बूंदी. शहर की कुंड और बावड़ियों झमाझम बरसात से इस बार लबालब हो गई है. जिसके लिए बूंदी विख्यात है. इनके पानी भर जाने से इनकी खूबसूरती निखर आई है. शहर में अब तक 900 मिमी बारिश हो चुकी है. शहर की सबसे बड़ी झील जैतसागर झील, नवल सागर झील, रानी जी की बावड़ी, बोहरा का कुंड , नागर सागर का कुंड, अभय नाथ महादेव बावड़ी, बाला कुंड, मेंढक दरवाजा बावड़ी और गलियों के छोटे-मोटे कुंड लबालब हो चुके हैं.
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बारिश से बूंदी में क्या बदला
- बालचंद पाड़ा में 12 से अधिक कुंड बावड़ी और ओवरफ्लो चल रहे हैं. नवल सागर झील के लिए लोग सफाई कराकर नौकायन शुरू करने की मांग उठाने लगे हैं.
- जैतसागर झील में पानी में स्थिति कमल जड़ों की भी सफाई करने की मांग हो रही है. साथ ही यहां पर सुख महल में लाइटिंग एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा मिल सकता है.
- नवल सागर झील के पानी की सफाई हो तो इसकी खूबसूरती और बढ़ जाएगी और नौकायन को फिर से शुरू करवाया जा सकता है. विश्व प्रसिद्द रानी जी की बावड़ी में पानी भर चुका है. इसको देखने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं.
- पानी की आवक जारी है. कई सालों बाद बावड़ी में इतना पानी आया है. 60 सीढ़ियों वाली रानी जी की बावड़ी को राजा द्वारा वर्ष 1900 में बनवाया गया था और यहां पानी पूरा आने से बूंदी का पर्यटक खुश हो रहा है.
बूंदी में 100 से अधिक बावड़िया
बूंदी शहर को बावड़ियों के नाम से जाना जाता है. ऐसे में यहां पर 100 से अधिक बावड़िया है. प्राचीन काल में इन बावड़ियों का पानी बूंदी शहर की जनता पीने के लिए उपयोग में लिया करती थी. लेकिन धीरे-धीरे यह स्रोत कम होते चले गए. ऐसे में देखरेख इनका कम होता चला गया तो पानी के स्रोत खत्म होने की कगार पर पहुंच गए. कई वर्षों बाद ऐसा देखने में आया कि बूंदी में इस मानसून की बारिश ने कुंड-बावड़ियों को लबालब कर दिया और फिर से लोगों में आस जगी है कि इन स्त्रोतों में आज भी पानी जमा है. कई कुंड बावड़िया ऐसी है जो पानी से लबालब होने के बाद पर्यटकों को लुभा रही है. साथ ही ऐतिहासिक कलाकृतियों के साथ-साथ पानी भी झील में वह कुंड में अच्छा दिखाई दे रहा है.
बावड़ियों को लेकर पर्यटकों ने साझा किए अपने विचार
यहां आने वाले पर्यटकों का कहना है कि बूंदी में यहां अच्छी बावड़ियां है. जिनमें आज भी पानी के स्त्रोत जमीन से पैदा हो रहे हैं और कुण्ड बावड़ियां भरी हुई है.इन बावडियों को संवारना चाहिए और इनकी देखरेख करना चाहिए ताकि प्राचीन काल से इन पारंपरिक जल स्त्रोत का उपयोग हो सकें. पर्यटकों का कहना है कि इन चीजों को देखकर हम काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं कि आज के युग में यह चीज है हिंदुस्तान में जिंदा है.
हालांकि इन बावड़ियों के अलावा बूंदी की पहाड़ियों पर हरियाली ही हरियाली छाई हुई है. बूंदी के जितने भी पहाड़ है. वहां पर पर्यावरण और पेड़ दोनों ही अपनी छटा बिखेर रहे हैं. जिससे बूंदी की पहाड़ियों से विहंगम दृश्य देखा जा सकता है. इन हरियाली को देखकर पर्यटकों का मन लहरी हो रहा है. कई ने कई छोटीकाशी बूंदी इस मानसून के साथ अपनी छटा बिखेर रही.