बूंदी. अरावली पहाड़ियों की गोद में बसा बूंदी राजस्थान का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत नजारा लिए है. लेकिन बूंदी का पर्यटन अपनी मांगों को लेकर पुकार लगा रहा है. लेकिन सुनते हुई भी अनसुनी की जा रही है. यहां सड़कों की हालत ऐसी है. जिससे पर्यटकों की घटती संख्या चिंता का विषय है. जो बूंदी के पर्यटन व्यवसाय को खत्म करती जा रही है. यहां हर वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक आते थे. लेकिन प्रशासन की नाकामी इतनी रही कि वह इन सड़कों और जरूरतों को पूरा नहीं कर सके और पर्यटकों का आना अब कम सा हो गया है. जो गलियां पर्यटकों से सनी रहती थी वह आज सुनी है. वहां खुदी हुई सड़कें, कम होते पर्यटकों की तस्वीर बयां कर रही है.
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शहर की सड़कें बूंदी को कर रही शर्मसार
इस सीजन में सैलानियों का आना-जाना बूंदी में लगा रहता है. लेकिन इस बार खुदी हुई सड़के और बदहाल हालात पर्यटकों के लिए दुखदाई साबित हो रहे है. बूंदी में नाम मात्र की संख्या में पर्यटक आ रहे हैं. लेकिन जब वह बूंदी आते है तो यहां की व्यवस्था को लेकर काफी टिप्पणियां करते हैं.
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पर्यटन व्यवसाय की शहर में हो रही दुर्गति
शहर के बालचंदपाड़ा में पर्यटन व्यवसाय की क्या दुर्गति हो रही होगी. वहां पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं. सड़कों पर पानी भरा हुआ है. जिसके चलते आवाजाही के दौरान पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हाड़ौती में सबसे ज्यादा पर्यटक बूंदी में आते है. पर्यटन विभाग के आकड़ो के अनुसार पर्यटन भ्रमण 4 माह तक का होता है. जिसमें बून्दी में 15 हजार के आसपास पर्यटक पर्यटन सीजन में आ जाते है. अगर आंकड़ों की बात करें तो वो कुछ इस तरह है.
![Bundi tourism, विश्व पर्यटन दिवस](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4560412_gfx11.jpg)
![Bundi tourism, विश्व पर्यटन दिवस](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4560412_gfx22.jpg)
पधारो म्हारे देस का सलोगन ऐसे होगा सिद्ध
यहां हर साल देश विदेश से सैलानी बूंदी की विरासत को देखने आते है. लेकिन हालत देखकर आप अंदाजा लगा सकते है की बूंदी ने सैलानियों पर अपनी कैसी छाप छोड़ी होगी. बूंदी के विकास की हालत खस्ताहाल होने के चलते हैं पर्यटकों की संख्या लगातार घटती ही जा रही है. पर्यटन की दृष्टि से अच्छे संकेत बूंदी में नजर नहीं आ रहे हैं. बूंदी के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ बूंदी के पर्यटक के लिए विकास के लिए नए आयाम स्थापित करने होंगे. ताकि बूंदी पर्यटन बढ़ सके वरना बूंदी में पर्यटन लिप्त होने की कगार पर पहुंच जाएगा. अगर सरकार इस समस्या पर गौर करती है तो ना सिर्फ राजस्व बढ़ेगा बल्कि पर्यटन की दृष्टि से शहर का नाम भी होगा और पधारो म्हारे देस का सलोगन भी सही आयाम में सिद्घ होगा.