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स्पेशल स्टोरीः जर्जर भवन को ढहाने के बाद भुल गए अधिकारी, बच्चे खुले में पढ़ने को है मजबूर

राज्यमंत्री अशोक चांदना के विधानसभा क्षेत्र में स्कूलों के हाल बदहाल स्थिति में है. बूंदी जिले के हिण्डोली-नैनवां विधानसभा क्षेत्र में सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर होने पर ढहा दिए गए. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से अब तक नए स्कूल भवन नहीं बनवाए गए है. छोटे-छोटे बच्चे ठंड में भी खुले आसमान के नीचे बैठ कर पढ़ने को मजबूर है.

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सरकारी स्कूलों के हाल बदहाल
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Published : Dec 12, 2019, 3:34 AM IST

बूंदी. जिले के नैनवा उपखंड में सरकारी स्कूलों के हाल बदहाल होते नजर आ रहे है. लेकिन शिक्षा विभाग और सरकार स्कूलों की बदहाल हालत को देख कर भी अनदेखा कर रही है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की ओर से जर्जर विद्यालयों को जमीदोज तो कर दिया गया, लेकिन उनको वापस बनाना वो भूल गए है.

सरकारी स्कूलों के हाल बदहाल

पूरा मामला खेलमंत्री राज्यमंत्री अशोक चांदना के क्षेत्र नैनवां उपखंड के कालामाल गांव के सरकारी विद्यालय का है. जानकारी के अनुसार कालामाल गांव में साल 1977 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय बना था, जो कि बाद में उच्च प्राथमिक विद्यालय में तब्दील हो गया और समय के साथ विद्यालय जर्जर हालत में पहुंच गया. जर्जर हालत के चलते शिक्षा विभाग ने स्कुल भवन को जर्जर घोषित कर ढहाने के आदेश जारी कर दिए है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने भवन को वापस बनाने के लिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. जिसका खामियाजा विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.

सर्दी, गर्मी और बरसात में बच्चे खुले में ही पढ़ने को है मजबूर-

ग्रामीणों ने बताया कि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के स्कूल भवन के जर्जर होने के कारण 8 महीने पहले प्रशासनिक अधिकारियों ने ढहा दिया था. जिसके बाद से बच्चे खुले में ही पढ़ाई कर रहे हैं. जो सर्दी, गर्मी और बरसात में भी खुले में ही पढ़ने को मजबूर हैं. लेकिन शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से स्कूल भवन 8 महीनों में भी बनना तो दूर की बात है, अब तक उसके टेंडर तक पास नहीं हुए है. जिससे विद्यालय में बच्चों की संख्या लगातार घटती जा रही है.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: स्मार्ट सिटी में रहने वालों ये तस्वीर भी देखो...चिमनी की रोशनी के तले पढ़ रहा देश का भविष्य

समस्या से अवगत कराने के बाद भी नहीं मिल रहा समाधान-

ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी में बच्चे धूप में बैठने से बीमार पड़ने लगे है. कई बच्चों ने तो स्कूल जाना भी बंद कर दिया है. वहीं बरसात में बच्चे कहां बैठ कर पढ़ाई करें, यहीं समस्या विद्यालय के शिक्षकों के सामने भी आ जाती है. वहीं सर्दी में भी खुले आसमान के तले बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है. ऐसे में ग्रामीणों ने राज्यमंत्री सहित प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार इस समस्या से अवगत भी करवाया लेकिन अभी तक बच्चे खुले में ही पढ़ने के लिए जाते हैं.

पत्र पर नहीं हुई कोई कार्रवाई-

जब इस बारे में विद्यालय अध्यापक से बात की तो उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधक की ओर से शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी, जिला कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों को स्कूल भवन भूमि के लिए कई बार पत्र लिख चुके हैं. लेकिन आज तक उन पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अगर यह स्कूल ऐसे ही खुलें मे चलता रहा तो 1 दिन कोई भी बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ने नहीं जायेगा.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: 'स्वर्णनगरी' बन रही प्री-वेडिंग शूट के लिए पसंदीदा लोकशन, हर साल हो रही 1 हजार से ज्यादा शूटिंग

सरकार शिक्षा के प्रति गंभीर है या नहीं-

जहां एक ओर सरकार शिक्षा को लेकर सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए कई योजनाएं चला रही है. वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों के लिए ना तो जगह आवंटित की गई है और ना ही नए भवन बनाये गए है. जिससे सरकारी स्कूलों के बच्चे सर्दी, गर्मी और बरसात में खुले में ही पढ़ने को मजबूर है. जिससे साफ तौर पर नजर आता है कि सरकार शिक्षा के प्रति कितनी गंभीर है.

