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स्पेशल रिपोर्ट: नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा होगी मेज नदी, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट ने किया दौरा

केंद्र सरकार के नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा बूंदी की मेज नदी होगी. इसके लिए (FRI) फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून के एक साइंटिस्ट ने बूंदी-कोटा सहित दूसरे जिलों में चंबल और मेज नदी तटों का निरीक्षण किया है, देखिए बूंदी से स्पेशल रिपोर्ट...

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नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा होगी मेज नदी
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Published : Feb 10, 2020, 8:49 AM IST

बूंदी. केंद्र सरकार की ओर से नदियों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा बूंदी की मेज नदी होगी. इस योजना के तहत नदी में जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, वन क्षेत्र विकसित करने के काम होंगे. इसके लिए पौधे लगाए जाएंगे, साथ ही एनीकट, चेकडैम बनाए जाने सहित कई विकास कार्य करवाए जाएंगे. इसको लेकर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट ने भी दौरा किया है और एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है और इस प्रोजेक्ट के तहत नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की योजना बनाई जा रही है.

नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा होगी मेज नदी, देखें स्पेशल रिपोर्ट

सहायक नदियों का किया निरीक्षण
वहीं इस प्रोजक्ट को लेकर डीएफओ सुरेश मिश्रा ने बताया, कि रिपोर्ट के बाद DPR बनाई जाएगी. बूंदी में हिंडोली वन क्षेत्र के ओवन, बसोली, बंधा का खेड़ा, केशोरायपाटन व अन्य जिलों में चंबल की सहायक नदियों का निरीक्षण किया गया है.

पढ़ें- केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का सिंधु जल समझौते पर बड़ा बयान

चंबल की सहायक नदी है मेज नदी
नमामि गंगे के तहत गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चल रहा है. इसके तहत गंगा की सहायक नदी यमुना को प्रदूषण और गंदगी से मुक्त करने का अलग प्रोजेक्ट तैयार कर उस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. चंबल, यमुना नदी की सहायक नदियों में से एक है. चंबल की सहायक नदी में मेज नदी भी है. चंबल नदी के दोनों तरफ 5-5 किमी और मेज नदी के दोनों तरफ 2-2 किमी के एरिया में जल संरक्षण, मृदा संरक्षण वन क्षेत्र विकसित करने के काम होंगे. वहीं नदियों की बहने की रफ्तार को धीमा किया जाएगा, ताकि मिट्टी का कटाव कम हो, जिससे गंदगी को यमुना नदी में पहुंचने से रोका जा सके.

मेज नदी बूंदी के 60 किमी एरिया को करती है कवर
चंबल नदी की सहायक नदी बूंदी की मेज नदी है. यह भीलवाड़ा के मांडलगढ़ से निकलकर बूंदी-कोटा जिले से चंबल में मिलती है. मेज नदी का जल ग्रहण क्षेत्र भीलवाड़ा-बूंदी-टोंक जिला है. इसकी सहायक नदियां कुराल, मंगाली, घोड़ा पछाड़ है. सबसे बड़ी बात यह है, कि इस नदी का सबसे बड़ा हिस्सा बूंदी जिले के 60 किलोमीटर एरिया को कवर करते हुए चंबल नदी में मिलता है और सबसे ज्यादा प्रदूषण मेज नदी के तट पर विभाग को मिला है और यह नदी बूंदी के वन क्षेत्र से भी होकर गुजरती है तो इस नदी की अहमियत और बढ़ जाती है.

किसानों को मिल सकेगा शुद्ध पानी
जिसको लेकर वन विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट नमामि गंगे प्रोजेक्ट के साथ सौंपी है. इस प्रोजेक्ट में मेज नदी के शामिल होने के बाद किसानों को शुद्ध पानी मिल सकेगा, साथ में नदी में जो गंदे नाले छोड़े जाते थे, उन नालों को बंद कर पानी को शुद्ध किया जा सकेगा. साथ में नदी को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकेगा. इसको लेकर बूंदी वासियों में भी काफी खुशी की लहर है और जिले की मेज नदी को नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है. जिसको लेकर सराहनीय प्रयास बूंदी की जनता ने बताया है.

