बूंदी. प्रदेश की सरकार निरोगी राजस्थान का सपना देख रही है, चिकित्सा की सुविधा को ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने की बात कर रही है. इस सपने की जमीनी हकिकत कुछ और ही है. सरकार के चिकित्सा सुविधाओं की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ने अस्पतालों का रियलिटी चेक शुरू किया है. इसके तहत बूंदी जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर खटकड़ इलाके में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का रियलिटी चेक किया गया.
इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत क्षेत्र के 64 गांव आते हैं. रोजाना 200 से ज्यादा मरीज अपना इलाज करवाने आते हैं. इस सीएचसी में 4 चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ, कंपाउंडर स्टाफ सहित 15 कर्मचारी मौजूद हैं. अस्पताल में एक वार्ड है. जिसमें 6 बेड लगे हैं. लेकिन सीएचसी बनने के बाद भी ये अस्पताल पीएचसी के पुराने भवन में ही संचालित हो रहा है.
2 साल पहले अपग्रेड हुआ, पर नहीं मिला भवन
खटकड़ में पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हुआ करता था. 2 साल पहले इसे सामुदायिक स्थास्थ्य केंद्र में अपग्रेड कर दिया गया. इस अपग्रेड हुए सीएचसी के नए भवन के लिए खटकड़ चौराहे के पास स्थित 2 बीघा में भूमि आवंटित कर दी गई. भवन बनाने के लिए सरकार की ओर से पैसा भी पास हो गया. लेकिन कई कारणों से मामला विवादित हो गया. इस मामले को लेकर कुछ लोग कोर्ट चले गए. निर्माण और आवंटन सहित पूरे कार्य पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया. जिसके बाद आज तक ये सीएचसी, पुराने पीएचसी के छोटे भवन में ही चल रहा है.
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नहीं हैं सीएचसी जैसी सुविधाएं
खटकड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम से जाना जाने लगा. लेकिन व्यवस्थाएं नहीं बदल पाईं और ना ही इस केंद्र के अंदर की सुविधा बदल पाई. इस सीएचसी में सिर्फ एक वार्ड है, जिसमें 6 बेड है. ऐसे में कभी मरीजों की संख्या ज्यादा हो जाने पर एक बेड में 2 मरीजों का इलाज करना पड़ता है. कई बार तो जमीन पर लेटा कर इलाज किया जाता है.
केंद्र में ना तो सोनोग्राफी मशीन है और ना ही एक्स-रे मशीन है. यहां तक कि सुविधा युक्त लेबर रूम भी नहीं है. आए दिन इन समस्या वाले मरीजों को बूंदी अस्पताल रेफर करना पड़ता है. यहां पोस्टमार्टम करने लिए भी कमरा नहीं है.
साफ-सफाई और सावधानी भी नहीं
इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन में वार्ड के बाहर इंजेक्शन और संक्रमण फैलने जैसी चीजें पड़ी हुई नजर आईं. इस सीएचसी के शौचालय की हालत भी खस्ताहाल है. यहां तक की हाथ धोने वाला बेसिन भी टूटा हुआ है.
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ग्रामीणों के गंभीर आरोप
वहीं सीएचसी में मिलने वाली सुविधाओं को लेकर ग्रामीण पूरी तरह असंतुष्ट नजर आए. ग्रामीणों का कहना है, कि केंद्र पर कभी भी डॉक्टर वक्त पर नहीं आते हैं. हर तरह की दवाई भी नहीं मिलती है और सारी सुविधाएं भी नहीं है. जिसकी वजह से उन्हें बूंदी जाना पड़ता है. कुछ मरीजों की यह भी शिकायत है, कि वहां मौजूद कर्मचारियों का व्यवहार भी उनके प्रति अच्छा नहीं रहता है.
केंद्र प्रभारी ने कुछ और ही कहा
इस स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी पीएन मीणा का कहना है, कि जो व्यवस्थाएं पीएचसी में थी, वही व्यवस्थाएं सीएचसी में है. इस केंद्र में स्टाफ की,चिकित्सकों की और सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं पूरी हैं. डॉक्टर भी वक्त पर आते हैं. मरीजों को दवाई और उपचार भी अच्छा दिया जाता है, लेकिन ज्यादा सुविधाएं नहीं होने के कारण मरीजों को बाहर रेफर करना पड़ता है.
64 गांव के लोगों के लिए बनाए गए इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी नहीं है, लेकिन आज भी ये स्वास्थ्य केंद्र पुराने और छोटे से पीएचसी के भवन में ही संचालित हो रहा है. यहां चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव है. ऐसे में सरकार के निरोगी राजस्थान का सपना इस सीएचसी को देखने के बाद धुंधला सा नजर आता है.
इतने बड़े जनसंख्या वाले इस केंद्र पर मूलभूत सुविधा वाली एक्स-रे मशीन तक नहीं है, जो चिकित्सा विभाग की लापरवाही दर्शाती है. यही दर्द लोगों की जुबां पर भी है. अब देखना होगा, कि सरकार किस तरह अपने सपने को साकार करेगी और किस तरह इन कमियों को पूरा करते हुए यहां की जनता को निरोगी बनाएगी.