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बूंदी की चित्र शैली खोती जा रही अपना अस्तित्व...सरकार नहीं ले रही सुध - Boondi

देश में कला के क्षेत्र में खास पहचान बनाने वाली बूंदी की चित्र शैली अपना अस्तित्व खोती जा रही है. चित्र शैली बूंदी के कला प्रेमी राजाओं ने अपने मनोरंजन के लिए चित्रकला को प्रमुखता से अपनाया था. लगभग 700 साल पहले राजाओं के चित्रकारों ने विशिष्ट चित्र बनाने की परंपरा शुरू करवाई थी. इस विशिष्ट शैली को बूंदी चित्रशैली के नाम से जाना जाता है.

अस्तित्व खो रही विश्व प्रसिद्ध बूंदी की चित्रकला शैली
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Published : Apr 18, 2019, 4:55 PM IST

बूंदी. हाथियों का दंगल, राग रागिनी, रास लीलाएं , युद्ध के लिए जाते घोड़े राजदरबार सहित कई विषयों के चित्रों के लिए बूंदी शैली की अपनी पहचान है. इन चित्रों में प्राचीन समय के चित्रकारों की बारीकियों ने ही बूंदी चित्र शैली को ऊंचाई पर पहुंचाया लेकिन आज यही अपना स्वरूप खोती जा रही है. वर्तमान में बूंदी चित्र शैली में सिर्फ दुकान तक ही सीमित रह गई है. बूंदी में वर्तमान में एक भी प्राचीन समय की मूल पेंटिंग नहीं बची है. यहां की बूंदी चित्र शैली की सभी मूल पेंटिंग दूसरी जगह पर चली गई है. बूंदी के प्राचीन दरवाजों पर भी आज भी बूंदी शैली की पेंटिंग दिखाई देती है. पूरे जिले में आज बूंदी शैली के कुछ ही कलाकार बचे हैं जो बड़े संघर्ष के साथ चित्र को जिंदा रखे हुए हैं.


चार कलाकार बूंदी की चित्र शैली को जिंदा रखे हुए हैं. इनमें सबसे पहला नाम आता है गोपाल सोनी का. गोपाल सोनी ने अपना पूरा जीवन ही बूंदी चित्र शैली को समर्पित कर दिया लेकिन दुख की बात है कि आज तक सरकार की ओर से उनको ना कोई मदद ना ही सम्मान नहीं मिला.

अस्तित्व खो रही विश्व प्रसिद्ध बूंदी की चित्रकला शैली


बूंदी चित्र शैली से जुड़े एक और युवा कलाकार हैं युग प्रसाद व इन्होंने ने भी बूंदी चित्र शैली को अपना करियर और व्यवसाय बनाया हुआ है युग प्रसाद विदेशी पर्यटकों को बूंदी चित्र शैली की पेंटिंग बनाना सिखाते हैं विदेशी पर्यटकों को बूंदी चित्र शैली की पेंटिंग बहुत पसंद आती है । प्रसाद ने बूंदी शैली को जुड़े अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि बूंदी शैली प्राचीन शैली है और इसकी के कद्र भारतीय भले ही ना करें लेकिन विदेशी इस शैली को बहुत पसंद करते हैं. बूंदी के राजा रानियों एवं से जुड़े सुंदर शैली प्रसाद बनाते हैं.

वहीं बूंदी की चित्र शैली को विदेशी पर्यटक खूब पसंद करते हैं. यहां की कला और पेंटिंग पर्यटकों का मन मोहती है. फ्रांस से आए एक पर्यटक ने बूंदी की चित्र शैली को खूब सराहा. वहीं पर्यटन अधिकारी प्रेम शंकर का कहना है कि कई बार हमने सरकार को भूमि चित्र शैली के लिए उसके सहेजने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक भी हमें कोई स्वीकृति नहीं दी है. इस बार भी फिर मांग उठी है तो हम फिर प्रस्ताव बना कर सरकार को भेजेंगे.