पढ़ें- गंगा की सफाई सिर्फ सरकार नहीं, समाज की भी जिम्मेदारी : गजेंद्र सिंह शेखावत

सहायक नदियों के बिना गंगा नहीं हो सकती स्वच्छ
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय नमामि गंगे मिशन के तहत यमुना की सफाई के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है. सहायक नदियों को साफ किए बिना गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता. इसके लिए केंद्र ने यमुना कार्य योजना की शुरुआत की है. इसके पहले और दूसरे चरण में 15 अरब रुपए खर्च हो चुके हैं. तीसरे चरण की कार्ययोजना के लिए करीब 8 अरब रुपए खर्च का अनुमान है. नमामि गंगे मिशन की कामयाबी के लिए सात मंत्रालय एक साथ कार्य कर रहे हैं. जिनमें जल संसाधन, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, पेयजल स्वच्छता, पर्यटन, मानव संसाधन विकास, आयुष व नौवहन मंत्रालय जुटे हुए हैं.

बूंदी. केंद्र सरकार की ओर से नदियों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा बूंदी की मेज नदी होगी. इस योजना के तहत नदी में जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, वन क्षेत्र विकसित करने के काम होंगे. इसके लिए पौधे लगाए जाएंगे, साथ ही एनीकट, चेकडैम बनाए जाने सहित कई विकास कार्य करवाए जाएंगे. इसको लेकर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट ने भी दौरा किया है और एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है और इस प्रोजेक्ट के तहत नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की योजना बनाई जा रही है.

नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा होगी मेज नदी, देखें स्पेशल रिपोर्ट

सहायक नदियों का किया निरीक्षण
वहीं इस प्रोजक्ट को लेकर डीएफओ सुरेश मिश्रा ने बताया, कि रिपोर्ट के बाद DPR बनाई जाएगी. बूंदी में हिंडोली वन क्षेत्र के ओवन, बसोली, बंधा का खेड़ा, केशोरायपाटन व अन्य जिलों में चंबल की सहायक नदियों का निरीक्षण किया गया है.

पढ़ें- केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का सिंधु जल समझौते पर बड़ा बयान

चंबल की सहायक नदी है मेज नदी
नमामि गंगे के तहत गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चल रहा है. इसके तहत गंगा की सहायक नदी यमुना को प्रदूषण और गंदगी से मुक्त करने का अलग प्रोजेक्ट तैयार कर उस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. चंबल, यमुना नदी की सहायक नदियों में से एक है. चंबल की सहायक नदी में मेज नदी भी है. चंबल नदी के दोनों तरफ 5-5 किमी और मेज नदी के दोनों तरफ 2-2 किमी के एरिया में जल संरक्षण, मृदा संरक्षण वन क्षेत्र विकसित करने के काम होंगे. वहीं नदियों की बहने की रफ्तार को धीमा किया जाएगा, ताकि मिट्टी का कटाव कम हो, जिससे गंदगी को यमुना नदी में पहुंचने से रोका जा सके.

मेज नदी बूंदी के 60 किमी एरिया को करती है कवर
चंबल नदी की सहायक नदी बूंदी की मेज नदी है. यह भीलवाड़ा के मांडलगढ़ से निकलकर बूंदी-कोटा जिले से चंबल में मिलती है. मेज नदी का जल ग्रहण क्षेत्र भीलवाड़ा-बूंदी-टोंक जिला है. इसकी सहायक नदियां कुराल, मंगाली, घोड़ा पछाड़ है. सबसे बड़ी बात यह है, कि इस नदी का सबसे बड़ा हिस्सा बूंदी जिले के 60 किलोमीटर एरिया को कवर करते हुए चंबल नदी में मिलता है और सबसे ज्यादा प्रदूषण मेज नदी के तट पर विभाग को मिला है और यह नदी बूंदी के वन क्षेत्र से भी होकर गुजरती है तो इस नदी की अहमियत और बढ़ जाती है.