बूंदी. जिले के नैनवा उपखंड में सरकारी स्कूलों के हाल बदहाल होते नजर आ रहे है. लेकिन शिक्षा विभाग और सरकार स्कूलों की बदहाल हालत को देख कर भी अनदेखा कर रही है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की ओर से जर्जर विद्यालयों को जमीदोज तो कर दिया गया, लेकिन उनको वापस बनाना वो भूल गए है.

सरकारी स्कूलों के हाल बदहाल

पूरा मामला खेलमंत्री राज्यमंत्री अशोक चांदना के क्षेत्र नैनवां उपखंड के कालामाल गांव के सरकारी विद्यालय का है. जानकारी के अनुसार कालामाल गांव में साल 1977 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय बना था, जो कि बाद में उच्च प्राथमिक विद्यालय में तब्दील हो गया और समय के साथ विद्यालय जर्जर हालत में पहुंच गया. जर्जर हालत के चलते शिक्षा विभाग ने स्कुल भवन को जर्जर घोषित कर ढहाने के आदेश जारी कर दिए है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने भवन को वापस बनाने के लिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. जिसका खामियाजा विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.

सर्दी, गर्मी और बरसात में बच्चे खुले में ही पढ़ने को है मजबूर-

ग्रामीणों ने बताया कि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के स्कूल भवन के जर्जर होने के कारण 8 महीने पहले प्रशासनिक अधिकारियों ने ढहा दिया था. जिसके बाद से बच्चे खुले में ही पढ़ाई कर रहे हैं. जो सर्दी, गर्मी और बरसात में भी खुले में ही पढ़ने को मजबूर हैं. लेकिन शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से स्कूल भवन 8 महीनों में भी बनना तो दूर की बात है, अब तक उसके टेंडर तक पास नहीं हुए है. जिससे विद्यालय में बच्चों की संख्या लगातार घटती जा रही है.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: स्मार्ट सिटी में रहने वालों ये तस्वीर भी देखो...चिमनी की रोशनी के तले पढ़ रहा देश का भविष्य

समस्या से अवगत कराने के बाद भी नहीं मिल रहा समाधान-

ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी में बच्चे धूप में बैठने से बीमार पड़ने लगे है. कई बच्चों ने तो स्कूल जाना भी बंद कर दिया है. वहीं बरसात में बच्चे कहां बैठ कर पढ़ाई करें, यहीं समस्या विद्यालय के शिक्षकों के सामने भी आ जाती है. वहीं सर्दी में भी खुले आसमान के तले बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है. ऐसे में ग्रामीणों ने राज्यमंत्री सहित प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार इस समस्या से अवगत भी करवाया लेकिन अभी तक बच्चे खुले में ही पढ़ने के लिए जाते हैं.

पत्र पर नहीं हुई कोई कार्रवाई-

जब इस बारे में विद्यालय अध्यापक से बात की तो उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधक की ओर से शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी, जिला कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों को स्कूल भवन भूमि के लिए कई बार पत्र लिख चुके हैं. लेकिन आज तक उन पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अगर यह स्कूल ऐसे ही खुलें मे चलता रहा तो 1 दिन कोई भी बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ने नहीं जायेगा.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: 'स्वर्णनगरी' बन रही प्री-वेडिंग शूट के लिए पसंदीदा लोकशन, हर साल हो रही 1 हजार से ज्यादा शूटिंग

सरकार शिक्षा के प्रति गंभीर है या नहीं-

जहां एक ओर सरकार शिक्षा को लेकर सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए कई योजनाएं चला रही है. वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों के लिए ना तो जगह आवंटित की गई है और ना ही नए भवन बनाये गए है. जिससे सरकारी स्कूलों के बच्चे सर्दी, गर्मी और बरसात में खुले में ही पढ़ने को मजबूर है. जिससे साफ तौर पर नजर आता है कि सरकार शिक्षा के प्रति कितनी गंभीर है.