बूंदी. हाथियों का दंगल, राग रागिनी, रास लीलाएं , युद्ध के लिए जाते घोड़े राजदरबार सहित कई विषयों के चित्रों के लिए बूंदी शैली की अपनी पहचान है. इन चित्रों में प्राचीन समय के चित्रकारों की बारीकियों ने ही बूंदी चित्र शैली को ऊंचाई पर पहुंचाया लेकिन आज यही अपना स्वरूप खोती जा रही है. वर्तमान में बूंदी चित्र शैली में सिर्फ दुकान तक ही सीमित रह गई है. बूंदी में वर्तमान में एक भी प्राचीन समय की मूल पेंटिंग नहीं बची है. यहां की बूंदी चित्र शैली की सभी मूल पेंटिंग दूसरी जगह पर चली गई है. बूंदी के प्राचीन दरवाजों पर भी आज भी बूंदी शैली की पेंटिंग दिखाई देती है. पूरे जिले में आज बूंदी शैली के कुछ ही कलाकार बचे हैं जो बड़े संघर्ष के साथ चित्र को जिंदा रखे हुए हैं.


चार कलाकार बूंदी की चित्र शैली को जिंदा रखे हुए हैं. इनमें सबसे पहला नाम आता है गोपाल सोनी का. गोपाल सोनी ने अपना पूरा जीवन ही बूंदी चित्र शैली को समर्पित कर दिया लेकिन दुख की बात है कि आज तक सरकार की ओर से उनको ना कोई मदद ना ही सम्मान नहीं मिला.

अस्तित्व खो रही विश्व प्रसिद्ध बूंदी की चित्रकला शैली


बूंदी चित्र शैली से जुड़े एक और युवा कलाकार हैं युग प्रसाद व इन्होंने ने भी बूंदी चित्र शैली को अपना करियर और व्यवसाय बनाया हुआ है युग प्रसाद विदेशी पर्यटकों को बूंदी चित्र शैली की पेंटिंग बनाना सिखाते हैं विदेशी पर्यटकों को बूंदी चित्र शैली की पेंटिंग बहुत पसंद आती है । प्रसाद ने बूंदी शैली को जुड़े अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि बूंदी शैली प्राचीन शैली है और इसकी के कद्र भारतीय भले ही ना करें लेकिन विदेशी इस शैली को बहुत पसंद करते हैं. बूंदी के राजा रानियों एवं से जुड़े सुंदर शैली प्रसाद बनाते हैं.

वहीं बूंदी की चित्र शैली को विदेशी पर्यटक खूब पसंद करते हैं. यहां की कला और पेंटिंग पर्यटकों का मन मोहती है. फ्रांस से आए एक पर्यटक ने बूंदी की चित्र शैली को खूब सराहा. वहीं पर्यटन अधिकारी प्रेम शंकर का कहना है कि कई बार हमने सरकार को भूमि चित्र शैली के लिए उसके सहेजने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक भी हमें कोई स्वीकृति नहीं दी है. इस बार भी फिर मांग उठी है तो हम फिर प्रस्ताव बना कर सरकार को भेजेंगे.

Intro:देश में कला के क्षेत्र में खास पहचान अपने वाली बूंदी चित्र शैली अपना अस्तित्व खोती जा रही है । बूंदी चित्रशैली बूंदी के कला प्रेमी राजाओ ने अपने मनोरंजन के लिए चित्रकला को प्रमुखताओं से अपनाया था। लगभग 700 साल पहले राजाओं के चित्रकरो ने विशिष्ट चित्र बनाने की परंपरा शुरू करवाई थी इस विशिष्ट शेली को बूंदी चित्रशैली के नाम से जाना जाता है ।

देश और विदेश में बूंदी शैली ने अपना अलग नाम कमाया और अपना अलग पहचान बनाई । शैली के चित्र में राज रजवाड़ो के समय के चित्र प्रमुख रूप से बनाए जाते हैं । आज विरासत दिवस है क्या राज्य सरकार बूंदी की चियरशेली को सजने की कोशिश करेगी ?