किसानों को मिल सकेगा शुद्ध पानी
जिसको लेकर वन विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट नमामि गंगे प्रोजेक्ट के साथ सौंपी है. इस प्रोजेक्ट में मेज नदी के शामिल होने के बाद किसानों को शुद्ध पानी मिल सकेगा, साथ में नदी में जो गंदे नाले छोड़े जाते थे, उन नालों को बंद कर पानी को शुद्ध किया जा सकेगा. साथ में नदी को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकेगा. इसको लेकर बूंदी वासियों में भी काफी खुशी की लहर है और जिले की मेज नदी को नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है. जिसको लेकर सराहनीय प्रयास बूंदी की जनता ने बताया है.

पढ़ें- गंगा की सफाई सिर्फ सरकार नहीं, समाज की भी जिम्मेदारी : गजेंद्र सिंह शेखावत

सहायक नदियों के बिना गंगा नहीं हो सकती स्वच्छ
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय नमामि गंगे मिशन के तहत यमुना की सफाई के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है. सहायक नदियों को साफ किए बिना गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता. इसके लिए केंद्र ने यमुना कार्य योजना की शुरुआत की है. इसके पहले और दूसरे चरण में 15 अरब रुपए खर्च हो चुके हैं. तीसरे चरण की कार्ययोजना के लिए करीब 8 अरब रुपए खर्च का अनुमान है. नमामि गंगे मिशन की कामयाबी के लिए सात मंत्रालय एक साथ कार्य कर रहे हैं. जिनमें जल संसाधन, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, पेयजल स्वच्छता, पर्यटन, मानव संसाधन विकास, आयुष व नौवहन मंत्रालय जुटे हुए हैं.

Intro:केंद्र सरकार द्वारा नदियों के संरक्षण के लिए चलाई जा रही नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा बूंदी की मेज नदी होगी। इस योजना के तहत नदी में जल संरक्षण ,मृदा संरक्षण, वन क्षेत्र विकसित करने के काम होंगे। इसके लिए पेड़ पौधे लगाए जाएंगे एनीकट, चेकडैम बनाए जाने सहित कई कार्य करवाए जाएंगे । इसको लेकर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट ने भी दौरा किया है और एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है और इस प्रोजेक्ट के तहत नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की योजना बनाई जा रही है ।


Body:बूंदी- केंद्र सरकार के नमामि गंगे प्रोजेक्ट का हिस्सा बूंदी की मेज नदी होगी । इसके लिए( एफआरआई )फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून के एक साइंटिस्ट ने बूंदी -कोटा सहित अन्य जिलों में चंबल और मेज नदी तटों का निरीक्षण किया है । डीएफओ सुरेश मिश्रा ने बताया कि रिपोर्ट के बाद डीपीआर बनाई जाएगी बूंदी में हिंडोली वन क्षेत्र के ओवन , बसोली, बंधा का खेड़ा, के पाटन व अन्य जिलों में चंबल की सहायक नदियों का निरीक्षण किया गया है। दरअसल नमामि गंगे के तहत गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चल रहा है इसके तहत गंगा की सहायक नदी यमुना को प्रदूषण और गंदगी से मुक्त करने का अलग प्रोजेक्ट तैयार कर उस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है । चंबल यमुना नदी की सहायक नदियों में से एक है । चंबल की सहायक नदी में मेज नदी भी है चंबल नदी के दोनों तरफ पांच पांच किमी और मेज नदी के दोनों तरफ दो-दो किमी की एरिया में जल संरक्षण, मृदा सरक्षण वन क्षेत्र विकसित करने का काम होंगे । इसके लिए पेड़ पौधे लगाए जाएंगे एनीकट ,चेक डैम बनाए जाएंगे । नदियों की बहने की रफ्तार को धीमा किया जाएगा ताकि मिट्टी का कटाव कम हो जिससे गंदगी को यमुना नदी में पहुंचने से रोका जा सके । हालांकि यह काम चंबल - मेज आदि नदियों के चिन्हित क्षेत्रों में होंगे ना कि उद्गम और यमुना में संगम तक पूरी पट्टी में क्योंकि सारे एरिया में ऐसा करने के लिए बहुत बड़ा बजट चाहिए ।

