बूंदी. लॉकडाउन में भी बूंदी जिले की अर्थव्यवस्था पटरी से नहीं उतरी है. इसका सबसे बड़ा कारण है जिले की 23 राइस मिलों में उत्पादन का जारी रहना. राइस मिलों की वजह से ही विशेष श्रेणी की कृषि उपज मंड में भी फसलों की खरीद फरोख्त जारी रही.
क्या कहते हैं आंकड़े...
- यहां की 23 राइस मिलों में उत्पादन जारी
- जिले की 75 प्रतिशत अर्थव्यवस्था राइस मिलों पर टिकी
- लॉकडाउन के दौरान भी हुआ 225 करोड़ का कारोबार
- हर दिन 20 से 25 ट्रक चावल हो रहा निर्यात
- एक ट्रक में लगभग 15 से 16 लाख का चावल होता है लोड
- सालभर में करीब 1300 करोड़ का है चावल का कारोबारहर दिन लाखों का चावल ट्रकों से हो रहा निर्यात
बैंकों में लेन-देन नहीं हुआ प्रभावित
यहां की मंडी में इन दिनों धान उत्पादक किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल रहा है. चावल मिलों में उत्पादन होने तथा मंडी में खरीद फरोख्त होने से बैंकों में भी रौनक है और हर दिन करोड़ों रुपए का लेन-देन हो रहा है. लॉकडाउन लागू होने के बाद बूंदी राइस मिलों में कार्यरत मजदूरों ने पलायन नहीं किया है.
जिला कलेक्टर ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
जिले के राइस मिलर्स ने जिला कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुरूप अपनी चावल मिलों में चावल उत्पादन किया. जिला कलेक्टर ने समय-समय पर मजदूरों का हौसला भी बढ़ाया. जिससे बूंदी में कार्यरत मजदूर पलायन करने को मजबूर नहीं हुए.
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धान की किस्मों में 150 से 100 रुपए की तेजी
बूंदी की विशिष्ट श्रेणी की कृषि मंडी में भी इन दिनों धान का उचित मूल्य मिल रहा है. मंडी में 1,121 रुपए में बिकने वाले धान का मूल्य 2,750 रुपए मिला. वहीं अन्य किस्म की धानो में भी 100 से 150 रुपए की तेजी रिकॉर्ड की गई है.
प्रशासन का रहा साथ, नहीं आई कोई रुकावट
श्री चावल उद्योग संघ के अध्यक्ष राजेश तापड़िया ने बताया कि बूंदी के चावल उद्योग को लॉकडाउन के बीच सरकार की गाइडलाइन के अनुसार चालू रखा गया. इसमें जिला कलेक्टर नेहरा और पुलिस अधीक्षक शिवराज मीणा की अहम भूमिका रही है. वही जिला उद्योग केंद्र द्वारा भी समय-समय पर राइस मिलर्स का मार्गदर्शन कर उत्पादन का मार्ग प्रशस्त किया है.
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तापड़िया ने बताया कि आने वाले समय में इसका लाभ बूंदी के बाजारों को मिलेगा, क्योंकि मंडी में रोज किसानों को अपनी उपज का उचित दाम मिला है. वहीं पैसा आने वाले समय बूंदी के बाजार में आएगा और बूंदी का जो ग्रामीण क्षेत्र है. वहां पर इकोनॉमिक्स बढ़िया रही है.
मजदूरों ने दिया पूरा साथ
लॉकडाउन लागू होने से प्रवासी मजदूर कंधों पर झोला रखकर अपने घरों की ओर चल पड़े थे. लेकिन बूंदी में आए इन प्रवासियों ने संयम रखा. यहां करीब हजारों मजदूर काम करते हैं. इसका फायदा यह हुआ कि मजदूरों को भूखा भी नहीं रहना पड़ा और ना ही इनके सामने बेरोजगारी की समस्या आई.
राइस मिलों ने मजदूरों को रोजगार देने के साथ-साथ सरकार में भी आर्थिक सहयोग दिया है. साथ में बूंदी के कई दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों उन तक खाना पहुंचाया है. लगातार बूंदी की इन राइस मिलों में कार्य जारी है. लॉकडाउन के समय यह राइस मिल बूंदी की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान बराबर देता हुआ नजर आया है.