बूंदी. शहर में पर्यावरण और हरियाली को बनाए रखने के लिए पौधरोपण होते रहना बहुत आवश्यक है. मौसम कोई भी हो पौधे लगाते रहना चाहिए और उसकी देखभाल भी करते रहना चाहिए. पौधरोपण कार्यक्रम मानसून की शुरुआत से ठीक पहले आयोजित किए जाते हैं ताकि पौधों को भरपूर पानी मिल सके. लेकिन बूंदी जिले में इस बार वन विभाग की ओर से 5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन कोरोना काल के चलते न तो विभाग की ओर से पौधे लगाए गए और न ही वन विभाग के पास से कोई संगठन या पर्यावरण प्रेमी ही इस बार पौधे लेने पहुंचा.
इसके बाद भी विभाग का दावा है कि पांच लाख पौधे लगाने के लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. हालात यह है कि मानसून के शुरुआती दौर में कहीं भी पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए. लेकिन वन विभाग की माने तो वन महोत्सव के तहत 15 जून से 30 सितंबर तक जिले भर में 2 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था जबकि 2. 25 लाख पौधों का वितरण आमजन को किया गया है. इसके साथ ही 1.25 लाख पौधे अभी लगना शेष हैं. वन विभाग के अधिकारियों की माने तो पौधरोपण के लिए सामाजिक संस्थाओं सरकारी कार्यालयों को भी पौधों का वितरण किया गया था.
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उधर शहर के पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि जिले में 5 लाख पौधे लगाने का दावा करने वाला वन विभाग शहर में कितने पौधे लगाए और कहां लगाए इसकी जानकारी दे. पर्यावरण प्रेमी मुकेश माधवानी ने तो अधिकारियों की कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिए हैं. उनका कहना है कि अधिकारी कमरों में बैठकर कागजों में ही पौधरोपण कार्यक्रम संपन्न करवा रहे हैं और 5 लाख के लक्ष्य को कागजों में ही पूरा दिखाकर कार्य समाप्त कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारी इस बात को स्पष्ट करें कि जिले में 5 लाख पौधे कहां-कहां लगे और विभाग ने अपने स्तर पर 2 लाख पौधे कब और कहां कार्यक्रम कर रोपे हैं. पर्यावरण प्रेमी दुर्गा शंकर शर्मा ने कहा कि वन विभाग के अधिकारी कागजों में ही अपने लक्ष्य की पूर्ति कर रहे हैं जबकि धरातल पर मामला कुछ और है.
अधिकारियों का कहना संक्रमण के दौरान लोगों में पौधरोपण के प्रति बढ़ा रुझान
कोरोना काल की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लगा और सभी गतिविधियां ठप हो गईं. क्या आम, क्या खास सभी घर में कैद हो गए. ऐसे में इस बार मानसून ने भी बेरुखी दिखाई और ज्यादा बारिश नहीं हो सकी. वहीं बूंदी में भी इस बार मानसून में अपेक्षाकृत कम बारिश नहीं होने से पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जताते हुए कहा कि बारिश कम होने से लोग पौधरोपण कम हो पा रहा है.
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वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हकीकत में कोरोना वायरस के चलते लोग इस बार पौधरोपण कम कर सके हैं. इस बार वह हरियाली की ओर ज्यादा अग्रसर नहीं रह पाए. सामाजिक संगठन व क्लब हरित क्रांति अभियान चलाकर हजारों की तादाद में पौधरोपण करते थे, लेकिन इस बार वही सामाजिक संगठन सेनेटाइजर, मास्क का वितरण और सलाह देते नजर आए. ऐसे में जितनी मात्रा में वह पौधारोपण कर पाते थे, इस बार नहीं कर पाए.
फिर भी अधिकारी कहते हैं कि हमने हमारे लक्ष्य तक पौधरोपण किया है और उनका वितरण भी किया है. जबकि शहर के पर्यावरण प्रेमी अधिकारियों के इस लक्ष्य को केवल कागजी कार्रवाई बता रहे हैं. सच है कि कोरोना वायरस ने लोगों को कई सारी सामाजिक कार्यों पर ब्रेक लगाते हुए केवल कोरोना से बचाव पर ही फोकस रखा है. यही कारण रहा कि इस बार ज्यादा पौधरोपण नहीं हो पाए.
दो लाख औषधि निर्मित पौधों का उत्पादन
बूंदी जिला वन अधिकारी एस मिश्रा बताते हैं कि वन विभाग की ओर से 5 लाख पौधों में से 2 लाख पौधे ऐसे थे जिनका औषधि के रूप में हमनें उत्पादन किया है. कोरोना काल में कई प्रकार की औषधियां ऐसी थीं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती थी. जिसमें गिलोय, अडूसा, कटेहरी सहित कई प्रकार की ऐसे औषधीय पौधे थे जिन्हें हमने जिले की नर्सरी में लगाया और लोगों को भी बांटे. वन विभाग की मानें तो करीब दो लाख पौधों को ओषधि के रूप में आमजन को बांटा गया. अधिकारियों का कहना है कि अभी भी सवा लाख के करीब पौधों का वितरण किया जाना है.