चंबल नदी की सहायक नदी बूंदी की मेज नदी है। यह भीलवाड़ा के मांडलगढ़ से निकलकर बूंदी - कोटा जिले से चंबल में मिलती है मेज नदी का जल ग्रहण क्षेत्र भीलवाड़ा- बूंदी -टोंक जिला है इसकी सहायक नदियां कुराल ,मंगाली ,घोड़ा पछाड है ।सबसे बड़ी बात यह है कि इस नदी का सबसे बड़ा हिस्सा बूंदी जिले के 60 किलोमीटर एरिया को कवर करते हुए चंबल नदी में मिलता है और सबसे ज्यादा प्रदूषण मेज नदी के तट पर विभाग को मिला है । और यह नदी बूंदी के वन क्षेत्र से भी होकर गुजरती है तो इस नदी की अहमीयता और बढ़ जाती है इसको लेकर वन विभाग में भी अपनी रिपोर्ट नमामि गंगे प्रोजेक्ट के साथ सौंपी है । इस प्रोजेक्ट में मेज नदी के शामिल होने के बाद किसानों को शुद्ध पानी मिल सकेगा साथ में नदी में जो गंदे नाले छोड़े जाते थे उन नालों को बंद कर पानी को शुद्ध किया जा सकेगा । साथ में नदी को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकेगा इसको लेकर बूंदी वासियों में भी काफी खुशी की लहर है और जिले की मेज नदी को नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है जिसको लेकर सराहनीय प्रयास बूंदी की जनता ने बताया है ।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय नमामि गंगे मिशन के तहत यमुना की सफाई के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है । सहायक नदियों को साफ किए बिना गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता। इसके लिए केंद्र ने यमुना कार्य योजना की शुरुआत की है इसके पहले और दूसरे चरण में 15 अरब रुपए खर्च हो चुके हैं तीसरे चरण की कार्ययोजना के लिए करीब 8 अरब रुपए खर्च का अनुमान है । नमामि गंगे मिशन की कामयाबी के लिए सात मंत्रालय एक साथ कार्य कर रहे हैं जिनमें जल संसाधन ,शहरी विकास, ग्रामीण विकास ,पेयजल स्वच्छता, पर्यटन ,मानव संसाधन विकास ,आयुष व नोवहन मंत्रालय जुटे हुए हैं ।


Conclusion:नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत मेज नदी के कुछ हिस्से इस प्रोजेक्ट में शामिल किए जाएंगे जिसमें बूंदी की इस मैच नदी में 2 किलोमीटर के एरिया में जल संरक्षण ,मृदा संरक्षण ,वन क्षेत्र विकसित सहित कई विकास कार्य करवाए जाएंगे जिससे मेज नदी प्रदूषण मुक्त हो सके और इसका पानी शुद्ध हो सके । बूंदी के विभाग द्वारा इसकी डिटेल रिपोर्ट और प्रोजेक्ट को तैयार कर उच्च अधिकारियों को भिजवाई जा रहा है । अब प्रोजेक्ट में किन-किन हिस्सों को शामिल किया जाएगा यह तो अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा होगा । लेकिन बूंदी की मेज नदी को नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल किए जाने के बाद मेज नदी को चार चांद लगने जा रहे हैं ।

बाईट - सुरेश मिश्रा , डीएफओ ,बूंदी
बाईट - शब्बीर अंसारी , स्थानीय युवक
बाईट - खुशराज भाई , जागरूक युवक
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