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Navratri 2023 : नवरात्र में सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, चिंता और भय से मिलता है छुटकारा - ETV Bharat Rajasthan News

Shardiya Navratri Day 7, शारदीय नवरात्र महासप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा होती है. मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है. कहते हैं, काल नाशी देवी के पूजन से शत्रु से मुक्ति के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

Dedicated to Mata Kalratri
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 21, 2023, 7:00 AM IST

बीकानेर. देवी की आराधना के महापर्व शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. मां कालरात्रि को संकट हरणी भी कहा जाता है. कहते हैं कि काल नाशी देवी के पूजन से शत्रु से मुक्ति के साथ सौभाग्य की प्राप्ती होती है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि काल सबका भक्षण करता है, लेकिन उसका भी दमन करने की शक्ति मां कालरात्रि में है. मां का स्वरूप उग्र है. ऐसा जो दैत्यों का विनाश करने के लिए हुआ.

इस मंत्र का करें जाप : या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः

नवरात्र में सातवें दिन इस मंत्र का जाप करने से लाभ होता है. कहते हैं कि शनि की दशा दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति को मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना से लाभ होता है.

भय, संकट, चिंता होगी दूर : पंडित किराडू ने बताया कि अपने भक्तों के लिए मां कालरात्रि बहुत फलदायी हैं और उनकी पूजा-आराधना करने से किसी भी प्रकार का भय, कष्ट, संकट नहीं रहता है. वे कहते हैं, दैत्यों के विनाश के लिए भगवती मां दुर्गा कालरात्रि के रूप का रूप में प्रकट हुई. दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय में दैत्यों का विनाश करने के लिए मां दुर्गा के इस रूप में प्रकट होने का उल्लेख मिलता है.

पढ़ें : 21 october 2023 rashifal : मां कालरात्रि के आशीर्वाद से इन राशियों को मिलेगी भय से मुक्ति, होगा शत्रु ओं का नाश

उन्होंने बताया कि मां चामुंडा के नाम से भी इनकी पूजा की जाती है. किराडू कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती के अनुसार कालरात्रि का रूप मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए धारण किया. मां कालरात्रि महादुष्टों का सर्वनाश करने के लिए जानी जाती हैं. इसलिए उनके विनाश से काल का दमन करती हैं. इसलिए इनका नाम कालरात्रि है. मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं. इस कारण इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होने के साथ ही भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से छुटकारा मिलता है.

गर्दभ की सवारी, नीलकमल पुष्प प्रिय, हाथों में व्रज : पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि की सवारी गर्दभ है और हाथ में खडग, वज्र और अन्य शस्त्र धारण किए हुए हैं. मां कालरात्रि को नील कमल का पुष्प अति प्रिय है और इनकी पूजा में नील कमल के पुष्प का अर्चन करने से विशेष लाभ प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ और उड़द से बने पदार्थों का भोग लगाना उत्तम होता है.

बीकानेर. देवी की आराधना के महापर्व शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. मां कालरात्रि को संकट हरणी भी कहा जाता है. कहते हैं कि काल नाशी देवी के पूजन से शत्रु से मुक्ति के साथ सौभाग्य की प्राप्ती होती है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि काल सबका भक्षण करता है, लेकिन उसका भी दमन करने की शक्ति मां कालरात्रि में है. मां का स्वरूप उग्र है. ऐसा जो दैत्यों का विनाश करने के लिए हुआ.

इस मंत्र का करें जाप : या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः

नवरात्र में सातवें दिन इस मंत्र का जाप करने से लाभ होता है. कहते हैं कि शनि की दशा दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति को मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना से लाभ होता है.

भय, संकट, चिंता होगी दूर : पंडित किराडू ने बताया कि अपने भक्तों के लिए मां कालरात्रि बहुत फलदायी हैं और उनकी पूजा-आराधना करने से किसी भी प्रकार का भय, कष्ट, संकट नहीं रहता है. वे कहते हैं, दैत्यों के विनाश के लिए भगवती मां दुर्गा कालरात्रि के रूप का रूप में प्रकट हुई. दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय में दैत्यों का विनाश करने के लिए मां दुर्गा के इस रूप में प्रकट होने का उल्लेख मिलता है.

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उन्होंने बताया कि मां चामुंडा के नाम से भी इनकी पूजा की जाती है. किराडू कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती के अनुसार कालरात्रि का रूप मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए धारण किया. मां कालरात्रि महादुष्टों का सर्वनाश करने के लिए जानी जाती हैं. इसलिए उनके विनाश से काल का दमन करती हैं. इसलिए इनका नाम कालरात्रि है. मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं. इस कारण इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होने के साथ ही भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से छुटकारा मिलता है.

गर्दभ की सवारी, नीलकमल पुष्प प्रिय, हाथों में व्रज : पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि की सवारी गर्दभ है और हाथ में खडग, वज्र और अन्य शस्त्र धारण किए हुए हैं. मां कालरात्रि को नील कमल का पुष्प अति प्रिय है और इनकी पूजा में नील कमल के पुष्प का अर्चन करने से विशेष लाभ प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ और उड़द से बने पदार्थों का भोग लगाना उत्तम होता है.

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