंग बनाने की शुरुआत की । सुबह पहुंचा यह दल एक-एक कर पेंटिंग बनाने में जुट गया यहां पर विदेशी इन कलाकारों ने बूंदी तारागढ़, नवल सागर झील ,बूंदी टीवी टावर ,नवल सागर झील में बना शिव मंदिर, छतरी ,होटल सहित विभिन्न विरासत को अपनी कैनवास में वाटर के रूप में बनाने की शुरुआत की और सुबह से शुरुआत का कारवा जैसे ही शाम तक पहुंचा तो उनकी मेहनत रंग लाना शुरू हो गई और खाली पेज पर बूंदी की खूबसूरत पेंटिंग बनकर तैयार हो गई तो कलाकार प्रसन्न हो गए और उन्होंने बूंदी की इस विरासत की काफी तारीफ भी की और कहा कि बूंदी में काफी विरासत हैं और इस विरासत को और भी सहेजने की जरूरत है । उनका कहना था कि कोटा में जितना हम हैं विरासत देखने में मजा नहीं आया उतना बूंदी में आकर हमें अच्छा लग रहा है यहां के वातावरण । यहां की विरासत व यहां के लोग हमें काफी अच्छे लगे हैं और हमने पूरे दिन भर रहकर यहां पर इस वाटर पेंटिंग को बनाने का काम किया है ।

यह कलाकार पहली बार राजस्थान में आए हैं और सबसे पहले बूंदी में यह कलाकार पहुंचे हैं जहां पर इन कलाकारों ने अपने अपने तरीके से बूंदी की पेंटिंग को कैनवास पर उतारा है और उस पेंटिंग को नए आयाम देने की कोशिश की है । इन कलाकारों के कुनबे को देख बूंदी में लोगों की भीड़ वहां जमा रही और उन कलाकारों का बूंदी के वासियों ने स्वागत भी किया ।

पुणे से आए राहुल चक्रवर्ती ने बताया कि बड़े ही सौभाग्य की बात है कि इतने बड़े दल के साथ उनका बूंदी आना हुआ है और बूंदी में सफलतापूर्वक यहां पर सभी कलाकारों ने वाटर पेंटिंग को बनाकर ने आयाम देने की कोशिश की है । उनका कहना है कि बूंदी भी काफी अच्छा शहर है और यहां के वातावरण और यहां की कल्चर कि इन सभी कलाकारों ने तारीफ की है । राहुल चक्रवर्ती ने बताया कि कलाकारों की पसंद थी कि वह बूंदी आए तो बड़े-बड़े देशों के कलाकार बूंदी पेंटिंग बनाने के लिए आ गए और कलाकारों को बूंदी काफी पसंद आया है ।


Conclusion:तो यकीनन छोटीकाशी बूंदी की विरासत अद्भुत है और विदेशी सैलानी भी और विदेशी कलाकार भी बूंदी की इस विरासत की तारीफ करने से चूकते नहीं हैं । इन कलाकारों ने बूंदी की सभी पेंटिंग को अपने पास सुरक्षित रख लिया है अब देश विदेश में इस बूंदी की पेंटिंग को यह से लेकर जाएंगे और वहां पर बूंदी की पेंटिंग देश-विदेश में नए आयाम हासिल करेगी । यहां आपको बता दें कि 800 साल पुरानी बूंदी पेंटिंग बूंदी के तारागढ़ किले में है जहां पर उस पेंटिंग का अलग ही महत्व है । और दूर-दराज से लोग बूंदी की इस पेंटिंग को देखने भी आते हैं तो बूंदी में इस पेंटिंग का अलग ही महत्व है ।

बाईट - शालिनी भारती , संयोजक
बाईट - ए जैदी , कलाकार
बाईट - राहुल चक्रवर्ती , कलाकार
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