बूंदी. जिला सेशन न्यायाधीश ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. यहां पर डेढ़ साल पहले दो सांडों की लड़ाई में शहर के ब्रह्मपुरी निवासी मुकेश दाधीच की मौत के मामले में कोर्ट ने नगर परिषद से क्लेम राशि के रूप में 23 लाख 60 हजार 500 वसूलने का आदेश दिया है. अगर नगर परिषद यह राशि नहीं देता है तो हर महीने 7% ब्याज के रूप में डबल राशि वसूलने के आदेश दिए हैं. ये फैसला जिला एवं सेशन न्यायाधीश उमाशंकर व्यास ने सुनाया है. यह फैसला इसलिए ऐतिहासिक है, क्योंकि आवारा मवेशियों की सड़क पर बैठने और आए दिन सांडों की लड़ाई की समस्याएं आम बात हो गईं हैं. इस बीच जिम्मेदार नगर परिषद के अधिकारियों को यह आदेश सबक सिखाने वाला साबित होगा.
दो सांड की लड़ाई में अकाल मौत
बता दें, कि शहर के ब्रह्मपुरी इलाके में रहने वाले मुकेश दाधीच नाम के एक व्यक्ति की डेढ़ साल पूर्व दो सांड की लड़ाई में अकाल मौत हो गई थी. इस पर परिवार जन ने बूंदी के डीजे कोर्ट में नगर परिषद के विरुद्ध आवारा सांड पर कोई कार्रवाई नहीं करने और मृतक के परिवार को क्लेम राशि दिलाने को लेकर नगर परिषद के विरोध में केस किया था. करीब डेढ़ साल तक चले इस केस में शुक्रवार को जिला सेशन एवं न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए नगर परिषद से क्लेम राशि के रूप में 23.60 लाख रुपए पीड़ित को देने का आदेश सुनाया है.
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नगर परिषद के विरुद्ध बूंदी डीजे कोर्ट में केस
ब्रह्मपुरी निवासी मुकेश दीक्षित एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान पर काम करता था और पांच बहनों में एक भाई था और वह घर का मुखिया था. उसके साथ उसकी पुत्री, पुत्र और पत्नी साथ में रहते थे. जानकारी के अनुसार 28 अप्रैल 2018 शहर के ब्रह्मपुरी निवासी मुकेश दीक्षित घर के बाहर झाड़ू लगाकर सफाई कर रहा था. तभी पीछे से दो सांड लड़ते हुए आए और मुकेश दीक्षित को घसीट दिया और दोनों आवारा सांडों ने मुकेश दीक्षित को सिंग के जरिए उछालकर जमीन पर फेंक दिया. चिल्लाहाट पर आसपास के लोग वहां पहुंचे, जहां पर सांडों ने मुकेश दीक्षित को घेर रखा था. लोगों ने सांडों को हटाया और मुकेश दीक्षित को बूंदी अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां पर रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया. यहां पर जागरूक लोगों ने परिवार की मदद कर नगर परिषद के विरुद्ध लापरवाही बताते हुए बूंदी जिला सेशन न्यायालय में केस दायर किया. पीड़ित परिवार की ओर से वकील कौशल कुमार शर्मा एवं रवि प्रसाद शर्मा ने न्यायालय में केस की पैरवी की. जिसके बाद शुक्रवार को बूंदी डीजे कोर्ट ने पीड़ित परिवार को क्लेम राशि देने का आदेश दिया.
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परिवार के मुखिया की मौत के बाद घरेलू स्थिति खराब
पीड़ित परिवार को राशि मिलने के आदेश तो हो गए, लेकिन परिजनों का कहना है, कि घर का मुखिया तो घर का मुखिया होता है, चाहे करोड़ों की राशि हमें मिल जाए, उसकी भरपाई नहीं हो सकती. उन्होंने कहा है, कि नगर परिषद को यह सबक है, कि वह शहर में आवारा सांड को दूर करें, ताकि हमारे ऊपर जो बीती है, वह किसी और पर नहीं बीते. बूंदी कोर्ट द्वारा जो राशि पीड़ित परिवार में क्लेम के रूप में स्वीकृत करने के आदेश दिए हैं. उससे परिवार की आर्थिक तंगी काफी हद तक दूर होगी, क्योंकि परिवार के मुखिया की मौत के बाद परिवार में घरेलू स्थिति काफी खराब है.