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देश-विदेश तक फैली बूंदी जिले के गुड़ की महक, बड़ी मात्रा में किया जा रहा तैयार

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 16, 2023, 6:58 PM IST

Special story बूंदी में किसान बड़ी मात्रा में गुड़ तैयार कर रहे हैं, यंहा के गुड़ मांग आस-पास के राज्यों के साथ ही विदेशों में भी है.

देश-विदेश तक फैली बूंदी जिले के गुड़ की महक
देश-विदेश तक फैली बूंदी जिले के गुड़ की महक
देश-विदेश तक फैली बूंदी जिले के गुड़ की महक

बूंदी. जिले के हिंडोली क्षेत्र के गुड़ की मिठास और महक देश-विदेश तक फैली हुई है. हिंडोली क्षेत्र में बड़ी मात्रा में गन्ने की खेती की जाती है. सर्दी आते ही खेतों से गुड़ की महक आने लग जाती है. क्षेत्र में इन दिनों किसानों ने गुड़ बनाने का काम शुरू कर दिया है, जिससे खेतों के पास से गुड़ की महक उठने लगी है. यहां पर तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर गन्ने की चरखिया संचालित हो रही हैं. जानकारी के अनुसार क्षेत्र में इन दिनों सर्दी में मांगलीकला, बड़ोदिया अलोद, सथूर चेंता चतरगंज सहित आसपास के कई गांव में गुड़ की चरखिया संचालित कर दी गई हैं, ऐसे में खेतों में गुड़ की महक उठने लगी है, किसान परिवार सुबह-सुबह खेतों में पहुंच जाते हैं, जहां पर गन्ने को काटकर गट्ठर बनाकर चरखियों पर लाते हैं. गन्ने का रस निकालकर कढ़ाई में उबालकर गुड़ बनाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं.

क्षेत्रीय किसान गणेश लाल सैनी ने बताया कि मांगली कला तथा आसपास के गांव में पहले की अपेक्षा गुड़ का उत्पादन अधिक होने लगा है. उन्होंने बताया कि उनके दादा परदादा पीढ़ियों से गुड़ बनाते आ रहे हैं यहां देशी तरीके से बिल्कुल शुद्ध और अच्छा गुड़ तैयार किया जाता है, जो देश-विदेश में भेजा जाता है. यहां हरे गन्ने का उत्पादन होता है जो पूरे देश में प्रसिद्ध है. सबसे बड़ी बात यह है कि तैयार किया गुड़ हाथों-हाथ चरखी से ही बिक जाता है. जिसके लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती.

इसे भी पढ़ें-Special : श्रीगंगानगर में UP के कारीगर गुड़ में तब्दील कर रहे गन्ने की मिठास, इस काम में है महारत हासिल

5 किलो की भेली की अधिक मांग : गुड़ बनाने वाले किसानों का कहना है कि पहले 5 किलो की गुड़ की भेलियां तैयार की जाती थी, लेकिन अब समय के साथ-साथ लोग भी 5 किलो की भेली न लेकर ढाई से 3 किलो की भेली बनवाना पसंद कर रहे हैं, इन भेलियों की बिक्री अच्छी हो जाती है. उन्होंने बताया कि लोगों की डिमांड के अनुसार ही भेलियां बनाई जाती है.

60 से 70 रुपए किलो तक बिक रहा गुड : गांव में गुड़ बनाने वाले किसान सोजीलाल, रामनारायण सैनी व गणेश लाल का कहना है कि किसान ताजा व अच्छा गुड़ बना रहे हैं, बिना मिलावटी का अच्छा गुड़ 60 से 70 रुपये किलो में बिक रहा है. हालांकि यह दाम बहुत कम है, इससे उन्हें पड़ता नहीं खा रहा है, पूरे वर्ष केवल एक फसल ली जाती है, वहीं अगर सब्जी की फसल की बात करें तो 1 साल में तीन सब्जी की फसल ली जाती है, ऐसे में गन्ने से गुड़ बनाने का कार्य काफी महंगा पड़ता है, लेकिन पुरखों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. हालांकि कई किसानों ने अब गुड़ बनाने का काम बंद कर दिया है.

