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बूंदी जिले की 3 सीटों पर कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार के बड़े कारण, गहलोत के मंत्री ने लहराया परचम

Bundi, Rajasthan Vidhan Sabha Chunav Assembly Election Result 2023, बूंदी जिले की 3 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई और भाजपा की हार. गहलोत के मंत्री ने एक बार फिर परचम लहराया. वहीं, 26 प्रत्याशियों में से 19 की जमानत जब्त हो गई. यहां जानिए जीत-हार के कारण और बूंदी का सियासी समीकरण.

Analysis on Defeat and Win Reasons
बूंदी जिले की 3 सीटों पर कांग्रेस का परचम और भाजपा की हार
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 6, 2023, 7:58 AM IST

बूंदी. राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम में बूंदी जिले की तीनों विधानसभा सीटों बूंदी, हिंडोली और केशोरायपाटन में कांग्रेस के हरिमोहन शर्मा, अशोक चांदना और सीएल प्रेमी ने विजय प्राप्त की है. हालांकि, जिले में हुई साइलेंट वोटिंग के बाद नेता, कार्यकर्ता सहित आमजन भी परिणामों को लेकर असमंजस में थे और परिणामों को चौंकाने वाला बता रहे हैं. परिणामों के बाद जिले में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण बूथ मैनेजमेंट माना जा रहा है.

हरिमोहन शर्मा की जीत का बड़ा कारण : पिछले 15 सालों बाद बूंदी विधानसभा में कांग्रेस के विधायक बने हरिमोहन शर्मा की जीत के पीछे का बड़ा कारण विगत पांच वर्षों से क्षेत्र में निरंतर सक्रियता रही. 85 वर्षीय शर्मा पिछला चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे तथा सरकार के साथ तालमेल बनाकर अपने संपर्कों के जरिए क्षेत्र में कई विकास कार्य करवा. इन्होंने लोगों को लोककल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित भी करवाया. शर्मा को आमजन और कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव, क्षेत्र में लगातार सक्रियता, बूथ मैनेजमेंट के साथ अपनी जातीय समीकरणों का लाभ भी इस चुनाव में मिला. साथ ही भाजपा के बागी निर्दलीय रूपेश शर्मा के मैदान में डटे रहने का सीधा फायदा हरिमोहन शर्मा को मिला.

पढ़ें : राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति का पाठ पढ़कर सदन में पहुंचने वालों की लंबी फेहरिस्त

हिंडोली में जीत के कारण : हिंडोली विधानसभा क्षेत्र में अशोक चांदना की जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण बूथ मैनेजमंट के साथ उनका युवा तथा बेबाक छवि होना रहा. पिछले 10 वर्षों में करवाए गए विकास कार्यों के सहारे अशोक चांदना भाजपा के कद्दावर पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी को शिकस्त देने में कामयाब रहे. अशोक चांदना को आमजन और कार्यकर्ताओं साथ जुड़ाव, कुशल संवाद, मजबूत टीम और क्षेत्र में सक्रियता का चांदना को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण रही. वहीं, पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी को टिकट मिलने में देरी होना, समय कम मिलने के साथ पिछले कार्यकाल में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होना भी हार का कारण रहा.

जातीय समीकरण के साथ बूथ मैनेजमेंट से मिली प्रेमी को जीत : केशोरायपाटन से 17087 मतों से जीत कर दूसरी बार विधायक बने सीएल प्रेमी को जातीय समीकरण के साथ बूथ मैनेजमेंट का खासा फायदा मिला. यहां पर बागी के तौर पर उतरे कांग्रेस के राकेश बोयत कोई खास प्रभाव नहीं दिखा पाए. जिलाध्यक्ष होने के नाते कार्यकर्ताओं पर अच्छी पकड़ और उनके साथ सक्रिय संबंधों का फायदा सीएल प्रेमी को मिला. वहीं, प्रेमी पिछला चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहे और ग्रामीणों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखा.

बूंदी. राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम में बूंदी जिले की तीनों विधानसभा सीटों बूंदी, हिंडोली और केशोरायपाटन में कांग्रेस के हरिमोहन शर्मा, अशोक चांदना और सीएल प्रेमी ने विजय प्राप्त की है. हालांकि, जिले में हुई साइलेंट वोटिंग के बाद नेता, कार्यकर्ता सहित आमजन भी परिणामों को लेकर असमंजस में थे और परिणामों को चौंकाने वाला बता रहे हैं. परिणामों के बाद जिले में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण बूथ मैनेजमेंट माना जा रहा है.

हरिमोहन शर्मा की जीत का बड़ा कारण : पिछले 15 सालों बाद बूंदी विधानसभा में कांग्रेस के विधायक बने हरिमोहन शर्मा की जीत के पीछे का बड़ा कारण विगत पांच वर्षों से क्षेत्र में निरंतर सक्रियता रही. 85 वर्षीय शर्मा पिछला चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे तथा सरकार के साथ तालमेल बनाकर अपने संपर्कों के जरिए क्षेत्र में कई विकास कार्य करवा. इन्होंने लोगों को लोककल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित भी करवाया. शर्मा को आमजन और कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव, क्षेत्र में लगातार सक्रियता, बूथ मैनेजमेंट के साथ अपनी जातीय समीकरणों का लाभ भी इस चुनाव में मिला. साथ ही भाजपा के बागी निर्दलीय रूपेश शर्मा के मैदान में डटे रहने का सीधा फायदा हरिमोहन शर्मा को मिला.

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हिंडोली में जीत के कारण : हिंडोली विधानसभा क्षेत्र में अशोक चांदना की जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण बूथ मैनेजमंट के साथ उनका युवा तथा बेबाक छवि होना रहा. पिछले 10 वर्षों में करवाए गए विकास कार्यों के सहारे अशोक चांदना भाजपा के कद्दावर पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी को शिकस्त देने में कामयाब रहे. अशोक चांदना को आमजन और कार्यकर्ताओं साथ जुड़ाव, कुशल संवाद, मजबूत टीम और क्षेत्र में सक्रियता का चांदना को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण रही. वहीं, पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी को टिकट मिलने में देरी होना, समय कम मिलने के साथ पिछले कार्यकाल में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होना भी हार का कारण रहा.

जातीय समीकरण के साथ बूथ मैनेजमेंट से मिली प्रेमी को जीत : केशोरायपाटन से 17087 मतों से जीत कर दूसरी बार विधायक बने सीएल प्रेमी को जातीय समीकरण के साथ बूथ मैनेजमेंट का खासा फायदा मिला. यहां पर बागी के तौर पर उतरे कांग्रेस के राकेश बोयत कोई खास प्रभाव नहीं दिखा पाए. जिलाध्यक्ष होने के नाते कार्यकर्ताओं पर अच्छी पकड़ और उनके साथ सक्रिय संबंधों का फायदा सीएल प्रेमी को मिला. वहीं, प्रेमी पिछला चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहे और ग्रामीणों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखा.

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