बूंदी. शहर में खादी ग्रामोद्योग कार्यक्रम आयोजित हुआ. जिसमें जिलेभर से आए प्रजापत समाज से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और खादी ग्रामोद्योग अध्यक्ष विनय सक्सेना ने मंच से करीब 500 से अधिक कुंभकारों को इलेक्ट्रॉनिक चाक वितरित किए, साथ ही हाथ से कपड़े व धागे बनाने वाले बुनकरों और जूतों का कार्य करने वाले कारीगरों को नई तकनीक वाली सामग्रियां दी. इस दौरान कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ने सभी बुनकर, मजदूरों और शिल्पकार और जूते के कारीगरों की हर स्टॉल पर जाकर उनसे वार्ता कर उनकी कार्यप्रणाली को जाना.
प्लास्टिक को लेकर लोकसभा अध्यक्ष की जनता से अपील
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज देश में प्लास्टिक यूज होने से आमजन के स्वास्थ्य पर काफी खतरा मंडराता है, तो पर्यावरण व नदी तालाबों एवं समुंदरों तक इसका दुष्प्रभाव पड़ता है. इसको लेकर खादी ग्राम उद्योग द्वारा जो कुल्हड़ का निर्माण किया गया है. वह काफी सराहनीय है और मैं इसको लेकर जल्द ही केंद्र सरकार के मंत्री से बात करूंगा कि वह हाड़ौती क्षेत्र के मिट्टी के कुल्हड़ के लिए एक योजना तैयार करें. जिसके माध्यम से जैसे कुल्हड़ तैयार हो वैसे उनकों यहां से उसे खरीद लिया जाए, ताकि उन कुंभकारों को समय रहते अच्छी आय उपलब्ध हो सकें. वहीं बिरला ने अपील की है कि जो प्लास्टिक के बर्तन, बोतल, गिलास होते थे उनकी जगह इन मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें. जिससे एक नई क्रांति देश में जागरूक हो सकें.
खादी ग्राम उद्योग की नई पहल
जहां एक तरफ पूरे देश में एक ओर मिट्टी के बर्तन चाक पर बनाने वाले कारीगर, बुनकर, मजदूरों की लगातार कमी आ रही है, साथ ही इन पुराणिक चीजों से लोगों का मोहभंग होता जा रहा है. इसी को लेकर खादी ग्राम उद्योग ने एक नई पहल की है और इन सारे कार्यों को एक जगह पर लाने का काम किया है. खादी ग्राम उद्योग का मानना है कि देश का हर नागरिक जब वह किसी भी वस्तु का इस्तेमाल करें तो वह वस्तु अपनी माटी की बनी हुई हो. जिसके लिए विभाग ने मिट्टी का कुल्हड़ तैयार किया है. जिसके माध्यम से जब कोई भी व्यक्ति कुल्हड़ से चाय या पानी पीयेगा तो उसे उसकी माटी की याद आएगी. साथ ही वह जमीन से जुड़ा रहेगा और स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा.
खादी ग्राम उद्योग के सुझाव को रेल मंत्रालय ने माना
जिसको ध्यान में रखते हुए हाल ही में केंद्र सरकार के मंत्री से मिलकर पूरे देश के करीब 300 रेलवे स्टेशनों पर अनिवार्य रूप से कुल्हड़ का प्रयोग करने के लिए अनुरोध किया था. इस पर खादी ग्राम उद्योग के इस सुझाव को रेल मंत्रालय ने माना और देश के 300 रेलवे स्टेशन राजस्थान के 25 रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ से चाय लाना अनिवार्य कर दिया. वहीं आज के युग में जिस तरीके से देश तरक्की की राह पर है और इस कुल्लड को बनाने के लिए जो चाक था, वह भी इलेक्ट्रॉनिक हो इसको लेकर भी खादी ग्राम उद्योग ने इलेक्ट्रॉनिक चाक का निर्माण किया है और जो शिल्पकार व कुंभकार इन कुल्हड़ का निर्माण करते हैं उन कुंभकारों को यह इलेक्ट्रॉनिक चाक मुहैया करवाया है, ताकि वह जल्द से जल्द कुल्हड़ को तैयार कर ले और उसे मार्केट में बेच दें. जिससे उनकी आय तथा उनके परिवार का खर्चा अच्छे से चल सके.
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बुनकरों को सहूलियत वाली मशीनें उपलब्ध करवाई
साथ ही देश में हाथों से बनने वाले कपड़े धागे जिन्हें बुनकर कहा जाता है. बुनकरों के लिए भी खादी ग्राम उद्योग ने काफी अच्छी व्यवस्था की है. यहां पर उन्हें भी सहूलियत वाली मशीनें उपलब्ध करवाई है. जिससे आसानी से बुनकर मजदूर उन मशीनों का उपयोग कर कपड़ा और धागे का निर्माण कर सकेंगे. इसको लेकर भी खादी ग्राम उद्योग ने काफी सकारात्मक पहल बुनकर उद्योगों के लिए की है.
मोची को 'चर्म चिकित्सक' नाम दिया
खादी ग्राम उद्योग ने शहर में आमतौर पर जूतों की सफाई करने वाले गरीब मजदूरों को मोची के नाम से जाना जाता था, लेकिन खादी ग्रामोद्योग ने इस शब्द को हटाकर 'चर्म चिकित्सक' नाम दिया है और इन्हें चर्म चिकित्सक खादी ग्राम उद्योग द्वारा बोला जा रहा है. यहां खादी ग्राम उद्योग द्वारा भी उन्हें चर्म टूल मुहैया करवाया गया और उसके लिए भी राज्य व केंद्र में सब्सिडी खादी ग्राम उद्योग के माध्यम से दी जा रही है.
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मधुमक्खी की खेती के लिए बॉक्स भी सब्सिडी दर में मुहैया कराया
यही नहीं देश में किसान मधुमक्खी की खेती करता है तो उसे भी बॉक्स की आवश्यकता होती है, तो इसको लेकर खादी ग्रामोद्योग ने किसानों को भी बी बॉक्स भी सब्सिडी दर में मुहैया करवाया है. जिसके चलते किसान मधुमक्खी की खेती के दौरान उस बी बॉक्स का उपयोग कर सकेगा. जिससे मधुमक्खी का पालन भी हो सकेगा और मधुमक्खी का उपयोग भी हो सकेगा. यह बॉक्स भी आज के समारोह में वितरित किए गए हैं.