Intro:बूंदी जिले के हिण्डोली -नैनवां विधानसभा क्षेत्र में सरकारी स्कुलो के भवन जर्जर होने पर ढहा दिये ।लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अब तक नये स्कुल भवन नहीं बनवाये गये। ऐसा ही एक मामला नैनवां उपखंड के कालामाल गांव के सरकारी स्कुल का है । जहां बच्चों को खुले में पढ़ाई करनी पड़ रही है। वही राज्यमंत्री अशोक चांदना के विधानसभा क्षैत्र में स्कुलो के हाल बदहाल स्थिति में है । वहीं ग्रामीण दर्शाया कई बार राज्यमंत्री व शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को भी मामले से अवगत कराने के बाद भी अब तक स्कुल खुले में ही चल रहा है। Body:बूंदी जिले के नैनवा उपखंड में सरकारी स्कूलों के हाल बदहाल होते नजर आ रहे हैं ।लेकिन शिक्षा विभाग व सरकार स्कूलों की बदहाल हालत को देख कर भी अनदेखा कर रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार द्वारा जर्जर विद्यालयों को जमीदोज तो कर दिया लेकिन उनको को वापस बनाना भूल गए। ऐसा ही एक मामला नैनवां उपखंड के कालामाल गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिला है। जानकारी के अनुसार कालामाल गांव में 1977 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय बना था जो समय के साथ उच्च प्राथमिक विद्यालय बन गया ।जो अब जर्जर हालत में पहुंच गया जर्जर हालत के चलते शिक्षा विभाग ने स्कुल भवन को जर्जर घोषित कर दिया ।वहीं अधिकारियों ने भवन को ढहाने के आदेश जारी कर दिये ।लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने भवन को वापस बनाने के लिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं की । जिसका खामियाजा विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है ।ग्रामीणों ने बताया कि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के स्कुल भवन को जर्जर होने के कारण 8 महीने पहले प्रशासनिक अधिकारियों ने ढहा दिया था ।जिसके बाद से ही बच्चे खुले में ही पढ़ाई कर रहे हैं। जो सर्दी गर्मी व बरसात में भी खुले में ही पढ़ने को मजबूर हैं। लेकिन शिक्षा विभाग वह प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से स्कुल भवन 8 महीनों में भी बनना तो दूर की बात अब तक उसके टेंडर तक नहीं हुए। जिससे विद्यालय में बच्चों की संख्या लगातार घटती जा रही है ।साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी में बच्चों को धूप के अंदर बैठने से बीमार पड़ने लगे तो की बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया । वही बरसात में कहां बैठ कर पढ़ाई करें यही समस्या विद्यालय के शिक्षकों के सामने भी आ जातीे है आखिर बच्चों को कहां बैठाये वही सर्दी में भी खुले आसमान के तले बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है ऐसे में ग्रामीणों ने राज्यमंत्री सहीत प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार इस समस्या से अवगत भी करवाया लेकिन अभी तक बच्चे खुले में ही पढ़ने के लिए जाते हैं ।जब इस बारे में विद्यालय अध्यापक से बात की तो स्कूल प्रबंधक द्वारा शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी जिला कलेक्टर व प्रशासनिक अधिकारियों को स्कूल भवन भूमि के लिए कई बार पत्र लिख चुके हैं।लेकिन आज दिन तक उन पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गई ।वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अगर यह स्कूल ऐसे ही खुलें मे चलता रहा तो 1 दिन कोई भी बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ने नहीं जायेगा।जिससे साफ तौर पर नजर आता है कि सरकार पढ़ाई को लेकर शिक्षा के प्रति कितनी गंभीर है


विजवल - खुले में पढ़ाई करते बच्चे
विजवल - खुले में लगी क्लासे
विजवल - ढहाने के बाद मोके पर पड़ा स्कुल भवन का मलबा



बाईट - रामविलास वार्ड पार्षद
बाईट- भंवर लाल ग्रामवासी
बाईट- महेन्द्र अध्यापकConclusion:जहां एक ओर सरकार शिक्षा को लेकर सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए कई योजनाएं चला रही है ।वहीं दुसरी ओर सरकारी स्कूलों के लिए ना तो जगह आवंटित किए गई और ना ही नये भवन बनाये गये। जिससे सरकारी स्कूलों के बच्चे सर्दी गर्मी व बरसात में खुले में ही पढ़ने को मजबूर हैं। ऐसा ही मामला कालामाल के सरकारी स्कूल का है। जो शिक्षा विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते 8 महीनों में भी भवन नही बन सका।जिससे साफ तौर पर नजर आता है कि सरकार पढ़ाई को लेकर शिक्षा के प्रति कितनी गंभीर है
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