देश के अन्य जिलों सहित विदेश में बिक रहा गुड़ : गुड़ बनाने वाले किसानों की मानें तो यहां तैयार किया गया गुड़, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सभी जिलों सहित पूरे भारत में बिक रहा है. यही नहीं यहां का गुड़ कनाडा, अमेरिका, दुबई सहित अन्य देशों में भी जाता है.

देश-विदेश तक फैली बूंदी जिले के गुड़ की महक

बूंदी. जिले के हिंडोली क्षेत्र के गुड़ की मिठास और महक देश-विदेश तक फैली हुई है. हिंडोली क्षेत्र में बड़ी मात्रा में गन्ने की खेती की जाती है. सर्दी आते ही खेतों से गुड़ की महक आने लग जाती है. क्षेत्र में इन दिनों किसानों ने गुड़ बनाने का काम शुरू कर दिया है, जिससे खेतों के पास से गुड़ की महक उठने लगी है. यहां पर तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर गन्ने की चरखिया संचालित हो रही हैं. जानकारी के अनुसार क्षेत्र में इन दिनों सर्दी में मांगलीकला, बड़ोदिया अलोद, सथूर चेंता चतरगंज सहित आसपास के कई गांव में गुड़ की चरखिया संचालित कर दी गई हैं, ऐसे में खेतों में गुड़ की महक उठने लगी है, किसान परिवार सुबह-सुबह खेतों में पहुंच जाते हैं, जहां पर गन्ने को काटकर गट्ठर बनाकर चरखियों पर लाते हैं. गन्ने का रस निकालकर कढ़ाई में उबालकर गुड़ बनाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं.

क्षेत्रीय किसान गणेश लाल सैनी ने बताया कि मांगली कला तथा आसपास के गांव में पहले की अपेक्षा गुड़ का उत्पादन अधिक होने लगा है. उन्होंने बताया कि उनके दादा परदादा पीढ़ियों से गुड़ बनाते आ रहे हैं यहां देशी तरीके से बिल्कुल शुद्ध और अच्छा गुड़ तैयार किया जाता है, जो देश-विदेश में भेजा जाता है. यहां हरे गन्ने का उत्पादन होता है जो पूरे देश में प्रसिद्ध है. सबसे बड़ी बात यह है कि तैयार किया गुड़ हाथों-हाथ चरखी से ही बिक जाता है. जिसके लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती.

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5 किलो की भेली की अधिक मांग : गुड़ बनाने वाले किसानों का कहना है कि पहले 5 किलो की गुड़ की भेलियां तैयार की जाती थी, लेकिन अब समय के साथ-साथ लोग भी 5 किलो की भेली न लेकर ढाई से 3 किलो की भेली बनवाना पसंद कर रहे हैं, इन भेलियों की बिक्री अच्छी हो जाती है. उन्होंने बताया कि लोगों की डिमांड के अनुसार ही भेलियां बनाई जाती है.

60 से 70 रुपए किलो तक बिक रहा गुड : गांव में गुड़ बनाने वाले किसान सोजीलाल, रामनारायण सैनी व गणेश लाल का कहना है कि किसान ताजा व अच्छा गुड़ बना रहे हैं, बिना मिलावटी का अच्छा गुड़ 60 से 70 रुपये किलो में बिक रहा है. हालांकि यह दाम बहुत कम है, इससे उन्हें पड़ता नहीं खा रहा है, पूरे वर्ष केवल एक फसल ली जाती है, वहीं अगर सब्जी की फसल की बात करें तो 1 साल में तीन सब्जी की फसल ली जाती है, ऐसे में गन्ने से गुड़ बनाने का कार्य काफी महंगा पड़ता है, लेकिन पुरखों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. हालांकि कई किसानों ने अब गुड़ बनाने का काम बंद कर दिया है.

देश के अन्य जिलों सहित विदेश में बिक रहा गुड़ : गुड़ बनाने वाले किसानों की मानें तो यहां तैयार किया गया गुड़, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सभी जिलों सहित पूरे भारत में बिक रहा है. यही नहीं यहां का गुड़ कनाडा, अमेरिका, दुबई सहित अन्य देशों में भी जाता है.

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