Body:राजाओं की शिकारी का दृश्य , हाथियों का दंगल , राग रागिनी , रास लीलाएं , युध्द के लिए जाते घोड़े राजदरबार सहित कई विषयों के चित्रो के लिए शैली की पहचान है । इन चित्रों में प्राचीन समय के चित्रकारों की बारीकियों ने ही बूंदी चित्र शैली को ऊंचाई पर पहुंचाया। लेकिन आज यही अपना स्वरूप होती जा रही है । वर्तमान में बूंदी चित्र शैली में सिर्फ दुकान तक ही सीमित रह गई है बूंदी में वर्तमान में एक भी प्राचीन समय की मूल पेंटिंग नहीं बची है यहां की बूंदी चित्र शैली की सभी मूल पेंटिंग दूसरी जगह पर चली गई है । बूंदी के प्राचीन दरवाजों पर भी आज भी बूंदी शैली की पेंटिंग दिखाई देती है पूरे जिले में आज बूंदी शैली के कुछ ही कलाकार बचे हैं जो बड़े संघर्ष के साथ चित्र को जिंदा रखे हुए हैं हमने बूंदी चित्र से जुड़े कलाकारों के हालात देखें ।


Conclusion:चार कलाकार बूंदी की चित्र शैली को जिंदा रखे हुए हैं और बचाने में जुटे हुए हैं इनमें सबसे पहला नाम आता है गोपाल सोनी का गोपाल सोनी ने अपना पूरा जीवन ही बूंदी चित्र शैली को समर्पित कर दिया लेकिन दुख की बात है कि आज तक सरकार की ओर से उनको कोई मदद नही की नाही सम्मान नहीं मिला है । बूंदी चित्र शैली की इतनी खूबसूरत पेंटिंग बनाते हैं कि देखने वालो की भी इन पर से नजर नहीं हटती गोपाल सैनी ने अपनी पीड़ा कैमरे पर बयां करते हुए बूंदी चित्र शैली को बचाने की मांग की है ।

बाईट -गोपाल सोनी , चित्रकार

बूंदी चित्र शैली से जुड़े एक और युवा कलाकार है युग प्रसाद व इन्होंने ने भी बूंदी चित्र शैली को अपना कैरियर और व्यवसाय बनाया हुआ है युग प्रसाद विदेशी पर्यटकों को बूंदी चित्र शैली की पेंटिंग बनाना सिखाते हैं विदेशी पर्यटकों को बूंदी चित्र शैली की पेंटिंग बहुत पसंद आती है । प्रसाद ने बूंदी शैली को जुड़े अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि बूंदी शैली प्राचीन शैली है और इसकी के कद्र भारतीय भले ही ना करें लेकिन विदेशी इस शैली को बहुत पसंद करते हैं। बूंदी के राजा रानियों एवं से जुड़े सुंदर शेली प्रसाद बनाते हैं । युग प्रसाद हाथ के नाखून पर भी चित्र से लेकर पेंटिंग बनाते हैं जो एक बहुत बड़ा अद्भुत काम है ।

बाईट - युग प्रसाद , चित्रकार

वहीं फ्रांस से आए पर्यटक ने भी बूंदी चित्र शैली और यहां की कलाओं की तारीफ करते हुए कहा कि बूंदी पेंटिंग काफी सुंदर है उन्हें आकृतियां काफी अच्छी लगती है उन्हें बूंदी घूमकर वह बूंदी की चित्र शैली को देख कर काफी अच्छा लगा

बाईट - ऐतिर , फ्रांस पर्यटक


वही दुकानदार मनीष का कहना है कि बूंदी चित्र शैली के प्रति राजस्थान सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही नहीं । पर्यटन से जुड़े लोग को ध्यान नही दे रहे हैं । राजस्थान सरकार भी केवल मॉडर्न चित्र शैली को ही अपना रही है जबकि मूल पेंटिंग हमारी है ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए ।।

बाईट - मनीष , दुकानदार

वहीं पर्यटन अधिकारी प्रेम शंकर का कहना है कि कई बार हमने सरकार को भूमि चित्र शैली के लिए उसके सहेजने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक भी हमें कोई स्वीकृति नहीं दी है । इस बार भी फिर मांग उठी है तो हम फिर प्रस्ताव बना कर सरकार को भेजेंगे ।

बाईट - प्रेम शंकर , पर्यटन अधिकारी , बूंदी

अगर यही हाल रहा तो एक दिन बूंदी चित्र शैली से लुप्त हो जाएगी । आज वास्तव में बोली शैली को बचाने की जरूरत है और साथ ही इसे से जुड़े कलाकारों के उनके सम्मान की भी आवश्यकता है सरकार को भी बूंदी चित्र शैली के सरक्षण की पहल करनी चाहिए ताकि पर्यटन के क्षेत्र में जिस तरीके के राजस्थान का देश में नाम है उसी तरह नाम कायम रहे।
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