बूंदी. सावन के अंतिम सोमवार यानि 3 अगस्त को भाई-बहन के मजबूत रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन मनाया जाएगा. इस दिन आयुष्मान योग का शुभ संयोग बन रहा है. सुबह 9:30 बजे से रात 10 बजे के बीच राखी बांधने का शुभ समय होगा. क्योंकि तब भद्राकाल भी निकल जाने से सारा दिन शुभ होगा. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते यह त्योहार भी फीका पड़ता हुआ नजर आ रहा है.
देश और प्रदेश में लगातार कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. जिसके चलते यह त्यौहार भी अब फीका नजर आने लगा है. बाजारों में राखी की डिमांड कम है, और व्यापारी दूसरे शहर में जा नहीं पा रहे हैं, तो माल नहीं आ पा रहा है. ऐसे में अब घरों में ही बहनें रक्षा सूत्र बनाने में जुट गई हैं. एक प्रकार से देखा जाए तो बेटियां आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार कर रही हैं.
यही नहीं बहनों ने भी इस बार संकल्प लिया है कि वह चाइनीज राखियों को नहीं खरीदेंगी और उसका पूरी तरह से बहिष्कार करेंगी. साथ में अपने भाइयों से वह चाइनीज सामानों के प्रति बहिष्कार का संकल्प भी दिलवाने की बात कहते हुए नजर आ रही हैं.
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देसी राखियों की बढ़ने लगी मांग
अब बाजारों में चाइनीस राखी नहीं बल्कि देशी राखियों की मांग है. शहर के दुकानदारों के मुताबिक इस बार भारतीय संस्कृति से जुड़ी चंदन, रुद्राक्ष और तुलसी की राखियां पसंद आ रही है. बच्चों के लिए कार्टून कैरेक्टर वाली राखियां, म्यूजिक लाइट वाली, इलेक्ट्रॉनिक राखियां, कार्टून हीरो जैसे बेनटेन, डोरेमोन, छोटा भीम और छोटा गणेश की राखियां भी पसंद आ रही है. इसमें भाई-बहन की फोटो प्रिंट वाली राखियां आकर्षण का केंद्र बनी हैं.
शहर के व्यापारियों की बात की जाए तो कोरोना काल में रक्षाबंधन पर बाहर से माल कम आ रहा है. व्यापारी पिछले साल की बची राखियां सजा रहे हैं. व्यापारी मानते हैं कि चाइनीज राखियों की मांग ना के बराबर है. बाहर से माल कमाने से बहुत सी महिलाएं राखी घर में ही बना रही हैं. कुछ महिला संगठन मास्क की तरह राखियां बांटने की तैयारी में है.
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बूंदी की बात की जाए तो बूंदी के व्यापारी दिल्ली, जोधपुर, अहमदाबाद से हर वर्ष बड़ी संख्या में राखी लाकर बेचते थे. लेकिन वह कोरोना वायरस के चलते इस बार नहीं गए. ऐसे में पिछले साल की बच्ची राखियां ही बाजारों में नजर आएगी और खरीदारी पर भी इस बार इफेक्ट पड़ने वाला है. इस बार कोरोना वायरस के चलते बूंदी में राखी का बाजार भी नहीं सजेगा.