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पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी आज, भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की होती है पूजा - विष्णु सहस्त्रनाम

पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यह दिन भगवान विष्णु के कूर्म यानी कछुए के अवतार को समर्पित है (Vishnu avtar Kurma). इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की विधि-विधान से पूजा कर मनोवांछित फलों की प्राप्ति की जा सकती है.

Shukla Paksh Dwadashi
भगवान विष्णु के कूर्म अवतार
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Published : Jan 3, 2023, 6:55 AM IST

बीकानेर. कूर्म अवतार को 'कच्छप अवतार' (कछुआ रूप में अवतार) भी कहते हैं. कूर्म अवतार (Vishnu avtar Kurma) में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था. इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदार पर्वत और वासुकी नामक नाग की सहायता से देवों और असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की. इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था.

ऐसे करें पूजा- इस दिन सुबह स्नान के बाद निर्जला रहकर भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. हालांकि जल और फल ग्रहण के साथ भी यह व्रत किया जा सकता है. व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की एक छोटी मूर्ति व कुछए की प्रतिमा को फल, दीपक और धूप चढ़ाते हैं. इस दिन ’विष्णु सहस्त्रनाम’ और ’नारायण स्तोत्र’ का पाठ करना शुभ माना जाता है. मंदिर जाकर भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा करें. पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और व्रत का पारण करें. कूर्म द्वादशी के दिन पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि कूर्म द्वादशी का व्रत व पूजन निष्ठा व पवित्र मन से करने वाले भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे समस्त अपराधों के दंड से भी मुक्ति मिल जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार, कूर्म द्वादशी के दिन दान करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.

कछुए के रूप में पीठ पर मंदार पर्वत- इस व्रत से जुड़ी एक कथा के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु ने ​कूर्म रूप धारण करके सागर मंथन के समय मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर उठाया था, तब सागर मंथन हो पाया था. कूर्म द्वादशी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण द्वादशी का दिन होता है. कूर्म द्वादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि होती है. कूर्म संस्कृत का शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ कछुआ होता है. कूर्म द्वादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है.

पढे़ं-Daily Rashifal 3 January 2023 : कैसा बीतेगा आज का दिन , जानिए अपना आज का राशिफल

घर में कछुआ लाने से लाभ- कूर्म द्वादशी के दिन घर में कछुआ लाने का बड़ा महत्व बताया जाता है. ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी की कृपा सदा बनी रहती है. घर में कछुआ रखने से आर्थिक संकट टलता है. ऐसा माना जाता है कि चांदी व अष्टधातु का कछुआ घर व दुकान में रखना अति शुभकारी होता है. काले रंग का कछुआ को ओर भी शुभ बताया जाता है, इससे जीवन में हर तरह की तरक्की की संभावना बढ़ती है. हालांकि इसे घर की गलत दिशा में रखने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं.

किस दिशा में रखें कछुआ- अगर कर्म क्षेत्र में खूब तरक्की चाहते हैं तो काले रंग के कछुए को उत्तर दिशा में रखें. इससे ऊर्जा बढ़ने से व्यापार और कर्म क्षेत्र में तरक्की की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. घर के मुख्य द्वार पर पश्चिम की दिशा में कछुआ रखने से सुरक्षा मिलती है. दफ्तर या घर के पिछले हिस्से में कछुए को रखने से अपार ऊर्जा का एहसास होगा और आप अपने सभी कार्य ठीक तरीके से कर पाएंगे.

बीकानेर. कूर्म अवतार को 'कच्छप अवतार' (कछुआ रूप में अवतार) भी कहते हैं. कूर्म अवतार (Vishnu avtar Kurma) में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था. इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदार पर्वत और वासुकी नामक नाग की सहायता से देवों और असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की. इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था.

ऐसे करें पूजा- इस दिन सुबह स्नान के बाद निर्जला रहकर भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. हालांकि जल और फल ग्रहण के साथ भी यह व्रत किया जा सकता है. व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की एक छोटी मूर्ति व कुछए की प्रतिमा को फल, दीपक और धूप चढ़ाते हैं. इस दिन ’विष्णु सहस्त्रनाम’ और ’नारायण स्तोत्र’ का पाठ करना शुभ माना जाता है. मंदिर जाकर भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा करें. पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और व्रत का पारण करें. कूर्म द्वादशी के दिन पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि कूर्म द्वादशी का व्रत व पूजन निष्ठा व पवित्र मन से करने वाले भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे समस्त अपराधों के दंड से भी मुक्ति मिल जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार, कूर्म द्वादशी के दिन दान करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.

कछुए के रूप में पीठ पर मंदार पर्वत- इस व्रत से जुड़ी एक कथा के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु ने ​कूर्म रूप धारण करके सागर मंथन के समय मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर उठाया था, तब सागर मंथन हो पाया था. कूर्म द्वादशी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण द्वादशी का दिन होता है. कूर्म द्वादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि होती है. कूर्म संस्कृत का शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ कछुआ होता है. कूर्म द्वादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है.

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घर में कछुआ लाने से लाभ- कूर्म द्वादशी के दिन घर में कछुआ लाने का बड़ा महत्व बताया जाता है. ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी की कृपा सदा बनी रहती है. घर में कछुआ रखने से आर्थिक संकट टलता है. ऐसा माना जाता है कि चांदी व अष्टधातु का कछुआ घर व दुकान में रखना अति शुभकारी होता है. काले रंग का कछुआ को ओर भी शुभ बताया जाता है, इससे जीवन में हर तरह की तरक्की की संभावना बढ़ती है. हालांकि इसे घर की गलत दिशा में रखने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं.

किस दिशा में रखें कछुआ- अगर कर्म क्षेत्र में खूब तरक्की चाहते हैं तो काले रंग के कछुए को उत्तर दिशा में रखें. इससे ऊर्जा बढ़ने से व्यापार और कर्म क्षेत्र में तरक्की की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. घर के मुख्य द्वार पर पश्चिम की दिशा में कछुआ रखने से सुरक्षा मिलती है. दफ्तर या घर के पिछले हिस्से में कछुए को रखने से अपार ऊर्जा का एहसास होगा और आप अपने सभी कार्य ठीक तरीके से कर पाएंगे.

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